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आंकड़ों के जरिए समझिए क्या है बिहार में नल-जल की जमीनी हकीकत

बिहार सरकार की नल जल योजना पर सियासत तेज हो गई है. आरजेडी के विधायक विजय प्रकाश ने कहा कि सरकार अपने वादे में फेल रही है.

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अशोक राम ,कांग्रेस नेता
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Published : Feb 18, 2020, 9:48 PM IST

Updated : Mar 1, 2020, 6:54 PM IST

पटना: बिहार में साल 2015 में कराए गए विधानसभा चुनाव के वक्त जनता दल यूनाइटेड ने सात निश्चय कार्यक्रम के नाम से मेनिफेस्टो जारी किया था. इसमें हर घर नल का जल पहुंचाने की बात कही गई थी. विपक्ष का कहना है कि सरकार 5 साल का कार्यकाल पूरा करने की कगार पर है, लेकिन पूरा समय बीतने के बावजूद अभी भी इस योजना का लाभ कई लोगों तक नहीं पहुंचा है.

दरअसल, 2015 के विधानसभा चुनाव में भी नीतीश कुमार ने सात निश्चय संबंधित महत्वपूर्ण योजनाओं की बात कही थी. जिसमें अति महत्वपूर्ण हर घर नल का जल योजना है. इस योजना के तहत शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के हर घरों को नल के जल से जोड़ना था. विपक्षी दलों का कहना है लेकिन 4 साल से ज्यादा समय बीतने के बावजूद अभी भी कई जिले इस योजना को पूरा करने में नाकाम साबित हुई है.

ईटीवी की खास रिपोर्ट

हर घर नल का जल शहरी क्षेत्र
इस योजना के तहत सूबे के 38 जिलों के शहरी क्षत्रों में 12 लाख 90 हजार 881 घरों तक नल का जल पहुंचाने का लक्ष्य था. 7 लाख 15 हजार 206 घरों तक नल का जल पहुंचाने का दावा सरकारी आंकड़ों में किया जा रहा है.

2020 तक लक्ष्य है निर्धारित
इन जिलों की स्थिति काफी दयनीय है. लक्ष्य के अनुपात (%) में उपलब्धि (यह आंकड़ा दिसंबर 2019 तक का है) इस योजना को मार्च 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया.

हर घर नल जल शहरी क्षेत्र का हाल :-

अररिया - 11.4 %

पूर्णिया - 17.5 %

बेतिया - 18.4%

औरंगाबाद - 24.1 %

खगड़िया - 27%

कटिहार - 29%

बेगूसराय - 32 %

मुंगेर - 34%

भागलपुर - 35%

पटना - 35%

सहरसा - 38%

हर घर नल का जल ग्रामीण क्षेत्र का हाल
1 करोड़ 77 लाख 87 हजार 411 घरों तक इस योजना को पहुंचाना लक्ष्य रखा गया था. अभी तक 87 लाख 36 हजार 039 घरों तक इस योजना को पहुंचाया जा चुका है. मार्च 2020 तक लक्ष्य को पूरा करना था.

ये भी पढ़े:-'pk जो आज कह रहे हैं, ये बात तो कांग्रेस बीते 15 सालों से कर रही'

इन जिलों के गांव तक नल का जल पहुंचाने का हाल

अररिया - 3%

सुपौल - 3.8%

सहरसा - 3.4%

कटिहार - 5.6%

मधेपुरा - 5.8%

पूर्णिया - 9.3 %

किशनगंज - 8.4%

बेगूसराय - 9.6 %

खगड़िया - 20.1%

विपक्ष का सरकार पर आरोप
हर घर नल का जल इस हाल पर विपक्ष सरकार पर सवाल दाग रहा है. आरजेडी विधायक विजय प्रकाश का कहना है कि इस योजना के तहत जमकर लूट और भ्रष्टाचार किया गया है. इसमें टंकी और पानी के पाइप की गुणवत्ता का कोई ख्याल नहीं रखा गया. बता दें कि विजय प्रकाश जमुई जिले से आते हैं, जहां गर्मी के दिनों में पेयजल की विकट समस्या आती रहती है. आरजेडी विधायक ने कहा कि आगामी 2 महीनों में इलाकों में पेयजल की बड़ी समस्या होने वाली है. नीतीश सरकार हर घर नल का जल पहुंचाने का दावा करती है. लेकिन जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग है.

'जांच के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई'
वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और रोसरा से विधायक अशोक राम का मानना है कि इस योजना का लाभ 95% लोगों तक नहीं पहुंच रहा. डॉ. अशोक राम भी इस योजना के तहत लगाए जाने वाले सामग्री के गुणवत्ता पर सवाल खड़ा कर रहे हैं. उन्होंने तो यहां तक कहा कि हम से जांच रिपोर्ट मांगी गई थी लेकिन उसके बाद कोई कार्रवाई नहीं हुई. इस योजना के आड़ में सरकार भले ही वाहवाही लेने की कोशिश कर रही हो लेकिन जमीनी हकीकत क्षेत्र में सभी को पता है.

क्या है राजनीतिक जानकार का मानना
इस मामले में राजनीतिक जानकार और पूर्व एमएलसी प्रेम कुमार मणि ने कहा कि सरकारी योजना हमेशा बेहतरी के लिए होती है. सात निश्चय योजना में रोजगार शिक्षा और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को भी जोड़ कर इसका आकार बड़ा करना चाहिए. जिससे लोगों तक शिक्षा और रोजगार का लाभ मिल सके, तो ये और भी अच्छा होता.

यह भी पढ़ें-15 साल पहले बिहार विकास के मापदंडों पर जहां खड़ा था,आज भी वहीं है : प्रशांत किशोर

2020 में है चुनाव
गौरतलब है कि पिछले चुनाव में सात निश्चय योजना के तहत कई कार्यक्रमों की शुरुआत की गई थी. सभी कार्यक्रमों का लक्ष्य मार्च 2020 तक रखा गया. अब फिर से बिहार में चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में नीतीश सरकार इसको लेकर जनता के बीच अपने कामों का बखान करेगी. लेकिन विपक्ष इस योजनाओं की खामियां निकाल कर सरकार को घेरने की तैयारी में है.

पटना: बिहार में साल 2015 में कराए गए विधानसभा चुनाव के वक्त जनता दल यूनाइटेड ने सात निश्चय कार्यक्रम के नाम से मेनिफेस्टो जारी किया था. इसमें हर घर नल का जल पहुंचाने की बात कही गई थी. विपक्ष का कहना है कि सरकार 5 साल का कार्यकाल पूरा करने की कगार पर है, लेकिन पूरा समय बीतने के बावजूद अभी भी इस योजना का लाभ कई लोगों तक नहीं पहुंचा है.

दरअसल, 2015 के विधानसभा चुनाव में भी नीतीश कुमार ने सात निश्चय संबंधित महत्वपूर्ण योजनाओं की बात कही थी. जिसमें अति महत्वपूर्ण हर घर नल का जल योजना है. इस योजना के तहत शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के हर घरों को नल के जल से जोड़ना था. विपक्षी दलों का कहना है लेकिन 4 साल से ज्यादा समय बीतने के बावजूद अभी भी कई जिले इस योजना को पूरा करने में नाकाम साबित हुई है.

ईटीवी की खास रिपोर्ट

हर घर नल का जल शहरी क्षेत्र
इस योजना के तहत सूबे के 38 जिलों के शहरी क्षत्रों में 12 लाख 90 हजार 881 घरों तक नल का जल पहुंचाने का लक्ष्य था. 7 लाख 15 हजार 206 घरों तक नल का जल पहुंचाने का दावा सरकारी आंकड़ों में किया जा रहा है.

2020 तक लक्ष्य है निर्धारित
इन जिलों की स्थिति काफी दयनीय है. लक्ष्य के अनुपात (%) में उपलब्धि (यह आंकड़ा दिसंबर 2019 तक का है) इस योजना को मार्च 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया.

हर घर नल जल शहरी क्षेत्र का हाल :-

अररिया - 11.4 %

पूर्णिया - 17.5 %

बेतिया - 18.4%

औरंगाबाद - 24.1 %

खगड़िया - 27%

कटिहार - 29%

बेगूसराय - 32 %

मुंगेर - 34%

भागलपुर - 35%

पटना - 35%

सहरसा - 38%

हर घर नल का जल ग्रामीण क्षेत्र का हाल
1 करोड़ 77 लाख 87 हजार 411 घरों तक इस योजना को पहुंचाना लक्ष्य रखा गया था. अभी तक 87 लाख 36 हजार 039 घरों तक इस योजना को पहुंचाया जा चुका है. मार्च 2020 तक लक्ष्य को पूरा करना था.

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इन जिलों के गांव तक नल का जल पहुंचाने का हाल

अररिया - 3%

सुपौल - 3.8%

सहरसा - 3.4%

कटिहार - 5.6%

मधेपुरा - 5.8%

पूर्णिया - 9.3 %

किशनगंज - 8.4%

बेगूसराय - 9.6 %

खगड़िया - 20.1%

विपक्ष का सरकार पर आरोप
हर घर नल का जल इस हाल पर विपक्ष सरकार पर सवाल दाग रहा है. आरजेडी विधायक विजय प्रकाश का कहना है कि इस योजना के तहत जमकर लूट और भ्रष्टाचार किया गया है. इसमें टंकी और पानी के पाइप की गुणवत्ता का कोई ख्याल नहीं रखा गया. बता दें कि विजय प्रकाश जमुई जिले से आते हैं, जहां गर्मी के दिनों में पेयजल की विकट समस्या आती रहती है. आरजेडी विधायक ने कहा कि आगामी 2 महीनों में इलाकों में पेयजल की बड़ी समस्या होने वाली है. नीतीश सरकार हर घर नल का जल पहुंचाने का दावा करती है. लेकिन जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग है.

'जांच के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई'
वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और रोसरा से विधायक अशोक राम का मानना है कि इस योजना का लाभ 95% लोगों तक नहीं पहुंच रहा. डॉ. अशोक राम भी इस योजना के तहत लगाए जाने वाले सामग्री के गुणवत्ता पर सवाल खड़ा कर रहे हैं. उन्होंने तो यहां तक कहा कि हम से जांच रिपोर्ट मांगी गई थी लेकिन उसके बाद कोई कार्रवाई नहीं हुई. इस योजना के आड़ में सरकार भले ही वाहवाही लेने की कोशिश कर रही हो लेकिन जमीनी हकीकत क्षेत्र में सभी को पता है.

क्या है राजनीतिक जानकार का मानना
इस मामले में राजनीतिक जानकार और पूर्व एमएलसी प्रेम कुमार मणि ने कहा कि सरकारी योजना हमेशा बेहतरी के लिए होती है. सात निश्चय योजना में रोजगार शिक्षा और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को भी जोड़ कर इसका आकार बड़ा करना चाहिए. जिससे लोगों तक शिक्षा और रोजगार का लाभ मिल सके, तो ये और भी अच्छा होता.

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2020 में है चुनाव
गौरतलब है कि पिछले चुनाव में सात निश्चय योजना के तहत कई कार्यक्रमों की शुरुआत की गई थी. सभी कार्यक्रमों का लक्ष्य मार्च 2020 तक रखा गया. अब फिर से बिहार में चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में नीतीश सरकार इसको लेकर जनता के बीच अपने कामों का बखान करेगी. लेकिन विपक्ष इस योजनाओं की खामियां निकाल कर सरकार को घेरने की तैयारी में है.

Last Updated : Mar 1, 2020, 6:54 PM IST
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