नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद वहां के हालात का जायजा लेने के लिए ग्रुप ऑफ इंटेलेक्चुअल एंड अकैडमिशियन नाम की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने घाटी का दौरा किया और प्रधानमंत्री कार्यालय में केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह को बुधवार को उनके आवास पर अपनी रिपोर्ट सौंपी.
फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का कहना है कि वहां के लोगों में कश्मीर के नेताओं के लिए बिल्कुल भी हमदर्दी नहीं है और वे चाहते हैं कि केंद्र सरकार उन सभी पर भ्रष्टाचार के आरोपों में उन्हें कोर्ट तक ले जाए और उसकी उन्हें सजा मिले.'
फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की सदस्य मोनिका अरोड़ा ने कहा, ' कश्मीर के लोग पिछले 70 सालों से परेशान थे और अब उनका मानना है कि केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद जम्मू-कश्मीर को यूनियन टेरिटरी मॉडल में करने से वहां भ्रष्टाचार, सामाजिक कुरीतियां और राजनीति के स्तर में बदलाव आएगा.'
मोनिका का कहना था कि कश्मीर में अब पहले की तरह दुकानें खुली नजर आने लगी हैं और वहां के अस्पतालों में डॉक्टर और दवाएं सभी के लिए आसानी से मुहैया करायी जा रही हैं. उन्होंने बताया, ' कुछ बच्चे स्कूल ट्रांसपोर्ट के कारण नहीं जा पा रहे हैं, उन्हें कोचिंग के जरिये पढ़ाई कराई जा रही है.'
रिपोर्ट में कहा गया है, 'जम्मू क्षेत्र के लोगों ने पांच और छह अगस्त को संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए के प्रावधान हटाने के भारतीय संसद के ऐतिहासिक फैसले का स्वागत किया. विशेष रूप से अनुच्छेद 35-ए के शिकार लोग खुश हैं, क्योंकि वे इसे अपना जीवन सामान्य होने की उम्मीद के रूप में देख रहे हैं. समाज के विभिन्न वर्गों को लगता है कि उन्हें पांच अगस्त 2019 को आजादी मिली.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि आम धारणा के विपरीत राज्य का अनुच्छेद 370 के बहाने सबसे ज्यादा शोषण किया गया.
फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने सरकार को जम्मू कश्मीर के दौरे के बाद अपना सुझाव देते हुए कहा कि वहां पर अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद लोगों में गलतफहमियां हैं, सरकार को इसके फायदे लोगों को बताने होंगे.
कमेटी ने कहा कि लोगों को वहां पर डर है कि उनकी जमीनें छिन जाएंगी. लेकिन ऐसा नहीं है, इसलिए उन्हें जागरूक करना जरूरी है.
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ग्रुप ऑफ इंटेलेक्चुअल एंड अकैडमिशियन कमेटी ने यह भी सुझाव दिया कि जब जम्मू-कश्मीर को यूनियन टेरिटरी का दर्जा दे दिया गया है. तो, वहां पर जमीनी स्तर तक बदलाव लाना होगा और वहां पर रह रहे सभी लोगों को बराबरी से फायदा पहुंचाना होगा.
केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मामलों के केंद्रीय राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने इस दौरान कहा कि अक्टूबर 31 के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की महिलाओं के लिए नए कानून आने वाले हैं, जिसमें वहां पर रह रही महिलाओं को अपने परिवार की जमीन-जायदाद से वंचित नहीं रहना पड़ेगा और अब उन्हें बराबर का हक मिलेगा.
इसके साथ ही वहां पर दहेज प्रथा और बाल विवाह कानून भी लागू हो जाएगा, जिससे वहां की महिलाएं खुद को समाज के सभी व्यक्तियों के बराबर समझ सकेंगी.
केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद कश्मीर की जनता जितनी खुश है, उतनी पिछले 25 सालों में कभी भी नहीं रही है.
उन्होंने कहा कि अगस्त माह से लेकर अब तक ईद, मुहर्रम और स्वतंत्रता दिवस जैसे कई बड़े मौके पड़े, लेकिन वहां के लोगों को किसी बड़ी घटना का सामना नहीं करना पड़ा.
जितेंद्र सिंह ने तर्क देते हुए कहा कि पाकिस्तान ऐसे अवसरों पर हमला करने से बाज नहीं आता था, लेकिन इस बार ऐसी कोई भी वारदात सामने नहीं आई है.
यह पूछे जाने पर कि जम्मू कश्मीर मौजूदा हालात को लेकर कई एनजीओ द्वारा भी रिपोर्ट पेश की गई, जिसमें बताया गया कि वहां पर हालात लोगों के लिए सही नहीं है, जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह सवाल उनसे पूछना चाहिए, जिन्होंने खुद को फायदा पहुंचाने के लिए वहां के लोगों को किसी भी तरह की सरकारी सुविधा नहीं मुहैया करायी हैं.
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उन्होंने कहा कि घाटी में अनुच्छेद 370 हटने के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने वहां के सेब कारोबारियों के रोजगार में 4 गुना बढ़ोतरी दिलायी है. इसके साथ ही उन्हें डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर की भी सुविधा उपलब्ध करायी गयी है, लेकिन राज्यपाल शासन से पहले इतने वर्षों में इस तरह की सुविधा उन कारोबारियों को क्यों नहीं प्रदान करायी गयी.
फैक्ट फाइंडिंग कमेटी में उच्चतम न्यायालय की अधिवक्ता मोनिका अरोड़ा, मिरांडा हाउस कॉलेज (डीयू) की सहायक प्राध्यापक सोनाली चिताल्कर, जाकिर हुसैन कॉलेज (डीयू) की सहायक प्राध्यापक रितु माथुर और शिक्षाविद् पूनम बछेती शामिल थीं.