देहरादून: पुलवामा अटैक का बदला लेते हुए शहीद हुए राजधानी दून निवासी मेजर विभूति ढौंडियाल की आज पहली पुण्यतिथि है. ऐसे में उत्तराखंड के साथ पूरा देश उन्हें याद कर रहा है. उनके बिना परिवार का ये साल किन कठिनाइयों से गुजरा होगा इस बात को शब्दों में बयां करना संभव नहीं है, लेकिन उनकी पत्नी नितिका अपने पति के जज्बे से प्रेरित होकर सेना में भर्ती होने वाली हैं.
पति की शहादत के बाद दिल्ली की मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाली नितिका का सब कुछ एकदम खत्म हो गया था. शहीद विभूति की शहादत के बाद बूढ़ी मां के साथ अकेली रह रहीं नितिका ने मन बनाया है कि वो भी अपने पति के नक्शे कदम पर चलते हुए सेना के लिए तैयारी करेंगी.
नितिका ने बताया कि ये इतनी आसान राह नहीं थी, लिहाजा इसके लिए दोनों परिवारों की इजाजत बेहद मायने रखती थी. इसके साथ ही सेना का सहयोग भी बेहद मायने रखता है.
नितिका ने बताया कि वे भले ही शारीरिक रूप से आज उनके साथ न हों, लेकिन उन्हें मानसिक रूप से आज भी उनका साथ हमेशा मिलता है. फिलहाल वो सेना की तरफ से आने वाले कॉल लेटर का इंतजार कर रही हैं. उन्होंने अपनी तरफ से हर परीक्षा को पूरी तत्परता और परिश्रम के साथ दिया है. लिहाजा अब उन्हें इंतजार है कि सेना की तरफ से लेटर मिलने के बाद एक बार फिर से अपने पति की तरह ही वो सेना की वर्दी में दिखाई देंगी.
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नितिका बताती हैं कि एक साल कैसे बीता है ये हम जानते हैं क्योंकि किसी की यादों को भूलना आसान नहीं होता. आज भी जब पूरा परिवार एक साथ बैठता है तो उनकी शरारती बातें और आदतें हमको कभी कभार न केवल हंसाती है बल्कि रुलाती भी हैं.
शहीद विभूति ढौंडियाल की मां कहती है कि बहू के सेना में जाने से ठीक वैसा ही उनको लग रहा है जैसा विभूति के सेना में भर्ती होने पर लगा था. भले ही आज वो दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उन्हें लगता है कि उनकी बहू ही विभूति के रूप में उनके घर में एक बार फिर से सेना की ड्रेस में आने वाली है.