मुंबई : पालघर हिंसा मामले में महाराष्ट्र पुलिस ने पांच और लोगों को गिरफ्तार किया है, जिन्हें स्थानीय न्यायलय में पेश किया गया. न्यायालय ने इन आरोपियों को 13 मई तक अपराध जांच विभाग की हिरासत में भेज दिया है. इस मामले में अब तक नौ नाबालिगों सहित कुल 115 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. नाबलिगों को किशोर सुधार गृह भेज दिया गया है.
इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र के पालघर में 16 अप्रैल को दो साधुओं सहित तीन व्यक्तियों की पीट-पीट कर हत्या किए जाने के मामले में शुक्रवार को राज्य की उद्धव ठाकरे सरकार को जांच रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया.
न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्सिंग के माध्यम से इस मामले में एक याचिका पर सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार को यह निर्देश दिया. महाराष्ट्र सरकार को चार सप्ताह के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट पेश करनी है.
इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि भीड़ द्वारा दो साधुओं सहित तीन व्यक्तियों की पीट पीट कर हत्या की घटना पुलिस की विफलता का नतीजा है, क्योंकि लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करके यह भीड़ एकत्र हुई थी.
शीर्ष अदालत ने इस हत्याकांड की जांच पर रोक लगाने से इंकार कर दिया और याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वह इसकी एक प्रति महाराष्ट्र सरकार के वकील को सौंपे. न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार चार सप्ताह के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट दाखिल करेगी.
यह याचिका शशांक शेखर झा ने अधिवक्ता राशि बंसल के माध्यम से दायर की है. याचिका में इस हत्याकांड की जांच शीर्ष अदालत द्वारा गठित विशेष जांच दल या फिर शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में किसी न्यायिक आयोग से कराने का अनुरोध किया गया है.
इसी तरह, याचिका में सारा मामला सीबीआई को सौंपने और इस घटना को रोकने में विफल रहने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है.
इस हत्याकांड में मारे गए तीनों व्यक्ति मुंबई के कांदिवली इलाके के निवासी थे और लॉकडाउन के दौरान एक अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए कार से गुजरात के सूरत जा रहे थे.
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पालघर में उनकी कार पर हमला किया गया और इस हमले में चिकने महाराज कल्पवृक्षगिरि (70), सुशील गिरि महाराज (35) और कार के ड्राइवर नीलेश तेलगडे (30) को हिंसक भीड़ ने पीट पीट कर मार डाला.
याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने मीडिया की खबरों का हवाला दिया और दावा किया कि इस घटना में पुलिस की भूमिका संदिग्ध रही है, क्योंकि उसने साधुओं को बचाने के लिए बल का प्रयोग नहीं किया.
याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह पूरी घटना 'पूर्व नियोजित' थी और इसमें पुलिस की संलिप्तता भी हो सकती है.
याचिका में इस मामले के मुकदमे की सुनवाई पालघर की अदालत से स्थानांतरित करके दिल्ली में त्वरित अदालत को सौंपने का भी अनुरोध किया गया है.