ETV Bharat / bharat

नोटबंदी के बाद 50 लाख नौकरियां समाप्त, युवा सर्वाधिक प्रभावित: रिपोर्ट - report

अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के अनुसार 2016-18 के बीच करीब 50 लाख लोगों ने अपनी नौकरियां गंवाई है. यह रिपोर्ट सीएमआईआई-सीपीडीएक्स के आंकड़ों पर आधारित है.

प्रतिकात्मक तस्वीर.
author img

By

Published : Apr 17, 2019, 5:51 PM IST

Updated : Apr 17, 2019, 9:33 PM IST

नई दिल्ली. वर्ष 2016-2018 के बीच करीब 50 लाख लोगों ने अपनी नौकरियां गंवा दी है. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि नौकरियों में 'गिरावट की शुरुआत' नोटबंदी के साथ शुरू हुई. हालांकि इन रुझानों का 'कोई सीधा संबंध स्थापित नहीं किया जा सका है.'

अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी की यह रिपोर्ट सीएमआईई-सीपीडीएक्स के आंकड़ों पर आधारित है, जिसमें बताया गया है कि भारत के बेरोजगारों में अधिकांश युवा हैं. रिपोर्पट का शीर्षक 'स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया' है.

बयान के अनुसार, "सामान्य तौर पर, महिलाएं पुरुषों से ज्यादा प्रभावित हैं. उनमें बेरोजगारी दर ज्यादा है. इसके साथ ही श्रम बल भागीदारी दर भी कम है."

रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि सामान्य तौर पर बेरोजगारी 2011 के बाद धीरे-धीरे बढ़ी है. आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण और सीएमआईई-सीपीडीएक्स की रपट में बताया गया है कि 2018 में कुल बेरोजगारी दर छह प्रतिशत के आस-पास है, जो कि 2000 से 2011 के बीच के आंकड़े से दोगुना है.

रिपोर्ट के अनुसार, "शहरी महिलाओं में, कार्यशील आयु आबादी में स्नातक महिलाएं 10 प्रतिशत हैं, जबकि इनमें 34 प्रतिशत बेरोजगार हैं. 20-24 वर्ष आयु समूह में सबसे ज्यादा बेरोजगारी है.

रिपोर्ट के अनुसार, "शहरी पुरुषों में, उदाहरण के लिए इस आयु समूह की कार्यशील आयु आबादी में 13.5 प्रतिशत हैं, लेकिन इसमें 60 प्रतिशत आबादी बेरोजगार है."

पढ़ें: गिरिराज के बयान पर कांग्रेस का पलटवार, 'मोदी का पाक से है खास लगाव'

इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि 'उच्च शैक्षणिक योग्यता वालों के बीच खुली बेरोजगारी में वृद्धि के अलावा, कम पढ़े-लिखे नौकरीपेशा लोगों ने नौकरियां गंवाई है और 2016 के बाद काम के अवसर में भी कमी आई है.'

अमिताभ कांत (सीईओ, नीति आयोग)

इसी विषय पर नीति आयोग के सीईओ ने कहा कि उन्होंने अभी रिपोर्ट देखी नहीं है. इसे पढ़ना पड़ेगा.

नई दिल्ली. वर्ष 2016-2018 के बीच करीब 50 लाख लोगों ने अपनी नौकरियां गंवा दी है. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि नौकरियों में 'गिरावट की शुरुआत' नोटबंदी के साथ शुरू हुई. हालांकि इन रुझानों का 'कोई सीधा संबंध स्थापित नहीं किया जा सका है.'

अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी की यह रिपोर्ट सीएमआईई-सीपीडीएक्स के आंकड़ों पर आधारित है, जिसमें बताया गया है कि भारत के बेरोजगारों में अधिकांश युवा हैं. रिपोर्पट का शीर्षक 'स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया' है.

बयान के अनुसार, "सामान्य तौर पर, महिलाएं पुरुषों से ज्यादा प्रभावित हैं. उनमें बेरोजगारी दर ज्यादा है. इसके साथ ही श्रम बल भागीदारी दर भी कम है."

रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि सामान्य तौर पर बेरोजगारी 2011 के बाद धीरे-धीरे बढ़ी है. आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण और सीएमआईई-सीपीडीएक्स की रपट में बताया गया है कि 2018 में कुल बेरोजगारी दर छह प्रतिशत के आस-पास है, जो कि 2000 से 2011 के बीच के आंकड़े से दोगुना है.

रिपोर्ट के अनुसार, "शहरी महिलाओं में, कार्यशील आयु आबादी में स्नातक महिलाएं 10 प्रतिशत हैं, जबकि इनमें 34 प्रतिशत बेरोजगार हैं. 20-24 वर्ष आयु समूह में सबसे ज्यादा बेरोजगारी है.

रिपोर्ट के अनुसार, "शहरी पुरुषों में, उदाहरण के लिए इस आयु समूह की कार्यशील आयु आबादी में 13.5 प्रतिशत हैं, लेकिन इसमें 60 प्रतिशत आबादी बेरोजगार है."

पढ़ें: गिरिराज के बयान पर कांग्रेस का पलटवार, 'मोदी का पाक से है खास लगाव'

इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि 'उच्च शैक्षणिक योग्यता वालों के बीच खुली बेरोजगारी में वृद्धि के अलावा, कम पढ़े-लिखे नौकरीपेशा लोगों ने नौकरियां गंवाई है और 2016 के बाद काम के अवसर में भी कमी आई है.'

अमिताभ कांत (सीईओ, नीति आयोग)

इसी विषय पर नीति आयोग के सीईओ ने कहा कि उन्होंने अभी रिपोर्ट देखी नहीं है. इसे पढ़ना पड़ेगा.

Intro:Body:Conclusion:
Last Updated : Apr 17, 2019, 9:33 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.