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पिता शेख अब्दुल्ला के ही बनाए कानून के तहत गिरफ्तार हुए हैं फारुख अब्दुल्ला

1978 में जम्मू कश्मीर में लकड़ी तस्करों को रोकने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री और फारुख अब्दुल्ला के पिता शेख अब्दुल्ला ने एक कानून बताया था लेकिन उन्होंने सोचा नहीं होगा कि एक दिन इस कानून के तहत उनके ही बेटे को गिरफ्तार कर लिया जाएगा.

फारुख अब्दुल्ला
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Published : Sep 18, 2019, 12:59 PM IST

Updated : Oct 1, 2019, 1:18 AM IST

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारुख अब्दुल्ला को जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत गिरफ्तार किया गया है. यह कानून उनके पिता और पूर्व मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला ने 1978 में लागू किया था. उन्होंने कभी सोचा नहीं होगा कि उनके द्वारा लाए गए कानून के तहत एक दिन उनके बेटे फारूक अब्दुल्ला को ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा.

दरअसल, इस कानून को राज्य में लकड़ी की तस्करी से निपटने के लिये लागू किया गया था. अधिकारियों ने सोमवार को कहा कि कठोर जन सुरक्षा कानून जम्मू-कश्मीर में लकड़ी की तस्करी को रोकने के लिये लागू किया गया था क्योंकि उस समय ऐसे अपराध में शामिल लोग मामूली हिरासत के बाद आसानी से छूट जाते थे.

शेख अब्दुल्ला लकड़ी तस्करों के खिलाफ अधिनियम को एक निवारक के रूप में लाए थे जिसके तहत बिना किसी मुकदमे के दो साल तक जेल की सजा देने का प्रावधान किया गया.

अधिकारियों ने कहा कि 1990 के दशक की शुरुआत में जब राज्य में उग्रवाद भड़का तो यह अधिनियम पुलिस और सुरक्षा बलों के काम आया.

पढ़ें-फारूक अब्दुल्ला PSA के तहत हिरासत में लिए गए

1990 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने राज्य में विवादास्पद सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम को लागू किया तो बड़े पैमाने पर पीएसए का इस्तेमाल पर लोगों को पकड़ने के लिये किया गया.

पुलिस ने तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके और पांच बार के सांसद फारूक अब्दुल्ला को चार दशक पुराने इस कानून के तहत हिरासत में ले लिया.

बता दें, पीएसए के तहत हिरासत की एक आधिकारिक समिति द्वारा समय समय पर समीक्षा की जाती है और इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है.

2012 में कानून में संशोधन कर कुछ कड़े प्रावधानों में छूट दी गई. संशोधन के बाद, बिना किसी मुकदमे के पहली बार अपराधी या व्यक्ति को हिरासत में रखने की अवधि दो साल से घटाकर छह महीने कर दी गई.

पढ़ें-SC ने फारुख अब्दुल्ला की हिरासत पर केंद्र से मांगा जवाब

उन्होंने कहा कि हालांकि, यदि आवश्यक हो, तो हिरासत को दो वर्ष तक बढ़ाने के लिए अधिनियम में प्रावधान रखा गया है.

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारुख अब्दुल्ला को जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत गिरफ्तार किया गया है. यह कानून उनके पिता और पूर्व मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला ने 1978 में लागू किया था. उन्होंने कभी सोचा नहीं होगा कि उनके द्वारा लाए गए कानून के तहत एक दिन उनके बेटे फारूक अब्दुल्ला को ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा.

दरअसल, इस कानून को राज्य में लकड़ी की तस्करी से निपटने के लिये लागू किया गया था. अधिकारियों ने सोमवार को कहा कि कठोर जन सुरक्षा कानून जम्मू-कश्मीर में लकड़ी की तस्करी को रोकने के लिये लागू किया गया था क्योंकि उस समय ऐसे अपराध में शामिल लोग मामूली हिरासत के बाद आसानी से छूट जाते थे.

शेख अब्दुल्ला लकड़ी तस्करों के खिलाफ अधिनियम को एक निवारक के रूप में लाए थे जिसके तहत बिना किसी मुकदमे के दो साल तक जेल की सजा देने का प्रावधान किया गया.

अधिकारियों ने कहा कि 1990 के दशक की शुरुआत में जब राज्य में उग्रवाद भड़का तो यह अधिनियम पुलिस और सुरक्षा बलों के काम आया.

पढ़ें-फारूक अब्दुल्ला PSA के तहत हिरासत में लिए गए

1990 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने राज्य में विवादास्पद सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम को लागू किया तो बड़े पैमाने पर पीएसए का इस्तेमाल पर लोगों को पकड़ने के लिये किया गया.

पुलिस ने तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके और पांच बार के सांसद फारूक अब्दुल्ला को चार दशक पुराने इस कानून के तहत हिरासत में ले लिया.

बता दें, पीएसए के तहत हिरासत की एक आधिकारिक समिति द्वारा समय समय पर समीक्षा की जाती है और इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है.

2012 में कानून में संशोधन कर कुछ कड़े प्रावधानों में छूट दी गई. संशोधन के बाद, बिना किसी मुकदमे के पहली बार अपराधी या व्यक्ति को हिरासत में रखने की अवधि दो साल से घटाकर छह महीने कर दी गई.

पढ़ें-SC ने फारुख अब्दुल्ला की हिरासत पर केंद्र से मांगा जवाब

उन्होंने कहा कि हालांकि, यदि आवश्यक हो, तो हिरासत को दो वर्ष तक बढ़ाने के लिए अधिनियम में प्रावधान रखा गया है.

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JK-PSA-SHEIKH
Farooq arrested under four-decade old law enacted by father Sheikh Abdullah
By Sumir Kaul
         Srinagar, Sep 16 (PTI) Never would Sheikh Abdullah have imagined that his son Farooq would one day be arrested under the Public Safety Act (PSA) which he, as the chief minister of Jammu and Kashmir in 1978, enacted to fight timber smugglers in the state.
         The stringent PSA was introduced in Jammu and Kashmir to tackle timber smuggling as those involved in the crime at that time would easily get away with minimal detention, officials said on Monday.
         Sheikh Abdullah brought the Act as a deterrent against timber smugglers as it provided a jail term, without a trial, for up to two years.
         However, this Act came in handy for the police and security forces during the early 1990s when militancy erupted in the state, the officials said.
         After the then Union home minister Mufti Mohammed Sayeed enforced the controversial Armed Forces (Special Powers) Act in the state in 1990, the PSA was used rampantly for picking up people in the state.
         On Monday though, the four-decade old act was used by the police to detain Sheikh Abdullah's son Farooq, himself a three-term chief minister and five-time parliamentarian.
         Detention under the PSA is subject to periodic review by an official screening committee and can be challenged in high court.
         The Act was amended in 2012 and some of its stricter provisions were relaxed. After the amendment, period up to which a first-time offender or individual can be put in detention without trial was reduced from two years to six months.
         However, a provision has been kept in the Act to extend the detention, if necessary, to up to two years, they said.
         Sheikh Abdullah's grandson, Omar Abdullah, who has also served the state as a chief minister, had promised during the Lok Sabha elections that if his government comes to power in the state, it would press for abolition of the PSA. PTI SKL ACB
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Last Updated : Oct 1, 2019, 1:18 AM IST
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