श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर) : भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जम्मू-कश्मीर पंचायत राज अधिनियम, 1989 में संशोधन को मंजूरी दे दी है. इसके साथ ही केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में पहली बार जिला विकास परिषद के चुनाव कराने की शुरुआत हो गई है.
अनुच्छेद-370 के निरस्त होने के 14 महीने बाद यह फैसला हुआ है और जम्मू-कश्मीर में त्रिस्तरीय स्थानीय निर्वाचित शासन प्रणाली की शुरुआत के लिए रास्ता साफ हो गया है. त्रिस्तरीय शासन व्यवस्था में ग्राम पंचायत, खंड विकास परिषद और जिला विकास परिषद शामिल हैं.
पंचायती राज अधिनियम में संशोधन
गृह मंत्रालय की ओर से 16 अक्टूबर को प्रभावी कानून में संशोधन से जिला विकास परिषद (डीडीसी) की स्थापना की गई, जिसके सदस्यों का चुनाव सीधे मतदाता करेंगे. केंद्र सरकार के गृह सचिव अजय कुमार भल्ला की ओर से जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 96 के तहत दी गई शक्तियों का इस्तेमाल करके संशोधनों के चौथे आदेश के आधार पर केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (राज्य कानूनों का अनुकूलन), 2020 संशोधन जारी किए गए हैं.
73वें संशोधन करने की मांग
अनुच्छेद-370 को निरस्त करने से पहले जम्मू-कश्मीर में कानूनों में संशोधन करने का अधिकार विधानसभा को था. जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम (2019) के लागू होने के साथ ये अधिकार गृह मंत्रालय के पास आ गया है. जम्मू-कश्मीर पंचायत राज अधिनियम, 1989 में 73वां संशोधन करने की मांग यहां के पंचायत सदस्यों के संघों की लंबे समय से थी, लेकिन चुनी हुई सरकारों में से किसी ने भी इस अधिनियम में संशोधन नहीं किया.
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वादे के मुताबिक अब जल्द होंगे चुनाव
अधिनियम में संशोधन की घोषणा बुधवार को केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने की. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर पंचायती राज अधिनियम में संशोधन की मंजूरी से जल्द ही चुनाव कराने की सुविधा मिल जाएगी. जावड़ेकर ने कहा कि देश में कहीं भी लोगों को स्थानीय प्रतिनिधियों का चुनाव करने का अधिकार था, लेकिन जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद-370 के निरस्त करने से पहले ऐसा नहीं हो रहा था. कश्मीर में प्रधानमंत्री की ओर से और संसद में गृहमंत्री की ओर से किया गया वादा था, जिसे अब पूरा किया गया है. अब जल्दी चुनाव होंगे और स्थानीय निकायों के प्रबंधन की शक्ति लोगों तक पहुंचेगी.
आरक्षित सीटों की कुल संख्या से एक तिहाई से कम
संशोधित अधिनियम में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण रखा गया है. इसमें कहा गया है कि आरक्षित सीटों की कुल संख्या से एक तिहाई से कम चाहे जैसा भी मामला हो अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजातियों की महिलाओं के लिए नहीं रखा जाएगा.
रोटेशन के जरिए आवंटित होंगी आरक्षित सीटें
इसके अलावा, प्रत्येक डीडीसी में प्रत्यक्ष चुनाव के माध्यम से भरी जाने वाली सीटों की एक-तिहाई (अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की संख्या सहित) सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगी. अधिनियम के अनुसार, जिले में विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों के लिए रोटेशन के जरिए आरक्षित सीटें आवंटित की जाएंगी.
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डीडीसी चुनाव, संरचना और कार्य
पहले की व्यवस्था के अनुसार जम्मू-कश्मीर राज्य में डीडीसी के स्थान पर सरकारें जिला योजना और विकास बोर्ड का गठन करती थीं. जिसमें एक कैबिनेट मंत्री बोर्ड का अध्यक्ष होता और इसमें जिला विकास आयुक्त के अलावा एमएलसी, विधायक, सांसद और ब्लॉक विकास परिषदों, शहरी स्थानीय निकायों के अध्यक्ष शामिल होते.
विकास योजना की रूपरेखा तैयार करेगा बोर्ड
बोर्ड वार्षिक विकास योजना की रूपरेखा तैयार करेगा और विकास कार्यों के लिए एक विशेष बजट आवंटित करेगा. संशोधित कानून के अनुसार, जम्मू और कश्मीर के प्रत्येक जिले में 14 निर्वाचन क्षेत्र होंगे और प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में डीडीसी के लिए एक निर्वाचित सदस्य होगा. इसके बाद डीडीसी सदस्य एक अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव करेंगे. नए अधिनियम के अनुसार संसद सदस्य डीडीसी का सदस्य नहीं होगा. निर्वाचन क्षेत्रों के लिए परिसीमन शुरू हो चुका है और कई जिलों ने उन्हें अधिसूचित भी कर दिया है.
विकास योजना को क्रियान्वित करने का अधिकार
एक बार डीडीसी का चुनाव हो जाने के बाद उसी पूरी विकास योजना को तैयार करने और क्रियान्वित करने का अधिकार मिल जाता है. पूरा जिला डीडीसी का अधिकार क्षेत्र होगा, उसमें केवल नगर निगम की सीमा के भीतर आने वाले हिस्से नहीं होंगे.
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एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए होंगी आरक्षित
पंचायतों के सभी स्तरों पर एक साथ आम चुनाव कराने के अलावा डीडीसी का कार्यकाल पांच साल का होगा ताकि जिलों में सभी स्तरों तक एक जैसी शर्तें हों. केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में जिला विकास परिषद अध्यक्ष के कार्यालय के लिए कुल सीटों की एक तिहाई महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी.
जिला विकास परिषद का कार्यभार
प्रत्येक डीडीसी के पास एक वित्त की स्थायी समिति, विकास की स्थायी समिति, सार्वजनिक निर्माण के लिए स्थायी समिति, स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए स्थायी समिति समेत जन कल्याण के लिए स्थायी समिति होगी. प्रत्येक समिति में समिति के अध्यक्षों सहित सदस्यों कितनी संख्या होगी, यह जिला विकास परिषद की ओर से तय किया जाएगा ताकि अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को छोड़कर अन्य सभी निर्वाचित सदस्य किसी न किसी स्थायी समिति में से एक का सदस्य के रूप में जरूर निर्वाचित हों. प्रत्येक स्थायी समिति में जहां तक संभव हो सदस्यों की संख्या बराबर होना चाहिए.
राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया
सत्तारूढ़ भाजपा ने संशोधन को पथ प्रवर्तक पहल करार दिया है. पीएमओ कार्यालय में केंद्रीय मंत्री जतिंदर सिंह ने ट्वीट किया कि पीएम @ नरेंद्र मोदी के तहत, #जम्मू-कश्मीर में पहली बार जिला विकास परिषदों (डीडीसी) को स्थापित करने के लिए एक पथ प्रवर्तक कदम. डीडीसी, उनके निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन और चुनाव कराने के लिए जम्मू-कश्मीर पंचायती राज नियमों में संशोधन, डीडीसी को 14 निर्वाचन क्षेत्रों/जिले में विभाजित किया जाएगा.
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चूंकि अनुच्छेद-370 के निरस्त होने के बाद संशोधन आया है, इसलिए मुख्यधारा के राजनीतिक दलों ने इस फैसले पर संदेह जताया है.
बराबर सीटों का होना कितना उचित?
जम्मू- कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता रविंद्र शर्मा ने एक बयान में कहा कि जम्मू जैसे बड़े जिलों में आठ से अधिक ग्रामीण विधानसभा क्षेत्रों और कुछ अन्य बड़े जिलों के साथ केवल दो विधानसभा क्षेत्र वाले जिलों के बराबर सीटों का होना कितना उचित है?
विरोधी फैसलों,नीतियों से बदले जाने से जाने का डर
शर्मा ने कहा कि भाजपा विधानसभा चुनाव में लोगों का सामना नहीं करना चाहती है, क्योंकि वह अपने विरोधी फैसलों और नीतियों से बदले जाने से डरती है, जो लोगों को उनकी पहचान और नौकरियों और जमीन के विशेष अधिकारों से वंचित करती हैं.
नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी सहित प्रमुख क्षेत्रीय दलों ने अभी तक आधिकारिक रूप से संशोधित अधिनियम पर प्रतिक्रिया नहीं दी है.
70 वर्षों का इंतजार
संशोधित अधिनियम ने जम्मू- कश्मीर में निर्वाचित पंचायत सदस्यों के संघ अखिल जम्मू- कश्मीर पंचायत कांफ्रेंस ( एजेकेपीसी) को भी विभाजित कर दिया है. एजेकेपीसी के अध्यक्ष अनिल शर्मा ने जम्मू-कश्मीर पंचायती राज अधिनियम में संशोधन का स्वागत किया और कहा कि स्थानीय निकायों के वास्तविक सशक्तीकरण को देखने के लिए क्षेत्र के लोग 70 वर्षों से इंतजार कर रहे थे.
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जश्न मनाने का है ये समय
जम्मू में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के सभी लोग स्थानीय निकायों के वास्तविक सशक्तिकरण को देखने के लिए 70 वर्षों से इंतजार कर रहे थे और यह जश्न मनाने का समय है.
शफीक मीर ने की संशोधनों को वापस लेने की मांग
एजेकेपीसी के चेयरमैन शफीक मीर ने संशोधनों को वापस लेने की मांग की है और कहा है कि इस संस्थान में राजनीतिक कार्यकर्ताओं के प्रवेश के लिए लिए दरवाजे खोले गए हैं जो स्पष्ट रूप से अन्याय है और इसने पंचायत नेताओं का मनोबल गिराया है.
चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं
मीर ने जम्मू में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इतना ही नहीं इस संशोधन से निर्वाचित बीडीसी अध्यक्षों को मतदान का अधिकार या जिला अध्यक्ष को चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं होगा, जो कि पंचायती राज की भावना के खिलाफ है.
नवंबर-दिसंबर के बीच चुनाव होने की संभावना
सरकार के सूत्रों ने कहा कि इस संशोधित अधिनियम के साथ डीडीसी और रिक्त पंचायत सीटों के लिए चुनाव इस साल नवंबर और दिसंबर के बीच होने की संभावना है.