धनबादः झारखंड के धनबाद शहर का असर्फी अस्पताल पिछले दो दिनों से काफी चर्चा में है. दरअसल इस अस्पताल में पिछले दो दिनों के भीतर दो मौतें हुई हैं. इन मौतों के बाद परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर यह आरोप लगाया कि अस्पताल प्रबंधन मोटी रकम वसूलने के लिए उनके मृत रिश्तेदार का इलाज करने का बहाना करता रहा. जिला प्रशासन ने भी इस अस्पताल की सच्चाई जानने के लिए एक जांच कमिटी गठित कर दोषियों को कार्रवाई का आश्वासन दिया है.
पहला मामला
9 दिसंबर को धनबाद के कांड्रा निवासी बिंदु देवी को बेहोशी की हालत में असर्फी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां डॉक्टर्स ने बताया कि मरीज को ब्रेन हेमरेज हुआ है. इसके बाद डॉक्टर्स ने परिजनों को बताया कि ऐसे मामले में ज्यादातर मरीज ठीक हो जाते हैं, पर सही इलाज करना होगा.
इसके बाद परिजन उसके इलाज के लिए तैयार हो गए. मरीज को आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखा गया, जहां उसकी सांसे चलती हुई दिखाई गईं. इस बीच अस्पताल प्रबंधन ने मरीज के इलाज के नाम पर परिजनों से मोटी रकम वसूल ली.
शुक्रवार 11 दिसंबर को अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि आपका मरीज ठीक है. आप मरीज को घर ले जा सकते हैं. मरीज को एक इंजेक्शन लगाया गया, जिससे उसका शरीर गर्म महसूस होने लगा, जैसे ही उसे वेंटिलेटर से हटा कर उन्होंने गाड़ी में रखा, मरीज ने सांस लेना बंद कर दिया. जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने तुरंत मरीज को मृत घोषित कर उसका डेथ सर्टिफिकेट जारी कर शव ले जाने को कहा.
जब परिजनों ने एंबुलेंस में रखकर मरीज को वेंटिलेटर लगाया तो मरीज फिर से सांस लेता हुआ दिखने लगा. इसपर जब परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन से सवाल किया तो उन्होंने बताया कि यह वेंटिलेटर के कारण हो रहा है, जिसके बाद परिजनों को मामला समझते देर नहीं लगी और उन्होंने अस्पताल प्रबंधन पर पैसों के लिए मृत मरीज का इलाज करने का आरोप लगा हंगामा करने लगे.
मौके पर पहुंची पुलिस ने किसी तरह परिजनों को शांत कराया. परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है. दरअसल शव देखकर पुलिस भी हैरान थी कि वेंटिलेटर पर मृतक किसी जिंदा इंसान जैसा दिख रहा था.
दूसरा मामला
रविवार को ठीक ऐसा ही दूसरा मामला फिर सामने आया. दरअसल, एक परिवार अस्पताल प्रबंधन पर पैसों के लिए उसके मृतक परिजन का झूठा इलाज करने का आरोप लगा हंगामा करने लगे. इस दौरान मृत मरीज के परिजन ने बताया कि 38 वर्षीय निर्मला देवी की अचानक तबीयत बिगड़ने पर उन्हें असर्फी अस्पताल में भर्ती कराया था. डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि मरीज का ब्रेन हेमरेज हुआ है, जिसके बाद मोटी रकम जमा करने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने मरीज को आईसीयू में वेंटिलेटर पर रख उसका इलाज शुरू किया.
कुछ दिन ऐसे रखने के बाद शुक्रवार को अस्पताल प्रबंधन ने अचानक बताया कि उनके मरीज की मौत हो चुकी है. जिसके बाद उन्होंने अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके मरीज की मौत पहले ही हो चुकी थी, अस्पताल प्रबंधन ने उनसे मोटी रकम वसूलने की लालच उनके मरीज को वेंटिलेटर पर रख उसे जिंदा बताता रहा. परिजनों धनबाद पुलिस प्रशासन से मामले में जांच की मांग की है.
पढ़ें: अहमदाबाद सिविल अस्पताल में 436 ग्राम की बच्ची का जन्म, डॉक्टरों ने बचाई जान
डीसी ने लिया संज्ञान
वहीं, धनबाद के असर्फी अस्पताल से लगातार इस तरह के मामले आता देख धनबाद उपायुक्त ने मामले में संज्ञान लेते हुए इसपर जांच कराने की बात कही है. उन्होंने कहा कि वो जल्द ही एक जांच टीम का गठन करेंगे जो पूरे मामले का निष्पक्ष जांच करेगी और जांच में अगर अस्पताल की कार्यशैली संदिग्ध पाई जाती है तो उसपर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.