मैसूरु : कर्नाटक का विश्व प्रसिद्ध मैसूर दशहरा शुरू हो चुका है. इस साल कोरोना महामारी की वजह से जंबो सवारी सरल और पारंपरिक तरीके से निकाली जा रही है. दशहरे पर जंबो सावरी लोगों के लिए मुख्य आकर्षण होता है. आज के दिन कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा महल के गेट पर नंदी ध्वज की पारंपरिक तरीके से पूजा करेंगे.
आज निकलेगी जंबो सवारी
आज दोपहर 3:40 से 4:15 बजे के बीच सीएम और अन्य गणमान्य लोग देवी चामुंडेश्वरी को पुष्प अर्पित करेंगे जो स्वर्ण अंबारी में होगी. यह स्वर्ण अंबारी हाथी द्वारा ले जाई जाती है. उसके बाद सीएम दशहरा रैली निकालेंगे. इसके बाद यदुवीर कृष्णदत्त चामराजा वड्यार पुष्प अर्पण समारोह में भाग लेंगे.
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जानिए कैसी होगी परेड?
कोरोना के कारण इस बार जंबो सवारी सरल तरीके से मनाई जा रही है. जिसमें चार कालाठंडा कैवलरी रेजिमेंट, एक टैब्लो और कर्नाटक पुलिस बैंड जंबो सवारी में होगा. विजया और कावेरी हाथी अभिमन्यु हाथी के साथ जाने वाले हैं जो अंबारी ले जा रहा है. इस परेड में के पीछे कैवलरी रेजिमेंट, डॉक्टर की टीम, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट और एम्बुलेंस की टीम चलेगी. जंबो सावरी को महल परिसर के 500 मीटर के दायरे में घुमाया जाएगा. पुलिस आयुक्त डॉ. चंद्रगुप्त का कहना है कि महल परिसर में यह कार्यक्रम 30-40 मीटर तक चल सकता है.
मैसूर की विरासत दशहरा
मैसूर दशहरा यहां 410 सालों से मनाया जा रहा है. मैसूर के राजा ने नवरात्र महोत्सव को शरद नवरात्र (Sharannavaratri) के रूप में मनाया था, जहां राजा को जंबो सवारी के दौरान हौदा पर बैठाया गया था. मैसूर दशहरा महोत्सव में हौदा को ले जाने के लिए बिलिगिर रंगा, ऐरावत, हमसराज, चामुंडी प्रसाद और राजेंद्र प्रसिद्ध हाथी हैं. जंबो सावरी मैसूर महल से मैसूर के बन्नीमंतप तक जाती है. मैसूर के अंतिम राजा जयचामाराजेंद्र ओडेयार बिलीगिरी हाथी पर बैठकर जंबो सावरी में शामिल हुए थे. बाद में सरकार ने दशहरा को नड्डा हब्बा के रूप में मनाना शुरू किया था.