नई दिल्ली : देश में लगातार बढ़ रहे पेट्रोल-डीजल की कीमतों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है. विपक्षी पार्टियों से लेकर किसान संगठन भी इसका विरोध कर रहे हैं और सरकार पर बेवजह कीमत बढ़ाने का आरोप लगा रहे हैं. इस बात को लेकर देश के सबसे बड़े गैरराजनीतिक किसान संगठन राष्ट्रीय किसान महासंघ ने भी देशव्यापी प्रदर्शन करने का आवाह्न किया है.
महासंघ के राष्ट्रीय प्रवक्ता अभिमन्यु कोहार ने ईटीवी भारत से बातचीत कर बताया कि 6 जुलाई से उनके संगठन से जुड़े किसान प्रतिनिधि जिला व तहसील स्तर पर प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपेंगे. यह ज्ञापन डीजल की बढ़ती कीमतों के अलावा कृषि क्षेत्र के लिये तीन अध्यादेश के विरोध में भी होगा. देशभर से ज्ञापन सौंपने के बाद राष्ट्रीय किसान महासंघ 15 जुलाई तक सरकार के जवाब की प्रतीक्षा करेंगे. यदि सरकार ने 15 जुलाई तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया तो किसान महासंघ ने देशव्यापी आंदोलन करने की चेतावनी दी है.
पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमत पर भड़के हनन मोल्ला
इसके लिए संगठन अन्य किसान नेताओं से भी बात कर उनके संगठनों को एक मंच पर लाने की तैयारी कर रहा है. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की किसान इकाई अखिल भारतीय किसान सभा पहले से ही अलग-अलग राज्यों में जिला और तहसील स्तर पर डीजल की बढ़ती कीमतों के विरोध में प्रदर्शन कर रही है. इस पर किसान सभा के महासचिव हनन मोल्ला ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी चुनौतियों को अवसर में बदलने की बात कहते हैं और कोरोना काल में डीजल पेट्रोल की कीमतों को बढ़ा कर यही काम कर रही है. पहले अध्यादेश के जरिए श्रम कानून को खत्म करने की बात हो या डीजल पेट्रोल के कीमतों को बढ़ाने की, यह सरकार गरीब और किसानों से पैसा ले कर बड़े प्राइवेट कंपनियों के हाथ में डालने का काम कर रही है. कोरोना महामारी की आड़ में इस तरह से बड़े बिजनेस घराने के लिए अवसर तैयार किए जा रहे हैं.
एआईकेएससीसी का सोशल मीडिया कैंपेन
200 से ज्यादा किसान संगठनों का समूह अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति भी लगातार सोशल मीडिया कैंपेन के जरिए अपना विरोध प्रदर्शन जता रही है. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के प्रतिनिधि ने जानकारी दी कि 6 जुलाई को एक बार फिर एमएसपी और कर्ज माफी के मुद्दे के साथ समन्वय समिति के कार्यकर्ता सोशल मीडिया कैंपेन चलाएंगे.
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इन सभी गतिविधियों के बीच भी कोरोना महामारी के खतरे और प्रतिबंधों के बीच कोई बड़ा विरोध प्रदर्शन खड़ा नहीं हो पा रहा. किसान नेता मानते हैं कि लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. किसानों के फसल की लागत मूल्य बढ़ रही है. किसानों ने अलग-अलग राज्यों में विरोध भी जताया है, लेकिन कोरोना संकट के बीच न तो ज्यादा संख्या में वह एक जगह इकट्ठे हो पा रहे हैं और न ही कोई बड़ा प्रदर्शन आयोजित कर पा रहे हैं.