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देहरादून में यहां हुई थी संविधान की छपाई, आज भी संजो कर रखी गई है पहली प्रति

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Published : Jan 25, 2020, 7:26 PM IST

Updated : Feb 18, 2020, 9:45 AM IST

देश इस साल अपना 71वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. यह दिन भारत का संविधान लागू होने की खुशी से जुड़ा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में संविधान से जुड़ा एक बड़ा इतिहास मौजूद है.

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भारत के संविधान की पहली कॉपी

देहरादून : आजादी मिलने के बाद देश के संविधान का लिखित पुलिंदा तैयार करने के लिए डॉ. भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में प्रारूप समिति ने इसका मसौदा तैयार किया. दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने स्वीकार भी कर लिया. इसके बाद इस ऐतिहासिक संविधान की प्रति को छापने की जिम्मेदारी सर्वे ऑफ इंडिया को दी गई, जहां संविधान की पहली एक हजार प्रतियां छापी गईं. भारत के संविधान की छापी गई वही पहली प्रति आज भी सर्वे ऑफ इंडिया में मौजूद है.

हम सभी जानते हैं की 15 अगस्त 1947 को हमें आजादी मिली, लेकिन देश को चलाने के लिए हमारे पास कोई संविधान नहीं था. स्वतंत्र गणराज्य बनाने और कानून बनाने के लिए 26 नवम्बर 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा संविधान को अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को इसे लागू कर दिया गया.

भारतीय संविधान की पहली प्रति.

अब बारी थी संविधान को छापने की, जिसके लिए उस समय सर्वे ऑफ इंडिया देहरादून को चुना गया. खास बात ये है कि संविधान की पहली प्रति हाथ से लिखी गई थी. प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने इसे हाथ से लिखा था और कागज के चारों तरफ डिजाइन भी किया था.

पढ़े: गणतंत्र दिवस पर सुरक्षा में 48 कंपनी केंद्रीय बल, 22 हजार पुलिस जवान होंगे तैनात

सर्वे ऑफ इंडिया में आज भी वो मशीनें हैं, जिनसे सबसे पहले संविधान को प्रिंट किया गया था. ये मशीनें आधुनिक युग में बूढ़ी हो गई हैं, लेकिन ये धरोहर हैं हमारे देश की.

देहरादून के सर्वे ऑफ इंडिया में सबसे पहले प्रिंट करने वाली मशीनों के साथ ही संविधान की वो प्रति भी मौजूद है, जिसे सबसे पहले छापा गया था. सर्वे ऑफ इंडिया ने इसे संजो कर रखा है.

एन.पी.जी. (नॉर्थ प्रिंटिंग ग्रुप) और निदेशक मानचित्र, अभिलेख एंव प्रसारण केंद्र कर्नल राकेश सिंह ने बताया, 'हमारे संविधान की पहली प्रिंट की गई कॉपी हमारे पास है. जिसे हमने बहुत संजो कर रखा है ताकि ये सीलन और किसी भी वजह से खराब न हो.'

कर्नल राकेश सिंह यह भी कहते हैं कि उन्हें इस बात का गर्व है कि देश के संविधान की पहली कॉपी सर्वे ऑफ इंडिया में छपी और आज भी संस्थान इसका रखरखाव कर रहा है.

यादों के तौर पर संविधान की पहली प्रिंट की गई प्रति आज भी सर्वे ऑफ इंडिया में रखी गई है और हाथ से लिखी गई मूल प्रति दिल्ली के नेशनल म्यूजियम में मौजूद है.

देहरादून : आजादी मिलने के बाद देश के संविधान का लिखित पुलिंदा तैयार करने के लिए डॉ. भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में प्रारूप समिति ने इसका मसौदा तैयार किया. दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने स्वीकार भी कर लिया. इसके बाद इस ऐतिहासिक संविधान की प्रति को छापने की जिम्मेदारी सर्वे ऑफ इंडिया को दी गई, जहां संविधान की पहली एक हजार प्रतियां छापी गईं. भारत के संविधान की छापी गई वही पहली प्रति आज भी सर्वे ऑफ इंडिया में मौजूद है.

हम सभी जानते हैं की 15 अगस्त 1947 को हमें आजादी मिली, लेकिन देश को चलाने के लिए हमारे पास कोई संविधान नहीं था. स्वतंत्र गणराज्य बनाने और कानून बनाने के लिए 26 नवम्बर 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा संविधान को अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को इसे लागू कर दिया गया.

भारतीय संविधान की पहली प्रति.

अब बारी थी संविधान को छापने की, जिसके लिए उस समय सर्वे ऑफ इंडिया देहरादून को चुना गया. खास बात ये है कि संविधान की पहली प्रति हाथ से लिखी गई थी. प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने इसे हाथ से लिखा था और कागज के चारों तरफ डिजाइन भी किया था.

पढ़े: गणतंत्र दिवस पर सुरक्षा में 48 कंपनी केंद्रीय बल, 22 हजार पुलिस जवान होंगे तैनात

सर्वे ऑफ इंडिया में आज भी वो मशीनें हैं, जिनसे सबसे पहले संविधान को प्रिंट किया गया था. ये मशीनें आधुनिक युग में बूढ़ी हो गई हैं, लेकिन ये धरोहर हैं हमारे देश की.

देहरादून के सर्वे ऑफ इंडिया में सबसे पहले प्रिंट करने वाली मशीनों के साथ ही संविधान की वो प्रति भी मौजूद है, जिसे सबसे पहले छापा गया था. सर्वे ऑफ इंडिया ने इसे संजो कर रखा है.

एन.पी.जी. (नॉर्थ प्रिंटिंग ग्रुप) और निदेशक मानचित्र, अभिलेख एंव प्रसारण केंद्र कर्नल राकेश सिंह ने बताया, 'हमारे संविधान की पहली प्रिंट की गई कॉपी हमारे पास है. जिसे हमने बहुत संजो कर रखा है ताकि ये सीलन और किसी भी वजह से खराब न हो.'

कर्नल राकेश सिंह यह भी कहते हैं कि उन्हें इस बात का गर्व है कि देश के संविधान की पहली कॉपी सर्वे ऑफ इंडिया में छपी और आज भी संस्थान इसका रखरखाव कर रहा है.

यादों के तौर पर संविधान की पहली प्रिंट की गई प्रति आज भी सर्वे ऑफ इंडिया में रखी गई है और हाथ से लिखी गई मूल प्रति दिल्ली के नेशनल म्यूजियम में मौजूद है.

Intro:summary-देश इस साल अपना 71वां गणतंत्र दिवस मना रहा है...ये दिन भारत का संविधान लागू होने की खुशी से जुड़ा है..लेकिन क्या आप जानते हैं कि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में संविधान से जुड़ा एक ऐसा बड़ा इतिहास मौजूद है..जिसे भारत सरकार के सर्वे ऑफ इंडिया ने संजोकर रखा है...दरअसल देहरादून के सर्वे ऑफ इंडिया में भारत के संविधान की वह पहली कॉपी मौजूद है.. जो सर्वे ऑफ इंडिया की प्रिंटिंग मशीन में ही छापी गई थी... गणतंत्र दिवस पर संविधान की पहली प्रति से जुड़ी ईटीवी भारत संवाददाता नवीन उनियाल की स्पेशल रिपोर्ट....


Body:आजादी मिलने के बाद देश के संविधान का लिखित पुलिंदा तैयार करने के लिए डॉ भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में प्रारूप समिति ने इसका मसौदा तैयार किया.. दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने स्वीकार भी कर लिया... इसके बाद इस ऐतिहासिक संविधान की प्रति को छापने की जिम्मेदारी सर्वे ऑफ इंडिया को दी गई...जहां संविधान की पहली 1 हज़ार प्रतियां छापी गईं... भारत के संविधान की छापी गई वहीं पहली कॉपी आज भी सर्वे ऑफ इंडिया में मौजूद है।  हम सभी जानते हैं की 15 अगस्त 1947 को हमें आज़ादी मिली। लेकिन देश को चलाने के लिए हमारे पास कोई संविधान नहीं था। स्वतंत्र गणराज्य बनाने और देश के लिए क़ानून बनाने के लिए 26 नवम्बर 1959 को भारतीय संविधान सभा द्धारा संविधान को अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को इसे लागू कर दिया गया। अब बारी थी संविधान को छापने की जिसके लिए उस समय सर्वे ऑफ इंडिया देहरादून को चुना गया। खास बात ये है कि संविधान की पहली कॉपी को हाथ से लिखा गया था और प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने इसे हाथ से लिखा था....और कागज के चारों तरफ डिजाइन भी किया था...


BYTE- COLONEL  RAKESH SINGH, DIRECTOR SURVEY OF INDIA ON FIRST PRINTING


वो मशीने आज भी सर्वे ऑफ इंडिया में हैं जिन मशीनों से सबसे पहले संविधान को प्रिंट किया गया था। ये मशीने आधुनिक युग में आज बूढ़ी हो गई हैं लेकिन ये धरोहर हैं हमारे देश की। देहरादून के सर्वे ऑफ इंडिया में सबसे पहले प्रिंट करने वाली मशीनों के साथ ही संविधान की वो प्रति भी मौजूद है जिसे सबसे पहले छापा गया था। जिसको सर्वे ऑफ इंडिया ने संजो कर रखा है।  एन.पी.जी. (नॉर्थ प्रिंटिंग ग्रुप) औऱ निदेशक मानचित्र, अभिलेख एंव प्रसारण केंद्र कर्नल राकेश सिंह का कहना है की हमारे संविधान की ये पहली प्रिंट की गई कॉपी हमारे पास है जिसे हम बहुत संजो कर रखते हैं ताकि ये सीलन और किसी भी वजह से खराब ना हो। यही नही कर्नल राकेश सिंह कहते हैं कि उन्हें इस बात का गर्व है कि देश के संविधान की पहली कॉपी सर्वे ऑफ इंडिया में छपी और आज भी संस्थान इसके रखरखाव को कर रहा है...


BYTE- COLONEL  RAKESH SINGH, DIRECTOR SURVEY OF INDIA ON SAMVIDHAN




Conclusion:फाइनल वीओ- सर्वे ऑफ़ इंडिया देहरादून का भारत के संविधान को प्रकाशित करने में अहम् योगदान है यादों के तौर पर संविधान की पहली प्रिंटिंग की गई प्रति आज भी सर्वे ऑफ़ इंडिया में रखी गई है और हाथ से लिखी गई मूल प्रति दिल्ली के नेशनल म्यूजियम में मौजूद है। 

नवीन उनियाल etv bharat
Last Updated : Feb 18, 2020, 9:45 AM IST
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