श्रीनगर : नेशनल कॉन्फ्रेंस ने मंगलवार को कहा कि पार्टी अध्यक्ष और संसद के सदस्य फारूक अब्दुल्ला रोशनी अधिनियम के लाभार्थी नहीं थे और मीडिया में जो खबरें आ रही हैं, वे आधारहीन हैं.
पार्टी के प्रवक्ता इमरान नबी डार ने कहा कि सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि डॉ. फारूक अब्दुल्ला रोशनी अधिनियम के लाभार्थी हैं, जो पूरी तरह से झूठी है और इस झूठ को प्रचारित किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि अब्दुल्ला ने श्रीनगर या जम्मू में अपने निवास स्थान के लिए रोशनी योजना का लाभ नहीं उठाया है और जो भी कहता है वह झूठ बोल रहा है. इस कहानी को रचने के लिए वे सूत्रों का उपयोग कर रहे हैं, इससे पता चलता है कि उनके पास पेश करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं.
हालांकि, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने रोशनी जमीन घोटाले को भारत का सबसे बड़ा जमीन घोटाला करार दिया और नेशनल कॉन्फ्रेंस एवं अन्य से सवाल किया कि तीन पीढ़ियों तक जम्मू कश्मीर पर शासन करने के बाद भी सरकारी जमीन 'हथियाने' की ऐसा कौन सी जरूरत आ पड़ी. उन्होंने गुपकार गठबंधन को स्वार्थ, घोटाले और पृथकवाद का प्रतीक बताया.
ठाकुर ने संवाददाताओं से कहा कि रोशनी योजना भारत का सबसे बड़ा जमीन घोटाला है. उन्हें (फारूक अब्दुल्ला एवं अन्य को) लोगों के सामने स्पष्ट करना चाहिए कि उन्होंने राज्य की सरकारी जमीन क्यों हथियाई और कब्जे को वैध बनाने के लिए कानून बनाए, जबकि उन्होंने तीन पीढ़ियों तक राज्य में शासन किया.
ठाकुर ने कहा, 'नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेताओं ने सरकारी जमीन का अतिक्रमण किया. श्रीनगर एवं जम्मू में पार्टी के कार्यालय उसी योजना के तहत उनके पास आए.'
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बता दें कि इससे पहले केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आरोप लगाया था कि फारूक अब्दुल्ला ने इसके तहत जम्मू-कश्मीर के वन भूमि पर कब्जा कर रखा है. 1998 में उन्होंने तीन कैनाल जमीन खरीदी, जबकि उन्होंने सात कैनाल जमीन पर कब्जा किया, जो कि वन भूमि और सरकारी भूमि थी. इस जमीन की कीमत करोड़ों में है.
इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने कई अन्य नेताओं और अधिकारियों के नाम का उल्लेख करते हुए कहा कि इस पूरे घोटाले में फारूक अब्दुल्ला की बहन सुरैया भी रोशनी कानून के तहत तीन कैनाल लैंड की लाभार्थी हैं.