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बिहार में परेशान हैं 33 परिवार, छत्तीसगढ़ में मानव तस्करी के शक पर बरामद हुए हैं इनके बच्चे

छत्तीसगढ़ रेलवे पुलिस ने जिन बच्चों को बरामद किया है वो भागलपुर के पीरपैंती थाना क्षेत्र के माधोपुर गांव के हैं. ग्राउंड जीरो पर जाकर ईटीवी भारत के संवाददाता ने इन बच्चों के परिजनों से बात की है. जानें क्या है पूरा मामला

बिहार में परेशान हैं बच्चों के परिजन
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Published : Jun 29, 2019, 12:05 AM IST

भागलपुर: छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में हावड़ा-मुंबई मेल से जिन 33 बच्चों को ह्यूमन ट्रैफिकिंग के शक पर बरामद किया गया था. उसकी हकीकत कुछ और ही निकल कर सामने आ रही है. मामले में ईटीवी भारत ने बच्चों के गांव में जाकर पड़ताल की है. वहीं, स्थानीय प्रशासन ने बच्चों पर किए गए सवालों से पल्ला झाड़ लिया है.

छत्तीसगढ़ रेलवे पुलिस ने जिन बच्चों को बरामद किया है वो भागलपुर के पीरपैंती थाना क्षेत्र के माधोपुर गांव के हैं. ग्राउंड जीरो पर जाकर ईटीवी भारत के संवाददाता ने जब इन बच्चों के परिजनों से इस बाबत जानकारी ली, तो उन्होंने बताया कि यहां से बच्चों को हर साल महाराष्ट्र में तालीम के लिए भेजा जाता है. ये कोई नई बात नहीं है. पुलिस ने शक के आधार पर उनकी बरामदगी की है.

बच्चों के परिजनों से ईटीवी भारत ने की बात

परिजनों को सता रही चिंता
वहीं, पूरे मामले में एक बच्चे की मां का रो-रोकर बुरा हाल है. हाथ में फोटो लिए मां का कहना है कि मैंने बच्चे को तालीम के लिए भेजा था. अभी वो कहां है, किस हाल में हैं ये नहीं पता है. बेबस मां ने बताया कि जाकिर हुसैन नाम के जिस युवक और उसके साथियों को गिरफ्तार किया है, वो हर साल बच्चों को तालीम के लिए ले जाता था. तालीम पूरी होती ही गांव वापस छोड़ जाता था.

स्थानीय प्रशासन ने झाड़ा पल्ला
इस बाबत जब हमारे संवाददाता ने आईजी विनोद कुमार से बात की तो उन्होंने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि वो दूसरे राज्य की बात है. संवाददाता ने जब उन्हें भागलपुर के बच्चे होने की दुहाई देते हुए परिजनों की मदद की बात की तो इसके बाद भी आईजी ने अपना ऑफिशियल कम्युनिकेशन ना होने की बात कह पूरी बात रफा-दफा कर दी. आईजी ने साफ कह दिया कि बच्चों के परिजनों को छत्तीसगढ़ भेज दिया जाए.

human trafficking in chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में बरामद किए गए बच्चे

क्या है पूरा मामला

  • छत्तीसगढ़ पहुंची हावड़ा-मुंबई मेल से 33 बच्चों को मानव तस्करी के शक के आधार पर रेस्क्यू कर रेलवे पुलिस ने बरामद किया.
  • एक महिला एडवोकेट के शक के आधार पर पूरी कार्रवाई की गई.
  • इसके बाद बच्चों को वहां के स्थानीय बाल कल्याण समिति को सौंप दिया गया.
  • इस मामले में जाकिर हुसैन समेत तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया.
  • जानकारी के मुताबिक बच्चों को छत्तीसगढ़ राज्य के पद्यनाभपुर बाल दुर्ग गृह एवं खुला आश्रय में रखा गया है.

तालीम लेकर आए बच्चों ने क्या कहा...
वहीं, गांव में पिछले वर्ष तालीम लेने महाराष्ट्र गए बच्चों ने बताया कि हम ट्रेन से मुंबई गए थे. जाकिर हमें वहां लेकर गए थे. वहां हमने तकरीबन एक साल पढ़ाई की. वहां उर्दू की पूरी तालीम दी गई.

राह देखते ग्रामीण...
पूरे गांव में परिजन बच्चों की राह देख रहे हैं. बता दें कि किसी भी परिजन को बच्चों की कोई जानकारी नहीं है. दूसरी तरफ प्रशासन दूसरे राज्य की बात कह अपना पल्ला झाड़ रहा है. देखने वाली बात होगी कि जो बच्चे तालीम के लिए महाराष्ट्र जा रहे थे. उनके लिए बिहार सरकार और स्थानीय प्रशासन क्या ठोस कदम उठाता है.

भागलपुर: छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में हावड़ा-मुंबई मेल से जिन 33 बच्चों को ह्यूमन ट्रैफिकिंग के शक पर बरामद किया गया था. उसकी हकीकत कुछ और ही निकल कर सामने आ रही है. मामले में ईटीवी भारत ने बच्चों के गांव में जाकर पड़ताल की है. वहीं, स्थानीय प्रशासन ने बच्चों पर किए गए सवालों से पल्ला झाड़ लिया है.

छत्तीसगढ़ रेलवे पुलिस ने जिन बच्चों को बरामद किया है वो भागलपुर के पीरपैंती थाना क्षेत्र के माधोपुर गांव के हैं. ग्राउंड जीरो पर जाकर ईटीवी भारत के संवाददाता ने जब इन बच्चों के परिजनों से इस बाबत जानकारी ली, तो उन्होंने बताया कि यहां से बच्चों को हर साल महाराष्ट्र में तालीम के लिए भेजा जाता है. ये कोई नई बात नहीं है. पुलिस ने शक के आधार पर उनकी बरामदगी की है.

बच्चों के परिजनों से ईटीवी भारत ने की बात

परिजनों को सता रही चिंता
वहीं, पूरे मामले में एक बच्चे की मां का रो-रोकर बुरा हाल है. हाथ में फोटो लिए मां का कहना है कि मैंने बच्चे को तालीम के लिए भेजा था. अभी वो कहां है, किस हाल में हैं ये नहीं पता है. बेबस मां ने बताया कि जाकिर हुसैन नाम के जिस युवक और उसके साथियों को गिरफ्तार किया है, वो हर साल बच्चों को तालीम के लिए ले जाता था. तालीम पूरी होती ही गांव वापस छोड़ जाता था.

स्थानीय प्रशासन ने झाड़ा पल्ला
इस बाबत जब हमारे संवाददाता ने आईजी विनोद कुमार से बात की तो उन्होंने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि वो दूसरे राज्य की बात है. संवाददाता ने जब उन्हें भागलपुर के बच्चे होने की दुहाई देते हुए परिजनों की मदद की बात की तो इसके बाद भी आईजी ने अपना ऑफिशियल कम्युनिकेशन ना होने की बात कह पूरी बात रफा-दफा कर दी. आईजी ने साफ कह दिया कि बच्चों के परिजनों को छत्तीसगढ़ भेज दिया जाए.

human trafficking in chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में बरामद किए गए बच्चे

क्या है पूरा मामला

  • छत्तीसगढ़ पहुंची हावड़ा-मुंबई मेल से 33 बच्चों को मानव तस्करी के शक के आधार पर रेस्क्यू कर रेलवे पुलिस ने बरामद किया.
  • एक महिला एडवोकेट के शक के आधार पर पूरी कार्रवाई की गई.
  • इसके बाद बच्चों को वहां के स्थानीय बाल कल्याण समिति को सौंप दिया गया.
  • इस मामले में जाकिर हुसैन समेत तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया.
  • जानकारी के मुताबिक बच्चों को छत्तीसगढ़ राज्य के पद्यनाभपुर बाल दुर्ग गृह एवं खुला आश्रय में रखा गया है.

तालीम लेकर आए बच्चों ने क्या कहा...
वहीं, गांव में पिछले वर्ष तालीम लेने महाराष्ट्र गए बच्चों ने बताया कि हम ट्रेन से मुंबई गए थे. जाकिर हमें वहां लेकर गए थे. वहां हमने तकरीबन एक साल पढ़ाई की. वहां उर्दू की पूरी तालीम दी गई.

राह देखते ग्रामीण...
पूरे गांव में परिजन बच्चों की राह देख रहे हैं. बता दें कि किसी भी परिजन को बच्चों की कोई जानकारी नहीं है. दूसरी तरफ प्रशासन दूसरे राज्य की बात कह अपना पल्ला झाड़ रहा है. देखने वाली बात होगी कि जो बच्चे तालीम के लिए महाराष्ट्र जा रहे थे. उनके लिए बिहार सरकार और स्थानीय प्रशासन क्या ठोस कदम उठाता है.

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हावड़ा से मुंबई जाने वाली मेल से गुरुवार दोपहर में भागलपुर और कटिहार से ले जा रहे जिन 33 बच्चों को रेस्क्यू कर छत्तीसगढ़ राज्य के पद्यनाभपुर बाल दुर्ग गृह एवं खुला आश्रय में रखा गया है उनमें ज्यादातर बच्चे भागलपुर के पीरपैंती अंतर्गत माधोपुर के रहने वाले है और बच्चों को ले जा रहे हाफिज साकिर हुसैन को मानव तस्करी के संदेह में गिरफ्तार कर लिया गया है माधोपुर मुस्लिम टोला के लोगों का कहना है गांव के लोगों के द्वारा हर साल 25 सतीश की संख्या में बच्चों को महाराष्ट्र के मदरसे में पढ़ने के लिए हाफिज की अगुवाई में ही भेजा जाता है यह कोई नई बात नहीं है पहले भी बच्चे महाराष्ट्र के जामिया असहावे सुफ्फा मदरसा सहारा नगर नंदोरा बुलढाणा मे तालीम के लिए जा चुके हैं कृपया ऐसी के माधोपुर में रहने वाले ज्यादातर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगो की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय है जिसकी वजह से अपने बच्चों को तालीम के लिए बाहर के मदरसों में भेजते हैं जब से इन लोगों को अपने बच्चों के बाल गृह में रखने की बात पता चली है तब से इन लोगों का काफी बुरा हाल है कुछ बच्चों की मां अपने बच्चों के फोटो लेकर लगातार आंसू बहा रही है।



Body:भागलपुर के पीरपैंती अंतर्गत माधोपुर के साकिर को पुलिस ने मानव तस्करी के आधार पर पकड़ा है 22 वर्षीय शाकिर के पिता अब्दुल रहीम का कहना है इस गांव के लिए नई बात नहीं है कि बच्चे तालीम के लिए गांव से दूसरे राज्य आते हैं साकिर पहले भी करीब 29 बच्चों को लेकर महाराष्ट्र के मदरसा जा चुका है जहां पर सभी जरूरी तालीम दी जाती है जिनके बच्चों को छत्तीसगढ़ के पद्यनाभपुर के बाल गृह दुर्ग एवं खुला आश्रय में चाइल्ड वेलफेयर कमिटी के द्वारा होम वेरीफिकेशन होने तक रखा गया है लेकिन माधोपुर के रहने वाले लोगों के मुताबिक अभी तक किसी भी प्रकार की अधिकारिक तौर पर वेरिफिकेशन के लिए सूचना माधोपुर गांव के बच्चों के माता-पिता तक नहीं पहुंचा है।


Conclusion:जिस मानव तस्करी के संदेह के आधार पर 22 साल के शाकिर हुसैन को गिरफ्तार किया गया है वह भी भागलपुर के पीरपैंती अंतर्गत माधोपुर का रहने वाला है जहां पर उसका पूरा परिवार रहता है शाकिर हुसैन खुद हाफिज की शिक्षा ले चुका है और अपने घर के आस-पास एवं गांव के गरीब बच्चों को महाराष्ट्र के मदरसे में तालीम देने के लिए हर वर्ष लेकर जाता है ।

पीटीसी
माधोपुर के लोग जिनके बच्चों को रेस्क्यू का उत्तर गया है।
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