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नए विमानों की खरीद से बढ़ेगी वायुसेना की ताकत, इतने विमानों का है लक्ष्य

भारत और चीन के बीच तनाव काफी बढ़ गया है. ऐसे में भारत सरकार सेना को मजबूती देना चाहती है. इसी क्रम में रक्षा मंत्रालय ने रूस से मिग-29 के अपग्रेड वर्जन के साथ 12 एसयू-30 एमकेआई और 21 मिग-29 सहित 33 नए लड़ाकू विमान खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. पढ़ें वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट...

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Published : Jul 2, 2020, 10:13 PM IST

Updated : Jul 2, 2020, 10:51 PM IST

मिग 29
मिग 29

नई दिल्ली : चीन के साथ सीमा पर बढ़े तनाव के बीच रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को सैन्य बलों की युद्धक क्षमता बढ़ाने के लिए 38,900 करोड़ रुपये की लागत से उन्नत लड़ाकू विमान, मिसाइल सिस्टम और अन्य हथियारों की खरीद को मंजूरी दी. भारतीय वायुसेना के पास वर्तमान में लगभग 33 लड़ाकू स्क्वाड्रन (लगभग 600 लड़ाकू विमान) हैं. 33 नए विमानों की खरीद के साथ यह संख्या 600 के पार हो जाएगी. फिर भी यह संख्या 800 लड़ाकू विमानों की वांछित ताकत से काफी कम है. चीन और पाकिस्तान के साथ मुकाबला करने के लिए भारत को तकरीबन 800 लड़ाकू विमानों की आवश्यकता है.

रक्षा मंत्रालय ने रूस से 33 नए फाइटर जेट खरीदने को मंजूरी दी है. इसमें 12 सुखोई 30 विमान और 21 मिग-29 विमान भी शामिल हैं. इसके साथ ही पहले से मौजूद 59 मिग-29 को अपग्रेड भी करवाया जाएगा. इस पूरे प्रोजेक्ट की कुल लागत 18,148 करोड़ रुपए बताई गई है.

21 मिग-29 लड़ाकू विमानों और मिग-29 के मौजूदा बेड़े को उन्नत बनाने पर अनुमानित तौर पर 7,418 करोड़ रुपए खर्च होंगे. जबकि, हिन्दुस्तान एरोनॉटिकल्स लिमिटेड से 12 नए एसयू-30 एमकेआई विमान की खरीद पर 10,730 करोड़ रुपए की लगात आएगी.

ये फैसले रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) की बैठक में लिए गए. इस बैठक की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की ने की. इन प्रस्तावों को अंतिम मंजूरी के लिए कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी के समक्ष रखा जाएगा.

गौरतलब है कि रूस को भारत और चीन दोनों का करीबी माना जाता है. रूस ने चीन को एस-400 मिसाइलों की आपूर्ति कर दी है, लेकिन भारत अभी मिसाइल रोधी प्रणाली का अधिग्रहण करने की प्रक्रिया में है.

डीएसी ने पहले ही भारतीय वायुसेना के साथ 59 मिग-29 को अपग्रेड करने का निर्णय लिया था.

भारत और फ्रांस के बीच 36 राफेल लड़ाकू विमान की डील हुई है, जिसकी पहली खेप इसी महीने के अंत तक भारत पहुंच जाएगी. एक राफेल स्क्वाड्रन अंबाला में और दूसरा उत्तरी पश्चिम बंगाल के हशिमारा में स्थित होगा.

बीते मार्च में डीएसी ने तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के 83 M11A संस्करण के बेड़े को खरीदने के लिए लगभग 38,667 करोड़ रुपए दिए थे. लगभग 40 तेजस विमानों के अतिरिक्त ऑर्डर प्रक्रिया में है. नए अधिग्रहणों के साथ भारतीय वायुसेना 190 से अधिक लड़ाकू विमानों को अपने बड़े में शामिल करेगी.

हालांकि, भारतीय वायुसेना कर्मियों और विमानों के मामले में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायुसेना है. भारतीय वायुसेना को 40 मिलियन क्यूबिक किमी से अधिक के एयर स्पेस को कवर करना पड़ता है.

अब तक वायुसेना के लड़ाकू विमानों के मुख्य हिस्से में सुखोई 30s, मिग-29 और मिराज-2000 शामिल हैं. वर्तमान में वायुसेना की आधी से अधिक ताकत चीन सीमा पर तैनात है. इसके विपरीत चीन के पास इंडिया-सेंट्रिक वेस्टर्न थिएटर कमांड (India-centric Western Theater Command) के तहत 200 से कम लड़ाकू विमान हैं, हालांकि चीन के पास ड्रोनों की संख्या अधिक है.

वहीं, रक्षा अधिग्रहण परिषद ने 38,900 करोड़ रुपए के प्रस्तावों को मंजूरी दी, जिसमें से 31,130 करोड़ रुपए की खरीदारी भारतीय उद्योग से होगी.

रक्षा मंत्रालय ने 248 एस्ट्रा एयर मिसाइल की खरीदी की भी इजाजत दी है. यह भारतीय वायुसेना और नौसेना दोनों के काम आ सकेगी. इसके साथ ही डीआरडीओ द्वारा बनाई गई एक हजार किलोमीटर रेंज वाली क्रूज मिसाइल के डिजाइन को भी मंजूरी मिल गई है.

इन प्रोजेक्ट्स में से कुछ में स्वदेशी सामग्री परियोजना लागत का 80 प्रतिशत तक है. डीआरडीओ द्वारा स्वदेशी उद्योग को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के कारण बड़ी संख्या में इन परियोजनाओं को संभव बनाया गया है.

इनमें भारतीय सेना के लिए पिनाक मिसाइल, बीएमपी आयुध उन्नयन और सॉफ्टवेयर परिभाषित रेडियो (एसडीआर) और भारतीय नौसेना व भारतीय वायुसेना के लिए लंबी दूरी की जमीन पर मार करने वाली क्रूज मिसाइल प्रणाली और अस्त्र मिसाइल शामिल हैं. इन डिजाइन और विकास प्रस्तावों की लागत 20,400 करोड़ रुपये है.

डीआरडीओ के चेयरमैन डॉ. जी सतीश रेड्डी ने कहा कि एयर-टू-एयर एस्ट्रा मिसाइल, सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो, पिनाका गोला बारूद और लैंड अटैक क्रूज मिसाइल डीआरडीओ द्वारा विकसित अत्याधुनिक सिस्टम हैं.

बियॉन्ड विजुअल रेंज (बीवीआर) की क्षमता वाली एस्ट्रा मिसाइलों का प्रेरण एक बल गुणक के रूप में काम करेगा और नौसेना और वायुसेना की स्ट्राइक क्षमता में बेहद इजाफा करेगा.

सभी मौसम (दिन-रात) में सक्षम एस्ट्रा मिसाइलों का वायु संस्करण अत्यधिक पैंतरेबाजी वाले सुपरसोनिक विमानों को संलग्न करने और नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है. एस्ट्रा एमके-आई वेरिएंट को एसयू-30 एमके-आई विमान के साथ एकीकृत किया जा रहा है और इसे भारतीय वायुसेना में शामिल किया जा रहा है.

एसडीआर विरासत संचार समर्थन और सुरक्षित डिजिटल आवाज और डेटा संचार के साथ एक सुरक्षित स्वदेशी प्रणाली है, जो मैन पैक और हैंड हेल्ड दोनों भूमिकाओं में नौसैनिक अनुप्रयोगों के लिए है.

पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर एक ऑल-वेदर, इनडायरेक्ट फायर, फ्री फ्लाइट आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम है. पिनाका के लिए नया गोला बारूद अतिरिक्त रेजिमेंटों को जुटाने में सक्षम होगा.

दूसरी तरफ 1,000 किमी की रेंज वाली सतह से सतह पर हमला करने वाली क्रूज मिसाइल नौसेना और वायुसेना की आक्रमणकारी क्षमताओं को बढ़ा देगी.

डीआरडीओ अध्यक्ष ने कहा कि प्रोजेक्ट्स आगे बढ़ रहे हैं, जैसे कि महत्वपूर्ण क्रूज मिसाइल प्रौद्योगिकी के तहत एरोडायनामिक कॉन्फ़िगरेशन, सालिड बूस्टर का उपयोग करके वर्टिक लॉन्च, थ्रस्ट वेक्टर कंट्रोल सिस्टम, बूस्टर पृथक्करण, इन-फ़्लाइट विंग तैनाती, इन-फ़्लाइट इंजन स्टार्ट और लॉन्ग रेंज तरीका विकसित किया गया है.

डीआरडीओ प्रयोगशालाओं द्वारा विकास और परीक्षण का प्रदर्शन किया गया है और यह उच्च स्तर पर तत्परता है. इस प्रकार, यह पूरी तरह से स्वदेशी लॉन्ग रेंज लैंड अटैक क्रूज मिसाइल के प्रस्तावित विकास को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण है, जो सेवाओं की परिचालन क्षमता को बढ़ाता है.

नई दिल्ली : चीन के साथ सीमा पर बढ़े तनाव के बीच रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को सैन्य बलों की युद्धक क्षमता बढ़ाने के लिए 38,900 करोड़ रुपये की लागत से उन्नत लड़ाकू विमान, मिसाइल सिस्टम और अन्य हथियारों की खरीद को मंजूरी दी. भारतीय वायुसेना के पास वर्तमान में लगभग 33 लड़ाकू स्क्वाड्रन (लगभग 600 लड़ाकू विमान) हैं. 33 नए विमानों की खरीद के साथ यह संख्या 600 के पार हो जाएगी. फिर भी यह संख्या 800 लड़ाकू विमानों की वांछित ताकत से काफी कम है. चीन और पाकिस्तान के साथ मुकाबला करने के लिए भारत को तकरीबन 800 लड़ाकू विमानों की आवश्यकता है.

रक्षा मंत्रालय ने रूस से 33 नए फाइटर जेट खरीदने को मंजूरी दी है. इसमें 12 सुखोई 30 विमान और 21 मिग-29 विमान भी शामिल हैं. इसके साथ ही पहले से मौजूद 59 मिग-29 को अपग्रेड भी करवाया जाएगा. इस पूरे प्रोजेक्ट की कुल लागत 18,148 करोड़ रुपए बताई गई है.

21 मिग-29 लड़ाकू विमानों और मिग-29 के मौजूदा बेड़े को उन्नत बनाने पर अनुमानित तौर पर 7,418 करोड़ रुपए खर्च होंगे. जबकि, हिन्दुस्तान एरोनॉटिकल्स लिमिटेड से 12 नए एसयू-30 एमकेआई विमान की खरीद पर 10,730 करोड़ रुपए की लगात आएगी.

ये फैसले रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) की बैठक में लिए गए. इस बैठक की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की ने की. इन प्रस्तावों को अंतिम मंजूरी के लिए कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी के समक्ष रखा जाएगा.

गौरतलब है कि रूस को भारत और चीन दोनों का करीबी माना जाता है. रूस ने चीन को एस-400 मिसाइलों की आपूर्ति कर दी है, लेकिन भारत अभी मिसाइल रोधी प्रणाली का अधिग्रहण करने की प्रक्रिया में है.

डीएसी ने पहले ही भारतीय वायुसेना के साथ 59 मिग-29 को अपग्रेड करने का निर्णय लिया था.

भारत और फ्रांस के बीच 36 राफेल लड़ाकू विमान की डील हुई है, जिसकी पहली खेप इसी महीने के अंत तक भारत पहुंच जाएगी. एक राफेल स्क्वाड्रन अंबाला में और दूसरा उत्तरी पश्चिम बंगाल के हशिमारा में स्थित होगा.

बीते मार्च में डीएसी ने तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के 83 M11A संस्करण के बेड़े को खरीदने के लिए लगभग 38,667 करोड़ रुपए दिए थे. लगभग 40 तेजस विमानों के अतिरिक्त ऑर्डर प्रक्रिया में है. नए अधिग्रहणों के साथ भारतीय वायुसेना 190 से अधिक लड़ाकू विमानों को अपने बड़े में शामिल करेगी.

हालांकि, भारतीय वायुसेना कर्मियों और विमानों के मामले में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायुसेना है. भारतीय वायुसेना को 40 मिलियन क्यूबिक किमी से अधिक के एयर स्पेस को कवर करना पड़ता है.

अब तक वायुसेना के लड़ाकू विमानों के मुख्य हिस्से में सुखोई 30s, मिग-29 और मिराज-2000 शामिल हैं. वर्तमान में वायुसेना की आधी से अधिक ताकत चीन सीमा पर तैनात है. इसके विपरीत चीन के पास इंडिया-सेंट्रिक वेस्टर्न थिएटर कमांड (India-centric Western Theater Command) के तहत 200 से कम लड़ाकू विमान हैं, हालांकि चीन के पास ड्रोनों की संख्या अधिक है.

वहीं, रक्षा अधिग्रहण परिषद ने 38,900 करोड़ रुपए के प्रस्तावों को मंजूरी दी, जिसमें से 31,130 करोड़ रुपए की खरीदारी भारतीय उद्योग से होगी.

रक्षा मंत्रालय ने 248 एस्ट्रा एयर मिसाइल की खरीदी की भी इजाजत दी है. यह भारतीय वायुसेना और नौसेना दोनों के काम आ सकेगी. इसके साथ ही डीआरडीओ द्वारा बनाई गई एक हजार किलोमीटर रेंज वाली क्रूज मिसाइल के डिजाइन को भी मंजूरी मिल गई है.

इन प्रोजेक्ट्स में से कुछ में स्वदेशी सामग्री परियोजना लागत का 80 प्रतिशत तक है. डीआरडीओ द्वारा स्वदेशी उद्योग को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के कारण बड़ी संख्या में इन परियोजनाओं को संभव बनाया गया है.

इनमें भारतीय सेना के लिए पिनाक मिसाइल, बीएमपी आयुध उन्नयन और सॉफ्टवेयर परिभाषित रेडियो (एसडीआर) और भारतीय नौसेना व भारतीय वायुसेना के लिए लंबी दूरी की जमीन पर मार करने वाली क्रूज मिसाइल प्रणाली और अस्त्र मिसाइल शामिल हैं. इन डिजाइन और विकास प्रस्तावों की लागत 20,400 करोड़ रुपये है.

डीआरडीओ के चेयरमैन डॉ. जी सतीश रेड्डी ने कहा कि एयर-टू-एयर एस्ट्रा मिसाइल, सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो, पिनाका गोला बारूद और लैंड अटैक क्रूज मिसाइल डीआरडीओ द्वारा विकसित अत्याधुनिक सिस्टम हैं.

बियॉन्ड विजुअल रेंज (बीवीआर) की क्षमता वाली एस्ट्रा मिसाइलों का प्रेरण एक बल गुणक के रूप में काम करेगा और नौसेना और वायुसेना की स्ट्राइक क्षमता में बेहद इजाफा करेगा.

सभी मौसम (दिन-रात) में सक्षम एस्ट्रा मिसाइलों का वायु संस्करण अत्यधिक पैंतरेबाजी वाले सुपरसोनिक विमानों को संलग्न करने और नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है. एस्ट्रा एमके-आई वेरिएंट को एसयू-30 एमके-आई विमान के साथ एकीकृत किया जा रहा है और इसे भारतीय वायुसेना में शामिल किया जा रहा है.

एसडीआर विरासत संचार समर्थन और सुरक्षित डिजिटल आवाज और डेटा संचार के साथ एक सुरक्षित स्वदेशी प्रणाली है, जो मैन पैक और हैंड हेल्ड दोनों भूमिकाओं में नौसैनिक अनुप्रयोगों के लिए है.

पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर एक ऑल-वेदर, इनडायरेक्ट फायर, फ्री फ्लाइट आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम है. पिनाका के लिए नया गोला बारूद अतिरिक्त रेजिमेंटों को जुटाने में सक्षम होगा.

दूसरी तरफ 1,000 किमी की रेंज वाली सतह से सतह पर हमला करने वाली क्रूज मिसाइल नौसेना और वायुसेना की आक्रमणकारी क्षमताओं को बढ़ा देगी.

डीआरडीओ अध्यक्ष ने कहा कि प्रोजेक्ट्स आगे बढ़ रहे हैं, जैसे कि महत्वपूर्ण क्रूज मिसाइल प्रौद्योगिकी के तहत एरोडायनामिक कॉन्फ़िगरेशन, सालिड बूस्टर का उपयोग करके वर्टिक लॉन्च, थ्रस्ट वेक्टर कंट्रोल सिस्टम, बूस्टर पृथक्करण, इन-फ़्लाइट विंग तैनाती, इन-फ़्लाइट इंजन स्टार्ट और लॉन्ग रेंज तरीका विकसित किया गया है.

डीआरडीओ प्रयोगशालाओं द्वारा विकास और परीक्षण का प्रदर्शन किया गया है और यह उच्च स्तर पर तत्परता है. इस प्रकार, यह पूरी तरह से स्वदेशी लॉन्ग रेंज लैंड अटैक क्रूज मिसाइल के प्रस्तावित विकास को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण है, जो सेवाओं की परिचालन क्षमता को बढ़ाता है.

Last Updated : Jul 2, 2020, 10:51 PM IST
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