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पांचवीं पास होकर भी लाखों को बनाया आत्मनिर्भर, केबीसी में आएंगी नजर

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव के छोटे से गांव सुकुलदैहान की 5वीं पास पद्मश्री फूलबासन बाई यादव समाज की महिलाओं के लिए मिसाल हैं. उनका बनाया गया महिला समूह आज दो लाख महिलाओं को रोजगार दे रहा है. यहीं कारण है कि केबीसी के स्पेशल कर्मवीर एपिसोड में उन्हें महानायक अमिताभ बच्चन के सामने हॉट सीट पर बैठने का मौका मिला है. ईटीवी भारत उनसे विशेष बात करते हुए उनकी संघर्ष को उन्हीं की जुबानी आपतक पहुंचा रहा है. देखिये पद्मश्री फूलबासन बाई का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू...

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Published : Oct 22, 2020, 10:49 PM IST

पद्मश्री फूलबासन
पद्मश्री फूलबासन

रायपुर : छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव की एक साधारण सी महिला गांव की चारदीवारी से निकलकर जिले की दो लाख महिलाओं तक पहुंचने वाली फूलबासन यादव शुक्रवार 23अक्टूबर को 'कौन बनेगा करोड़पति' (केबीसी) की हॉट सीट पर नजर आएंगी. केबीसी में कर्मवीर के तौर पर उनका चयन किया गया है. फूलबासन ने अपनी हिम्मत और संघर्ष के दम पर यह सफलता हासिल की है. पद्मश्री फूलबासन यादव ने गांव की पगडंडियों से लेकर केबीसी की हॉट सीट तक पहुंचने तक के सफर पर ईटीवी भारत से खासचीत की है.

पद्मश्री फूलबासन का सफर

ईटीवी भारत से चर्चा करते हुए पद्मश्री फुलबासन यादव ने बताया कि दस साल की उम्र में उनकी शादी हो गई और 13 साल की उम्र में उन्हें ससुराल आना पड़ा. बेहद गरीब परिवार में उनका जन्म हुआ और ससुराल में भी गरीबी देखी. दो से तीन दिन उन्हें भूखे रहकर गुजारना पड़ा. एक वक्त ऐसा आया कि बच्चे और खुद को भी दो-दो दिन तक भूखा रहना पड़ा. आखिर में थक हार कर उन्होंने फैसला लिया कि अब वे मौत को गले लगा लेंगी. लेकिन उन्हें उनके बच्चों ने उन्हें रोका और हौसला दिलाया.

बच्चों ने दिया जीने का हौंसला

फूलबासन यादव कहती हैं कि उनकी बेटी ने उन्हें हिम्मत दी कि ये जीवन जीना है, हर हाल में वे इस जीवन को जीना चाहते हैं. बस यहीं से फूलबासन यादव को नया जीवन मिला और उन्होंने ठान लिया कि चाहे कुछ भी हो जाए वह संघर्ष का रास्ता नहीं छोड़ेंगी. फूलबासन ने प्रण किया कि अब वह घर की चारदीवारी से निकलकर न सिर्फ अपना जीवन संवारेंगी बल्कि समाज की सभी गरीब, शोषित और पीड़ित महिलाओं की मदद करेगी.

महिला समूह के पास 40 करोड़ रुपये की राशि

सन 2001 से शुरुआत हुई मां बमलेश्वरी स्व सहायता समूह की जो आज तकरीबन दो लाख महिलाओं का समूह है. आज इस महिला समूह ने पास 40 करोड़ की राशि है. बैंकों को भी यह राशि ब्याज में दी जाती है. समूह की शुरुआत गांव की 12 महिलाओं के साथ हुई थी. उस महिला समूह के माध्यम से छोटी-छोटी बचत करते हुए आज बचत का बड़ा पहाड़ खड़ा कर लिया गया है. करीब 40 करोड़ की राशि महिला समूह के खाते में हैं. जो महिलाओं को रोजगार और आत्मनिर्भर बनाने के लिए बतौर फाइनेंस दी जाती है.

पढ़ें -तेलंगाना में 45 लाख की फिरौती के लिए पत्रकार के बेटे की हत्या

महिलाओं को बनना होगा झांसी की रानी

ईटीवी भारत से चर्चा करते हुए फूलबासन यादव ने कहा कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनना होगा. महिलाएं अपने घरों से बेहिचक बाहर निकले और झांसी की रानी बनकर हर परिस्थितियों का सामना करें. उन्होंने बताया कि जिले के 16 गांव में आज दो लाख महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी होकर आत्मनिर्भरता का परिचय दे रही हैं. समाज में व्याप्त कुरीतियों और व्यसन मुक्त समाज बनाने के लिए लड़ाई लड़ रहीं हैं. उनका कहना है कि गांव की एक-एक महिलाएं जुड़कर आज सशक्तिकरण की मिसाल बन गई है. उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी आधी जिंदगी गरीबी में गुजारी है. गरीबी का चक्रव्यूह तोड़ने के लिए ही उन्होंने महिलाओं को एकजुट कर गांव-गांव में खड़ा किया है.

व्यवसायिक क्षेत्र में किए गए काम

जिमीकंद की खेती, ऑर्गेनिक खेती, ऑर्गेनिक खाद कंपनी का निर्माण, फूल से अगरबत्ती बनाने का काम, डेयरी उत्पाद, बकरी पालन, मुर्गी पालन, छोटी बाड़ी से महिलाओं को सशक्त बनाना ऐसे कई काम है जो महिलाओं को व्यवसायिक तौर पर आत्मनिर्भर बनाते हैं. महिला समूह के माध्यम से व्यवसायिक तौर पर ऐसे बड़े काम खड़े किए गए हैं. जिनका टर्नओवर करोड़ों में है.

सामाजिक कुरीतियों को दूर करना पहली जिम्मेदारी

फूलबासन यादव का कहना है कि सामाजिक कुरीतियों को दूर करना महिला समूह की पहली जवाबदारी है. उन्होंने गांव-गांव में महिला फौज तैयार की है. जो समाज में व्याप्त कुरीतियों से लड़ाई लड़ती है. हर रात 1:30 घंटे तक घूमकर गांव में शराब बेचने वालों के खिलाफ आंदोलन करती हैं. इसके अलावा शौचालय निर्माण को लेकर भी महिला समूह ने काफी बेहतर काम किया है.

पढ़ें - विशेष मिशन पर पहली बार जाएंगी नौसेना की तीन महिला पायलट

शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में महिलाओं को बढ़ाना होगा

फूलबासन का कहना है कि शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में महिलाएं आगे बढ़े इसके लिए उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के टीकाकरण कार्यक्रम में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की है. सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर महिलाओं की भूमिका सुनिश्चित की है. उन्होंने बताया कि जिले में महिला समूह के द्वारा हर साल पौधरोपण, जल संरक्षण और बेटी बचाओ अभियान चलाए जाते हैं. जिसके तहत महिलाएं गांव के घर-घर जाकर लोगों को समझाती है. बाल विवाह को रोकने के लिए महिला समूह ने जिले के हर घर में दस्तक देकर लोगों को जागरुक किया है.

समाज के लिए सब कुछ समर्पित

फूलबासन यादव ने बताया कि अब तक उन्हें 50 लाख से भी ज्यादा की राशि सम्मान के तौर पर मिल चुकी है. यह राशि हमेशा की तरह उन्होंने महिला समूह के उत्थान के लिए लगा दी है. अब तक के जो भी राशि उन्हें बतौर सम्मान मिली, उन्होंने इसे महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए खर्च की. महिला समूह के माध्यम से अलग-अलग क्षेत्र में काम करने के लिए महिलाओं को प्रेरित करने के अलावा उनकी आर्थिक रूप से भी मदद की जा रही है.

समाज की कुरीतियों से लड़कर बनी कर्मवीर

फूलबासन यादव छत्तीसगढ़ का वह चेहरा है. जिन्होंने समाज की कुरीतियों से लड़कर आज कर्मवीर के रूप में अपनी पहचान बनाई है. यही कारण है कि केबीसी के स्पेशल कर्मवीर एपिसोड में उन्हें महानायक अमिताभ बच्चन के सामने हॉट सीट पर बैठने का मौका मिला है. यह पूरे छत्तीसगढ़ के लिए गर्व की बात है.

रायपुर : छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव की एक साधारण सी महिला गांव की चारदीवारी से निकलकर जिले की दो लाख महिलाओं तक पहुंचने वाली फूलबासन यादव शुक्रवार 23अक्टूबर को 'कौन बनेगा करोड़पति' (केबीसी) की हॉट सीट पर नजर आएंगी. केबीसी में कर्मवीर के तौर पर उनका चयन किया गया है. फूलबासन ने अपनी हिम्मत और संघर्ष के दम पर यह सफलता हासिल की है. पद्मश्री फूलबासन यादव ने गांव की पगडंडियों से लेकर केबीसी की हॉट सीट तक पहुंचने तक के सफर पर ईटीवी भारत से खासचीत की है.

पद्मश्री फूलबासन का सफर

ईटीवी भारत से चर्चा करते हुए पद्मश्री फुलबासन यादव ने बताया कि दस साल की उम्र में उनकी शादी हो गई और 13 साल की उम्र में उन्हें ससुराल आना पड़ा. बेहद गरीब परिवार में उनका जन्म हुआ और ससुराल में भी गरीबी देखी. दो से तीन दिन उन्हें भूखे रहकर गुजारना पड़ा. एक वक्त ऐसा आया कि बच्चे और खुद को भी दो-दो दिन तक भूखा रहना पड़ा. आखिर में थक हार कर उन्होंने फैसला लिया कि अब वे मौत को गले लगा लेंगी. लेकिन उन्हें उनके बच्चों ने उन्हें रोका और हौसला दिलाया.

बच्चों ने दिया जीने का हौंसला

फूलबासन यादव कहती हैं कि उनकी बेटी ने उन्हें हिम्मत दी कि ये जीवन जीना है, हर हाल में वे इस जीवन को जीना चाहते हैं. बस यहीं से फूलबासन यादव को नया जीवन मिला और उन्होंने ठान लिया कि चाहे कुछ भी हो जाए वह संघर्ष का रास्ता नहीं छोड़ेंगी. फूलबासन ने प्रण किया कि अब वह घर की चारदीवारी से निकलकर न सिर्फ अपना जीवन संवारेंगी बल्कि समाज की सभी गरीब, शोषित और पीड़ित महिलाओं की मदद करेगी.

महिला समूह के पास 40 करोड़ रुपये की राशि

सन 2001 से शुरुआत हुई मां बमलेश्वरी स्व सहायता समूह की जो आज तकरीबन दो लाख महिलाओं का समूह है. आज इस महिला समूह ने पास 40 करोड़ की राशि है. बैंकों को भी यह राशि ब्याज में दी जाती है. समूह की शुरुआत गांव की 12 महिलाओं के साथ हुई थी. उस महिला समूह के माध्यम से छोटी-छोटी बचत करते हुए आज बचत का बड़ा पहाड़ खड़ा कर लिया गया है. करीब 40 करोड़ की राशि महिला समूह के खाते में हैं. जो महिलाओं को रोजगार और आत्मनिर्भर बनाने के लिए बतौर फाइनेंस दी जाती है.

पढ़ें -तेलंगाना में 45 लाख की फिरौती के लिए पत्रकार के बेटे की हत्या

महिलाओं को बनना होगा झांसी की रानी

ईटीवी भारत से चर्चा करते हुए फूलबासन यादव ने कहा कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनना होगा. महिलाएं अपने घरों से बेहिचक बाहर निकले और झांसी की रानी बनकर हर परिस्थितियों का सामना करें. उन्होंने बताया कि जिले के 16 गांव में आज दो लाख महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी होकर आत्मनिर्भरता का परिचय दे रही हैं. समाज में व्याप्त कुरीतियों और व्यसन मुक्त समाज बनाने के लिए लड़ाई लड़ रहीं हैं. उनका कहना है कि गांव की एक-एक महिलाएं जुड़कर आज सशक्तिकरण की मिसाल बन गई है. उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी आधी जिंदगी गरीबी में गुजारी है. गरीबी का चक्रव्यूह तोड़ने के लिए ही उन्होंने महिलाओं को एकजुट कर गांव-गांव में खड़ा किया है.

व्यवसायिक क्षेत्र में किए गए काम

जिमीकंद की खेती, ऑर्गेनिक खेती, ऑर्गेनिक खाद कंपनी का निर्माण, फूल से अगरबत्ती बनाने का काम, डेयरी उत्पाद, बकरी पालन, मुर्गी पालन, छोटी बाड़ी से महिलाओं को सशक्त बनाना ऐसे कई काम है जो महिलाओं को व्यवसायिक तौर पर आत्मनिर्भर बनाते हैं. महिला समूह के माध्यम से व्यवसायिक तौर पर ऐसे बड़े काम खड़े किए गए हैं. जिनका टर्नओवर करोड़ों में है.

सामाजिक कुरीतियों को दूर करना पहली जिम्मेदारी

फूलबासन यादव का कहना है कि सामाजिक कुरीतियों को दूर करना महिला समूह की पहली जवाबदारी है. उन्होंने गांव-गांव में महिला फौज तैयार की है. जो समाज में व्याप्त कुरीतियों से लड़ाई लड़ती है. हर रात 1:30 घंटे तक घूमकर गांव में शराब बेचने वालों के खिलाफ आंदोलन करती हैं. इसके अलावा शौचालय निर्माण को लेकर भी महिला समूह ने काफी बेहतर काम किया है.

पढ़ें - विशेष मिशन पर पहली बार जाएंगी नौसेना की तीन महिला पायलट

शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में महिलाओं को बढ़ाना होगा

फूलबासन का कहना है कि शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में महिलाएं आगे बढ़े इसके लिए उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के टीकाकरण कार्यक्रम में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की है. सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर महिलाओं की भूमिका सुनिश्चित की है. उन्होंने बताया कि जिले में महिला समूह के द्वारा हर साल पौधरोपण, जल संरक्षण और बेटी बचाओ अभियान चलाए जाते हैं. जिसके तहत महिलाएं गांव के घर-घर जाकर लोगों को समझाती है. बाल विवाह को रोकने के लिए महिला समूह ने जिले के हर घर में दस्तक देकर लोगों को जागरुक किया है.

समाज के लिए सब कुछ समर्पित

फूलबासन यादव ने बताया कि अब तक उन्हें 50 लाख से भी ज्यादा की राशि सम्मान के तौर पर मिल चुकी है. यह राशि हमेशा की तरह उन्होंने महिला समूह के उत्थान के लिए लगा दी है. अब तक के जो भी राशि उन्हें बतौर सम्मान मिली, उन्होंने इसे महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए खर्च की. महिला समूह के माध्यम से अलग-अलग क्षेत्र में काम करने के लिए महिलाओं को प्रेरित करने के अलावा उनकी आर्थिक रूप से भी मदद की जा रही है.

समाज की कुरीतियों से लड़कर बनी कर्मवीर

फूलबासन यादव छत्तीसगढ़ का वह चेहरा है. जिन्होंने समाज की कुरीतियों से लड़कर आज कर्मवीर के रूप में अपनी पहचान बनाई है. यही कारण है कि केबीसी के स्पेशल कर्मवीर एपिसोड में उन्हें महानायक अमिताभ बच्चन के सामने हॉट सीट पर बैठने का मौका मिला है. यह पूरे छत्तीसगढ़ के लिए गर्व की बात है.

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