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सबसे ज्यादा बजट ग्रामीण क्षेत्र को मिलना चाहिए : चौधरी पुष्पेंद्र सिंह

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का दूसरा बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा एक फरवरी को पेश किया जाना है. इस पर किसान नेता चौधरी पुष्पेंद्र सिंह का कहना है कि देश की कुल आबादी का 70% हिस्सा गांव में बसता है और इसलिए सबसे ज्यादा बजट ग्रामीण क्षेत्र को मिलना चाहिए लेकिन निराशा की बात है कि यह वास्तव में नहीं होता. पढ़ें पूरा विवरण....

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किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष चौधरी पुष्पेंद्र सिंह
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Published : Jan 27, 2020, 6:52 PM IST

Updated : Feb 28, 2020, 4:19 AM IST

नई दिल्ली : आगामी एक फरवरी को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का दूसरा बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किया जाना है. ऐसे में ईटीवी भारत विशेषज्ञों और अलग-अलग क्षेत्रों के प्रतिनिधियों से लगातार यह चर्चा कर रहा है कि आने वाले बजट में उनके क्षेत्र के लिए उनकी क्या अपेक्षाएं हैं.

इस क्रम में ईटीवी भारत ने किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष चौधरी पुष्पेंद्र सिंह से खास बातचीत की है. किसान नेता चौधरी पुष्पेंद्र सिंह का कहना है कि देश की कुल आबादी का 70% हिस्सा गांव में बसता है और इसलिए सबसे ज्यादा बजट ग्रामीण क्षेत्र को मिलना चाहिए, लेकिन निराशा की बात है कि यह हकीकत में नहीं होता.

पुष्पेंद्र सिंह ने सबसे पहले मांग की है कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि को 4 गुना बढ़ाकर ₹6000 से ₹24000 कर देना चाहिए. इसके अलावा देश की आर्थिक मंदी को देखते हुए किसानों और ग्रामीण भारत में लोगों के हाथ में किस तरह से ज्यादा पैसा पहुंचे, इसकी व्यवस्था करने के लिए भी बजट में प्रावधान होना चाहिए.

पढे़ं : सीएए के खिलाफ मुंबई में भी एकजुट महिलाएं कर रहीं प्रदर्शन

किसान नेता का मानना है कि अर्थव्यवस्था की स्थिति तभी सुधरेगी, जब डिमांड को बढ़ाने के लिए काम किया जाएगा और डिमांड तभी बन सकता है, जब लोगों के हाथ में पैसा होगा.

पिछले बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीरो बजट फार्मिंग की बात की थी. इस पर टिप्पणी करते हुए किसान नेता ने कहा कि देश में जीरो बजट फार्मिंग की बहुत सीमित संभावनाएं हैं. खेती किसानी में लागत को कभी शून्य नहीं किया जा सकता, लिहाजा सरकार को खेती में लागत मूल्य कम करने के लिए योजनाएं लानी चाहिए और उसमें अधिक से अधिक निवेश भी करना चाहिए.

ईटीवी भारत से बातचीत करते किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष चौधरी पुष्पेंद्र सिंह.

पीएम किसान सम्मान निधि की राशि को बढ़ाने के लिए किसान नेता का सुझाव है कि अगर केंद्र के पास ज्यादा बजट नहीं है तो केंद्र सरकार और राज्य सरकार को इसे आपस में आधा आधा वहन करना चाहिए.

पिछ्ले साल कृषि का बजट एक लाख 20 हजार करोड़ था जबकि कृषि पर देश के 50% लोग निर्भर हैं और ग्रामीण विकास मंत्रालय का बजट एक लाख 18 हजार करोड़ था, वहीं पशुपालन मंत्रालय का कुल बजट 2900 करोड़ था और खाद की सब्सिडी लगभग 80 हजार करोड़ रुपये थी.

इन सबको मिला कर कुल बजट 3 लाख 40 हजार करोड़ रुपये था, जो सरकार ग्रामीण क्षेत्र पर खर्च कर रही है. कुल 28 लाख करोड़ के बजट में से अगर सरकार सिर्फ 3 लाख 40 हजार करोड़ रुपये ग्रामीण क्षेत्र पर खर्च कर रही है, जहां देश की 70% आबादी रहती है तो ये बहुत कम है. बतौर चौधरी पुष्पेंद्र सिंह इस बजट को कई गुना बढ़ाए जाने की जरूरत है.

नई दिल्ली : आगामी एक फरवरी को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का दूसरा बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किया जाना है. ऐसे में ईटीवी भारत विशेषज्ञों और अलग-अलग क्षेत्रों के प्रतिनिधियों से लगातार यह चर्चा कर रहा है कि आने वाले बजट में उनके क्षेत्र के लिए उनकी क्या अपेक्षाएं हैं.

इस क्रम में ईटीवी भारत ने किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष चौधरी पुष्पेंद्र सिंह से खास बातचीत की है. किसान नेता चौधरी पुष्पेंद्र सिंह का कहना है कि देश की कुल आबादी का 70% हिस्सा गांव में बसता है और इसलिए सबसे ज्यादा बजट ग्रामीण क्षेत्र को मिलना चाहिए, लेकिन निराशा की बात है कि यह हकीकत में नहीं होता.

पुष्पेंद्र सिंह ने सबसे पहले मांग की है कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि को 4 गुना बढ़ाकर ₹6000 से ₹24000 कर देना चाहिए. इसके अलावा देश की आर्थिक मंदी को देखते हुए किसानों और ग्रामीण भारत में लोगों के हाथ में किस तरह से ज्यादा पैसा पहुंचे, इसकी व्यवस्था करने के लिए भी बजट में प्रावधान होना चाहिए.

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किसान नेता का मानना है कि अर्थव्यवस्था की स्थिति तभी सुधरेगी, जब डिमांड को बढ़ाने के लिए काम किया जाएगा और डिमांड तभी बन सकता है, जब लोगों के हाथ में पैसा होगा.

पिछले बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीरो बजट फार्मिंग की बात की थी. इस पर टिप्पणी करते हुए किसान नेता ने कहा कि देश में जीरो बजट फार्मिंग की बहुत सीमित संभावनाएं हैं. खेती किसानी में लागत को कभी शून्य नहीं किया जा सकता, लिहाजा सरकार को खेती में लागत मूल्य कम करने के लिए योजनाएं लानी चाहिए और उसमें अधिक से अधिक निवेश भी करना चाहिए.

ईटीवी भारत से बातचीत करते किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष चौधरी पुष्पेंद्र सिंह.

पीएम किसान सम्मान निधि की राशि को बढ़ाने के लिए किसान नेता का सुझाव है कि अगर केंद्र के पास ज्यादा बजट नहीं है तो केंद्र सरकार और राज्य सरकार को इसे आपस में आधा आधा वहन करना चाहिए.

पिछ्ले साल कृषि का बजट एक लाख 20 हजार करोड़ था जबकि कृषि पर देश के 50% लोग निर्भर हैं और ग्रामीण विकास मंत्रालय का बजट एक लाख 18 हजार करोड़ था, वहीं पशुपालन मंत्रालय का कुल बजट 2900 करोड़ था और खाद की सब्सिडी लगभग 80 हजार करोड़ रुपये थी.

इन सबको मिला कर कुल बजट 3 लाख 40 हजार करोड़ रुपये था, जो सरकार ग्रामीण क्षेत्र पर खर्च कर रही है. कुल 28 लाख करोड़ के बजट में से अगर सरकार सिर्फ 3 लाख 40 हजार करोड़ रुपये ग्रामीण क्षेत्र पर खर्च कर रही है, जहां देश की 70% आबादी रहती है तो ये बहुत कम है. बतौर चौधरी पुष्पेंद्र सिंह इस बजट को कई गुना बढ़ाए जाने की जरूरत है.

Intro:आने वाली 1 फरवरी को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का दूसरा बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा पेश किया जाना है। ऐसे में ईटीवी भारत लगातार विशेषज्ञों और अलग-अलग क्षेत्रों के प्रतिनिधियों से बातचीत कर इस बात पर चर्चा कर रहा है कि आने वाले बजट में उनके क्षेत्र के लिए उनकी क्या अपेक्षाएं हैं। इसी विषय पर ईटीवी भारत ने किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष चौधरी पुष्पेंद्र सिंह से खास बातचीत की है। किसान नेता चौधरी पुष्पेंद्र सिंह का कहना है कि देश की कुल आबादी का 70% हिस्सा गांव में बसता है और इसलिए सबसे ज्यादा बजट ग्रामीण क्षेत्र को मिलना चाहिए लेकिन निराशा की बात है कि यह वास्तविकता में नहीं होता।
सबसे पहले पुष्पेंद्र सिंह ने मांग की है प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि को 4 गुना बढ़ाकर ₹6000 से ₹24000 कर देना चाहिए इसके अलावा देश की आर्थिक मंदी को देखते हुए किसानों और ग्रामीण भारत में लोगों के हाथ में किस तरह से ज्यादा पैसा पहुंचे इसकी व्यवस्था करने के लिए भी बजट में प्रावधान होने चाहिए। अर्थव्यवस्था की स्थिति तभी सुधरेगी जब डिमांड को बढ़ाने के लिए काम किया जाएगा और डिमांड तभी बन सकता है जब लोगों के हाथ में पैसा होगा।


Body:पिछले बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीरो बजट फार्मिंग की बात की थी इस पर टिप्पणी करते हुए किसान नेता ने कहा कि देश में जीरो बजट फार्मिंग की बहुत सीमित संभावनाएं हैं । खेती किसानी में लागत को कभी शून्य नहीं किया जा सकता लिहाजा सरकार को खेती में लागत मूल्य कम करने के लिए योजनाएं लानी चाहिए और उसमें अधिक से अधिक निवेश भी करना चाहिए।
PM किसान की राशी को बढ़ाने के लिये किसान नेता का सुझाव है कि अगर केंद्र के पास ज्यादा बजट नहीं है तो केंद्र सरकार और राज्य सरकार को इसे आपस में आधा आधा वहन करना चाहिये ।
पिछ्ले साल कृषि का बजट एक लाख बीस हजार करोड़ था जबकी कृषि पर देश के 50% लोग निर्भर हैं और ग्रामीण विकास मंत्रालय का बजट एक लाख अठारह हजार करोड़ था, वहीं पशुपालन मंत्रालय का कुल बजट 2900 करोड़ था और खाद की सब्सीडी लगभग 80000करोड़ रुपये थी । इन सबको मिला कर कुल बजट 3लाख 40हजार करोड़ रुपये हैं जो सरकार ग्रामीण क्षेत्र पर खर्च कर रही है । कुल 28 लाख करोड़ के बजट में से अगर सरकार सिर्फ 3 लाख 40 हजार करोड़ रुपये ग्रामीण क्षेत्र पर खर्च कर रही है जहाँ देश की 70% आबादी रहती है तो ये बहुत कम है ।
बतौर चौधरी पुष्पेंद्र सिंह इस बजट को कई गुना बढ़ाए जाने की जरूरत है ।


Conclusion:
Last Updated : Feb 28, 2020, 4:19 AM IST
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