नई दिल्ली : केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल थाईलैंड में क्षेत्रीय वृहद आर्थिक भागीदारी (RCEP) जैसे मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने जा रहे हैं. लेकिन इस प्रस्तावित समझौते के खिलाफ राष्ट्रीय किसान महासंघ सड़क पर उतर आया है.
राष्ट्रीय किसान महासंघ के देशभर के पदाधिकारियों ने गुरुवार को दिल्ली में इस मुद्दे पर एक बैठक की और उसके बाद जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन भी किया. विरोध प्रदर्शन के दौरान पीयूष गोयल का पुतला भी फूंका गया.
राष्ट्रीय किसान महासंघ के सह संयोजक शिव कुमार 'कक्काजी' ने इस मसले पर ईटीवी भारत से बातचीत की. शिव कुमार 'कक्काजी' ने कहा, 'देश को जितने दूध और दूध से संबंधित उत्पाद की जरूरत है, वो देश के किसान ही पूरा कर सकते हैं. अगर बाहर से देश में दुग्ध उत्पाद आएगा और सरकार उस पर आयात शुल्क न के बराबर या कम कर देगी तो इससे देश के किसानों को भारी नुकसान होगा और वो बर्बादी की कगार पर आ जाएंगे.
राष्ट्रीय किसान महासंघ ने सरकार से RCEP को वापस लेने की मांग की है और कहा है कि दूध और दुग्ध उत्पादों को आयात न किया जाए.
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राष्ट्रीय किसान महासंघ के पदाधिकारी आगामी 18 अक्टूबर को देश के सभी जिलों से प्रधानमंत्री को RCEP के विरोध में ज्ञापन सौंपेंगे. इतना ही नहीं, 2 नवम्बर को देशव्यापी आंदोलन शुरू होगा और किसान हाईवे जाम करेंगे.
किसान महासंघ का कहना है कि नये मुक्त व्यापार समझौते से केवल बड़े औद्योगिक घरानों को फायदा होगा. पंजाब और महाराष्ट्र के किसानों का उदाहरण देते हुए किसान नेता शिव कुमार ने बताया कि दूध की कीमत की बात करें तो महाराष्ट्र के किसानों को 17 रुपये प्रति लीटर तो पंजाब के किसानों को मात्र 20 रुपये प्रति लीटर मिल रहे हैं.
RCEP पर हस्ताक्षर के बाद जब दुग्ध उत्पादों का आयात शुरू हो जाएगा तो ये कीमतें और कम मिलेंगी और किसानों के लिए बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा.
भारतीय किसान महासंघ ने देश के सभी किसान और ट्रेड यूनियनों से RCEP के विरोध में एक साथ आने की अपील की है. साथ ही वह देशव्यापी आंदोलन की तैयारी भी कर रहा है. अब देखने वाली बात यह होगी कि अपने निर्णय पर अडिग रहने वाली मोदी सरकार क्या इन किसानों की आवाज भी सुनती है या अपने फैसले पर कायम रहते हुए दूध और दुग्ध उत्पादों के लिए भारतीय बाजार को खोल देगी.