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लॉकडाउन में हुआ पहला सफल डबल लंग ट्रांसप्लांट

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Published : Oct 8, 2020, 9:51 PM IST

देश में COVID-19 महामारी के दौरान लागू किए गए लॉकडाउन में पहला डबल लंग ट्रांसप्लांट किया गया था. हॉस्पिटल्स की तरफ से जो जानकारी दी गई उसके मुताबिक 39 साल के रोगी की फेफड़ों की स्थिति बेहद खराब थी, इस वजह से कोरोना काल में लंग ट्रांसप्लांट किया गया.

Apollo hospitals announces first double lung transplant
लॉकडाउन में हुआ पहला डबल लंग ट्रांसप्लांट

चेन्नई : अपोलो हॉस्पिटल्स ने गुरुवार को बताया कि देश में COVID-19 महामारी के दौरान लागू किए गए लॉकडाउन में पहला डबल लंग ट्रांसप्लांट किया गया था. हॉस्पिटल्स की तरफ से जो जानकारी दी गई उसके मुताबिक 39 साल के रोगी की फेफड़ों की स्थिति बेहद खराब थी, इस वजह से कोरोना काल में लंग ट्रांसप्लांट किया गया. अपोलो हॉस्पिटल ने बताया कि फेफड़े उपलब्ध होने तक और रोगी के फेफड़ों को सहारा देने के लिए उसको ईसीएमओ और अतिरिक्त कॉरपोरेट मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन पर रखा गया था.

चेन्नई में हुई थी पहले डबल लंग प्रत्यारोपण की सर्जरी

पहले डबल लंग प्रत्यारोपण की सफलतापूर्वक सर्जरी 29 जुलाई 2020 को अपोलो हॉस्पिटल्स चेन्नई में हुई थी. चेन्नई अपोलो हॉस्पिटल्स ने जो जानकारी दी उसके मुताबिक मजबूत रिकवरी के बाद रोगी को 27 अगस्त 2020 को छुट्टी दे दी गई थी.

पढ़ें: पुणे से हैदराबाद एक घंटे में पहुंचाए गए फेफड़े ने बचाई जान

अपोलो हॉस्पिटल्स ग्रुप के चेयरमैन ने दी जानकारी

डॉक्टर प्रथाप सी रेड्डी ने बताया कि पहले सफल बाल चिकित्सा यकृत प्रत्यारोपण से, पहला सफल व्यस्क कैडेवरिक प्रत्यारोपण, तीव्र यकृत विफलता के लिए पहला यकृत प्रत्यारोपण, पहला संयुक्त यकृत-किडनी और बहु-अंग प्रत्यारोपण यह एक लंबी लिस्ट है. हमारी ट्रांसप्लांट टीम ने पिछले कुछ वर्षों में भारत में ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए रास्ते तय किए हैं और बेंचमार्क भी निर्धारित किए हैं.

उन्होंने कहा कि मुझे यकीन है कि वे आगे भी ऐसा करते रहेंगे. डॉक्टर प्रथाप सी रेड्डी ने बताया कि मुझे यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि आज भारत में मल्टीपल ट्रांसप्लांट के लिए 90% से अधिक सफलता दर के साथ, अपोलो हॉस्पिटल्स ऑर्गन ट्रांसप्लांट सेंटर, भारत से ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के मरीजों के लिए गुणवत्ता और आशा का केंद्र है.

चेन्नई : अपोलो हॉस्पिटल्स ने गुरुवार को बताया कि देश में COVID-19 महामारी के दौरान लागू किए गए लॉकडाउन में पहला डबल लंग ट्रांसप्लांट किया गया था. हॉस्पिटल्स की तरफ से जो जानकारी दी गई उसके मुताबिक 39 साल के रोगी की फेफड़ों की स्थिति बेहद खराब थी, इस वजह से कोरोना काल में लंग ट्रांसप्लांट किया गया. अपोलो हॉस्पिटल ने बताया कि फेफड़े उपलब्ध होने तक और रोगी के फेफड़ों को सहारा देने के लिए उसको ईसीएमओ और अतिरिक्त कॉरपोरेट मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन पर रखा गया था.

चेन्नई में हुई थी पहले डबल लंग प्रत्यारोपण की सर्जरी

पहले डबल लंग प्रत्यारोपण की सफलतापूर्वक सर्जरी 29 जुलाई 2020 को अपोलो हॉस्पिटल्स चेन्नई में हुई थी. चेन्नई अपोलो हॉस्पिटल्स ने जो जानकारी दी उसके मुताबिक मजबूत रिकवरी के बाद रोगी को 27 अगस्त 2020 को छुट्टी दे दी गई थी.

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अपोलो हॉस्पिटल्स ग्रुप के चेयरमैन ने दी जानकारी

डॉक्टर प्रथाप सी रेड्डी ने बताया कि पहले सफल बाल चिकित्सा यकृत प्रत्यारोपण से, पहला सफल व्यस्क कैडेवरिक प्रत्यारोपण, तीव्र यकृत विफलता के लिए पहला यकृत प्रत्यारोपण, पहला संयुक्त यकृत-किडनी और बहु-अंग प्रत्यारोपण यह एक लंबी लिस्ट है. हमारी ट्रांसप्लांट टीम ने पिछले कुछ वर्षों में भारत में ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए रास्ते तय किए हैं और बेंचमार्क भी निर्धारित किए हैं.

उन्होंने कहा कि मुझे यकीन है कि वे आगे भी ऐसा करते रहेंगे. डॉक्टर प्रथाप सी रेड्डी ने बताया कि मुझे यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि आज भारत में मल्टीपल ट्रांसप्लांट के लिए 90% से अधिक सफलता दर के साथ, अपोलो हॉस्पिटल्स ऑर्गन ट्रांसप्लांट सेंटर, भारत से ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के मरीजों के लिए गुणवत्ता और आशा का केंद्र है.

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