इंदौर: जिले के पीरपीपलिया गांव में रहने वाले सेना के जवान मोहन लाल सुनेर 1992 में असम पोस्टिंग के दौरान शहीद हो गए थे. उनके निधन के बाद से ही उनका परिवार आर्थिक तंगी में जिंदगी का गुजर बसर कर रहा था. शहीद की पत्नी झोपड़ी में रहकर और मजदूरी करके अपने परिवार का पेट पालती थी. लेकिन स्वतंत्रता दिवस पर क्षेत्र के युवाओं ने देशभक्ति की मिशाल पेश करते हुए 'वन चेक-वन साइन फॉर वन शहीद' नाम से एक अभियान चलाया, जिसमें 11 लाख रूपए जमा हो गए और इन पैसों से शहीद के परिवार के लिए घर बनवाया और रक्षाबंधन के पवित्र त्यौहार पर शहीद की पत्नी से राखी बंधवाकर उपहार स्वरूप घर भेंट किया.
शहीद के परिवार की बदहाली का पता क्षेत्र के युवाओं को चला तो उन्होंने शहीद परिवार की आर्थिक मदद करने के लिए 'वन चेक-वन साइन फॉर वन शहीद' अभियान चलाया. जिससे बीते एक साल में 11 लाख रुपए जमा हो गए. ग्रामीणों के अनुसार, जो काम शासन-प्रशासन को करना चाहिए था, वह स्थानीय लोगों की पहल पर किया गया है. अभियान के संयोजक विशाल राठी ने बताया कि सालभर पहले, जब शहीद के गांव गए तो उनका मकान देखकर काफी दुख: हुआ.
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इसी बात को लेकर उन्होंने इस अभियान को शुरू किया. मोहन सिंह सुनेर जब शहीद हुए थे, उस वक्त उनका तीन वर्ष का एक बेटा था और पत्नी राजू बाई चार माह गर्भ से थी. जिसके बाद उन्होंने एक और बेटे को जन्म दिया. दोनों बच्चों को झोपड़ी में रहकर मेहनत-मजदूरी कर भरण-पोषण करने लगी.
अभियान के संयोजक राठी के अनुसार शहीद के परिवार के लिए दस लाख रुपए में घर तैयार हो गया, इसके साथ ही एक लाख रुपए मोहन सिंह की प्रतिमा के लिए रखे हैं. प्रतिमा भी लगभग तैयार है इसे पीर पीपल्या मुख्य मार्ग पर लगाएंगे, इसके साथ ही जिस सरकारी स्कूल में उन्होंने पढ़ाई की है, उसका नाम भी उनके नाम पर करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं.