नई दिल्ली : केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलनरत है. आज प्रदर्शन का 23वां दिन है. किसान और सरकार के बीच अब तक बात नहीं बन पाई है. किसान नेताओं का कहना है कि आगे की रणनीति तय करने के लिए वे वरिष्ठ वकीलों से मिलेंगे. किसान नेताओं ने कहा कि आगे की रणनीति तय करने से पहले वे कॉलिन गोंजाल्वेस, दुष्यंत दवे और प्रशांत भूषण जैसे वकीलों के साथ विचार-विमर्श करेंगे.
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि विवादित कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए वह कृषि विशेषज्ञों और किसान संगठनों के एक ‘निष्पक्ष और स्वतंत्र’ पैनल का गठन करना चाहता है. आंदोलन कर रहे किसानों ने अहिंसक प्रदर्शन करने के किसानों के अधिकार को स्वीकार करने के न्यायालय के फैसले का स्वागत किया, लेकिन उन्होंने मामले का ठोस हल निकलने तक आंदोलन जारी रखने पर जोर दिया. वहीं, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों पर तीन नए कृषि कानूनों को लेकर भ्रम फैलाने का आरोप लगाते हुए आंदोलनरत किसानों से इस सफेद झूठ से बचने की सलाह दी और उन्हें आश्वस्त किया कि सरकार उनकी सभी चिंताओं को दूर करने को तैयार है.
उन्होंने वामपंथी दलों पर हमला करते हुए कहा कि वे आज भी 1962 की भाषा बोल रहे हैं जो उन्होंने चीन के खिलाफ लड़ाई के दौरान उस वक्त इस्तेमाल की थी. न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के जारी रहने और मंडी व्यवस्था को मजबूत करने का आश्वासन देते हुए तोमर ने किसानों से आग्रह किया कि वे राजनीतिक स्वार्थ के लिए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ फैलाए जा रहे भ्रम से बचें.
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार और किसानों के बीच झूठ की दीवार खड़ी करने की साजिश रची जा रही है.
किसानों के नाम लिखे एक पत्र में तोमर ने दावा किया कि तीन कृषि सुधार कानून भारतीय कृषि में नए अध्याय की नींव बनेंगे, किसानों को और स्वतंत्र तथा सशक्त करेंगे.राष्ट्रीय किसान मजदूर सभा के नेता अभिमन्यु कोहड़ ने कहा, हम शुक्रवार को वरिष्ठ अधिवक्ताओं कॉलिन गोंजाल्वेस, दुष्यंत दवे, एच. एस. फुल्का और प्रशांत भूषण से मिलेंगे और उनकी सलाह लेंगे कि आगे क्या किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा (करीब 40 किसान संगठनों का संयुक्त मोर्चा) दिल्ली से सटी विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहा है.
किसान नेता ने कहा, हमें अभी तक उच्चतम न्यायालय से कोई नोटिस प्राप्त नहीं हुआ है और हम अदालत के आदेश की प्रति प्राप्त होने के बाद ही उसपर टिप्पणी करेंगे. भारतीय किसान यूनियन के वरिष्ठ नेता धर्मपाल मलिक ने कहा कि संगठन ने एक तकनीकी टीम का गठन किया है. उन्होंने कहा कि केन्द्र पहले अपना रुख स्पष्ट करे कि वह विवादित कृषि कानूनों पर फिलहाल रोक लगाना चाहता है या नहीं. मलिक ने कहा, हम पहले उच्चतम न्यायालय का फैसला पढ़ेंगे, अपने वकीलों से सलाह करेंगे और फिर आगे की रणनीति तय करेंगे. बता दें क सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले की कमान संभाली है.