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बिहार: मुजफ्फरपुर में 49 लोगों...वकील पर हो सकती है कार्रवाई

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Published : Oct 9, 2019, 11:09 PM IST

Updated : Oct 10, 2019, 8:13 AM IST

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में फिल्म निर्देशक मणिरत्नम सहित 49 फिल्म कलाकारों के खिलाफ देश द्रोह का मामला दर्ज कराया गया था. सीजेएम कोर्ट के आदेश के बाद सदर थाना पुलिस ने प्राथमिकि दर्ज की थी. मुजफ्फरपुर के एसएसपी ने इसे गलत करार दिया है. जानें पूरा मामला

सुधीर ओझा और एसएसपी

मुजफ्फरपुर: मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) कोर्ट में बीते 27 जुलाई, 2019 को परिवाद दर्ज किया गया था. इस मामले में कोर्ट के आदेश पर 49 हस्तियों पर देशद्रोह का प्राथमिकी (FIR) की गई थी. अब केस में नया मोड़ आया है. मुजफ्फरपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) ने मुकदमे को गलत ठहरा दिया है. पूरे मामले में परिवादी सुधीर ओझा पर कार्रवाई की जा सकती है.

दरअसल, मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखने वाले 49 नामी लोगों के खिलाफ 3 अक्टूबर को मुजफ्फरपुर में केस दर्ज किया गया था. इस केस को यहां के वकील सुधीर ओझा ने दर्ज करवाया था.

कोर्ट के आदेश पर सदर थाने में दर्ज मामले को मुजफ्फरपुर के एसएसपी मनोज कुमार ने जांच के बाद गलत ठहराया है. एसएसपी ने अधिवक्ता सुधीर ओझा के खिलाफ गलत मामला दर्ज कराने को लेकर कार्रवाई का आदेश दिया है. इसको लेकर अब अधिवक्ता सुधीर ओझा पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है.

मुजफ्फरपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिन्हा ने बुधवार को कहा कि मामला बंद करने के लिये सदर पुलिस थाना को निर्देश जारी किया गया है, जहां पिछले हफ्ते प्राथमिकी दर्ज की गई थी. सिन्हा ने कहा, 'राजद्रोह मामला बंद करने का आदेश दिया गया है. मामला बंद करने का अनुरोध (क्लोजर रिपोर्ट) प्रक्रिया के तहत अदालत को सौंपा जाएगा.'

हालांकि, एसएसपी ने और अधिक जानकारी नहीं दी. वहीं, पुलिस सूत्रों ने दावा किया कि अब तक की जांच में यह बात सामने आई है कि आरोपियों के खिलाफ लगाए गए आरोप शरारतपूर्ण हैं और उनमें कोई ठोस आधार नहीं है.

बता दें कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सूर्य कांत तिवारी ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) की धारा 156 (3) के तहत दायर याचिका अगस्त में स्वीकार कर ली थी. इस बाबत तीन अक्टूबर को निर्देश मिलने पर पुलिस ने राजद्रोह समेत अन्य धाराओं में एक प्राथमिकी दर्ज की थी.

कई नामी हस्तियों पर दर्ज हुआ था केस
मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखने वाले 49 नामी लोगों के खिलाफ 3 अक्टूबर को मुजफ्फरपुर में केस दर्ज किया गया था. नामी हस्तियों में रामचंद्र गुहा, मणिरत्नम और अपर्णा सेन समेत कई हस्तियों पर केस दर्ज किया गया था. स्थानीय वकील सुधीर कुमार ओझा की ओर से 2 महीने पहले दायर याचिका पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) सूर्यकांत तिवारी के आदेश के बाद मामला दर्ज किया गया था.

एक नजर पूरे मामले पर...
मुजफ्फरपुर के सीजेएम कोर्ट में असहिष्णुता मामले में 27 जुलाई 2019 को फिल्म निर्देशक मणिरत्नम सहित 49 फिल्म कलाकारों के खिलाफ परिवाद दर्ज किया गया था.
इस मामले में कोर्ट के आदेश पर सदर थाना पुलिस ने प्राथमिकि दर्ज की थी.

  • 49 फिल्मी कलाकारों पर देशद्रोह का मुकदमा किया गया था.
  • सीजेएम कोर्ट में मुख्यन्यायिक दंडाधिकारी सूर्यकांत तिवारी की अदालत में अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा ने अभिनेत्री अपर्णा सेन, सौमित्र चटर्जी, श्याम बेनेगल सहित 49 फिल्म कलाकारों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया था.
  • आरोप था कि इन लोगों ने मॉब लिंचिंग और असहिष्णुता को लेकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था, और इस बात की गोपनीयता को भंग करते हुए इसका काफी प्रचार-प्रसार भी किया था. इससे विदेशों में देश की छवि खराब हुई. उन लोगों ने अलगाववादियों के साथ मिलकर देश को विखंडित करने का काम किया है.

पढ़ेंः 49 हस्तियों के खिलाफ FIR, विपक्ष बोला- 'क्या मोदी का विरोध करना अपराध है ?

'देश को विभाजित करने की कोशिश'
याचिकाकर्ता ने बताया कि इन 49 हस्तियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था, जिसमें कहा गया था कि इन दिनों ‘जय श्री राम’ हिंसा भड़काने का एक नारा बन गया है. इसके नाम पर मॉब लिंचिंग की घटनाएं हो रही हैं. इन मामलों पर तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए.

पत्र में मुसलमानों, दलितों और अन्य अल्पसंख्यकों के साथ हुई लिंचिंग का जिक्र करते हुए एनसीआरबी के एक डाटा का भी हवाला दिया गया था. इस पत्र के माध्यम से देश को विभाजित करने की कोशिश की गई है. कोर्ट के आदेश पर सदर थाना ने सभी के खिलाफ प्राथमिकि दर्ज कर ली है.

(एक्सट्रा इनपुट- पीटीआई)

मुजफ्फरपुर: मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) कोर्ट में बीते 27 जुलाई, 2019 को परिवाद दर्ज किया गया था. इस मामले में कोर्ट के आदेश पर 49 हस्तियों पर देशद्रोह का प्राथमिकी (FIR) की गई थी. अब केस में नया मोड़ आया है. मुजफ्फरपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) ने मुकदमे को गलत ठहरा दिया है. पूरे मामले में परिवादी सुधीर ओझा पर कार्रवाई की जा सकती है.

दरअसल, मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखने वाले 49 नामी लोगों के खिलाफ 3 अक्टूबर को मुजफ्फरपुर में केस दर्ज किया गया था. इस केस को यहां के वकील सुधीर ओझा ने दर्ज करवाया था.

कोर्ट के आदेश पर सदर थाने में दर्ज मामले को मुजफ्फरपुर के एसएसपी मनोज कुमार ने जांच के बाद गलत ठहराया है. एसएसपी ने अधिवक्ता सुधीर ओझा के खिलाफ गलत मामला दर्ज कराने को लेकर कार्रवाई का आदेश दिया है. इसको लेकर अब अधिवक्ता सुधीर ओझा पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है.

मुजफ्फरपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिन्हा ने बुधवार को कहा कि मामला बंद करने के लिये सदर पुलिस थाना को निर्देश जारी किया गया है, जहां पिछले हफ्ते प्राथमिकी दर्ज की गई थी. सिन्हा ने कहा, 'राजद्रोह मामला बंद करने का आदेश दिया गया है. मामला बंद करने का अनुरोध (क्लोजर रिपोर्ट) प्रक्रिया के तहत अदालत को सौंपा जाएगा.'

हालांकि, एसएसपी ने और अधिक जानकारी नहीं दी. वहीं, पुलिस सूत्रों ने दावा किया कि अब तक की जांच में यह बात सामने आई है कि आरोपियों के खिलाफ लगाए गए आरोप शरारतपूर्ण हैं और उनमें कोई ठोस आधार नहीं है.

बता दें कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सूर्य कांत तिवारी ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) की धारा 156 (3) के तहत दायर याचिका अगस्त में स्वीकार कर ली थी. इस बाबत तीन अक्टूबर को निर्देश मिलने पर पुलिस ने राजद्रोह समेत अन्य धाराओं में एक प्राथमिकी दर्ज की थी.

कई नामी हस्तियों पर दर्ज हुआ था केस
मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखने वाले 49 नामी लोगों के खिलाफ 3 अक्टूबर को मुजफ्फरपुर में केस दर्ज किया गया था. नामी हस्तियों में रामचंद्र गुहा, मणिरत्नम और अपर्णा सेन समेत कई हस्तियों पर केस दर्ज किया गया था. स्थानीय वकील सुधीर कुमार ओझा की ओर से 2 महीने पहले दायर याचिका पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) सूर्यकांत तिवारी के आदेश के बाद मामला दर्ज किया गया था.

एक नजर पूरे मामले पर...
मुजफ्फरपुर के सीजेएम कोर्ट में असहिष्णुता मामले में 27 जुलाई 2019 को फिल्म निर्देशक मणिरत्नम सहित 49 फिल्म कलाकारों के खिलाफ परिवाद दर्ज किया गया था.
इस मामले में कोर्ट के आदेश पर सदर थाना पुलिस ने प्राथमिकि दर्ज की थी.

  • 49 फिल्मी कलाकारों पर देशद्रोह का मुकदमा किया गया था.
  • सीजेएम कोर्ट में मुख्यन्यायिक दंडाधिकारी सूर्यकांत तिवारी की अदालत में अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा ने अभिनेत्री अपर्णा सेन, सौमित्र चटर्जी, श्याम बेनेगल सहित 49 फिल्म कलाकारों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया था.
  • आरोप था कि इन लोगों ने मॉब लिंचिंग और असहिष्णुता को लेकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था, और इस बात की गोपनीयता को भंग करते हुए इसका काफी प्रचार-प्रसार भी किया था. इससे विदेशों में देश की छवि खराब हुई. उन लोगों ने अलगाववादियों के साथ मिलकर देश को विखंडित करने का काम किया है.

पढ़ेंः 49 हस्तियों के खिलाफ FIR, विपक्ष बोला- 'क्या मोदी का विरोध करना अपराध है ?

'देश को विभाजित करने की कोशिश'
याचिकाकर्ता ने बताया कि इन 49 हस्तियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था, जिसमें कहा गया था कि इन दिनों ‘जय श्री राम’ हिंसा भड़काने का एक नारा बन गया है. इसके नाम पर मॉब लिंचिंग की घटनाएं हो रही हैं. इन मामलों पर तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए.

पत्र में मुसलमानों, दलितों और अन्य अल्पसंख्यकों के साथ हुई लिंचिंग का जिक्र करते हुए एनसीआरबी के एक डाटा का भी हवाला दिया गया था. इस पत्र के माध्यम से देश को विभाजित करने की कोशिश की गई है. कोर्ट के आदेश पर सदर थाना ने सभी के खिलाफ प्राथमिकि दर्ज कर ली है.

(एक्सट्रा इनपुट- पीटीआई)

Intro:मुजफ्फरपुर में 49 हस्तियों पर केस मामले में नया मोड़, एसएसपी ने मुकदमे को ठहराया गलत, सुधीर ओझा पर कार्रवाई की लटकी तलवार!
दरअसल मुजफ्फरपुर में 49 नामी लोगों पर केस दर्ज करने के मामले में नया मोड़ आ गया है। कोर्ट के आदेश पर सदर थाने में दर्ज मामले को मुजफ्फरपुर के एसएसपी मनोज कुमार ने जांच के बाद गलत ठहराया है। एसएसपी ने अधिवक्ता सुधीर ओझा के खिलाफ गलत मामला दर्ज कराने को लेकर अभियोजन को आदेश दिया है। इसको लेकर अब अधिवक्ता सुधीर ओझा पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है।

बता दें कि मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखने वाले 49 नामी लोगों के खिलाफ 3 अक्टूबर को मुजफ्फरपुर में केस दर्ज किया गया था। इसमें रामचंद्र गुहा, मणिरत्नम और अपर्णा सेन समेत कई हस्तियों के नाम शामिल हैं।
स्थानीय वकील सुधीर कुमार ओझा की ओर से 2 महीने पहले दायर याचिका पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) सूर्यकांत तिवारी के आदेश के बाद मामला दर्ज किया गया था।Body:NoConclusion:No
Last Updated : Oct 10, 2019, 8:13 AM IST
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