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कोरोना से जंग में सभी दलों को एक साथ आना चाहिए : नितिन गडकरी

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Published : May 7, 2020, 9:19 PM IST

Updated : May 8, 2020, 8:40 AM IST

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा ऐसा संकट पहली बार आया है. इस संकट में हमें लोगों के रोजगार और उन्हें भी कोरोना से सुरक्षित रखना है. इसमें काफी कठिनाइयां हैं. इसलिए लॉकाडाउन लागू करते समय भी काफी चिंता करनी पड़ी. सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ चर्चा करने के बाद ही प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन का निर्णय लिया है. मुझे इतना ही कहना है कि हमारा देश संकट की स्थिति से गुजर रहा है. हम सबको इसके खिलाफ मिलकर लड़ना होगा.

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nitin gadkari

नई दिल्ली : देश में कोरोना वायरस का कहर जारी है. इससे निबटने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है. इसी बीच ईटीवी भारत ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से बात की है. इस दौरान उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से केवल भारत ही नहीं पूरी दुनिया परेशान है. इस मुद्दे पर पार्टियों को राजनीति नहीं करनी चाहिए बल्कि सभी पार्टियों को एक साथ आना चाहिए और मैं यही कहूंगा कि जात, धर्म, पंथ, भाषा से ऊपर उठकर आगे आना चाहिए.

सवाल- लॉकडाउन का तीसरा चरण चल रहा है. विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने बिना तैयारी के ही लॉकडाउन लागू किया है क्या सरकार की तैयारियां पर्याप्त हैं?

जवाब- कोरोना संकट का असर भारत में ही नहीं विश्वभर में आया है. अमेरिका, यूके, जर्मनी फ्रांस में कैसी स्थिति है. वहां कितना नुकसान हुआ है. वह हमसे ज्यादा प्रगतिशील देश हैं. फिर भी हमारे यहां कम मामले हैं.

ऐसा संकट पहली बार आया है. इस संकट में हमें लोगों के रोजगार और उन्हें भी कोरोना से सुरक्षित रखना है. इसमें काफी कठिनाइयां हैं. इसलिए लॉकाडाउन लागू करते समय भी काफी चिंता करनी पड़ी. सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ चर्चा करने के बाद ही प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन का निर्णय लिया है. मुझे इतना ही कहना है कि हमारा देश संकट की स्थिति से गुजर रहा है. मैं नागपुर में हूं मुझे कुछ सुझाव भी देना होता है तो मैं मुख्यमंत्री से बात करता हूं, उनसे रिपोर्ट लेता हूं. कुछ कहना होता है तो उनसे कहता हूं मीडिया से नहीं. हमें मजदूरों को देखते हुए बहुत सी चीजें शुरू करनी होगी. और कोरोना से लड़ना होगा.

सवाल- कोरोना की दवा नहीं आई है. फिर भी लॉकडाउन में रियायत दी जा रही है क्या इससे स्थिति और बिगड़ सकती है ?

जवाब- नितिन गडकरी ने कहा कि नेशनल हाइवे से 70 फीसद शुरू ट्रांसपोर्ट शुरू हो गया. छोटी -छोटी दुकानें भी चालू की गई है. हमें सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए हम इन सब चीजों को जारी रखनी होगी. हमें कोरोना से लड़ने के लिए सरकारी निर्देशों को पालन करना हुए अपने काम शुरू करना होगा. यह दोनों एक दूसरे के पूरक होंगे.

सवाल- कल आपने पब्लिक ट्रांसपोर्ट खोलने की घोषणा की. क्या ऐसे में सोशल डिस्टेसिंग का पालन हो सकेगा ?

जवाब- हमनें ऐसी कोई घोषणा नहीं की है. हमने यही कहा है कि हमारे जो लेबर फंसे हुए हैं उनके लिए कुछ रेलवे लाइन शुरू हो गई है. धीरे-धीरे हम इसके अधीन होकर काम करेगा तो विकसित होगा. लोग इसे पॉजिटिव होकर देखेंगे तो मार्ग जरूर निकलेगा. इसके लिए मुख्यमंत्रियों और केंद्रीय मंत्रियों से बात करके उपाय निकाला जाएगा.

सवाल- सोशल डिस्टेंसिंग की अगर बात करें और शराब की दुकानें खोलने के बाद सोशल डिस्टेंसिंग खत्म हो रही है. क्या इसके बावजूद कोरोना को रोकने में सफलता मिलेगी ?

जवाब- देखिए लोगों को समझना चाहिए कि यह लोगों के जीवन की रक्षा के लिए ही है. अब चाहे निजामुद्दीन की घटना हो, या किसी व्यापारी के दिल्ली से यहां वापस आने की बात हो, कितनी कीमत चुका रहे हैं हम लोग. जात, पंथ, धर्म भाषा से उठकर सबको यह सोचना चाहिए कि कोरोना ज्यादा खतरनाक है.

इसलिए हमने कोरोना के प्रति संवेदनशील रहना जागरूक रहना लोगों को समझाना होगा. जीवन जीने की पद्धति सीखनी होगी और कदम से कदम मिलाकर चलते समय एक मीटर की दूरी मेंटेन करनी होगी.

सवाल- तो हम मानें कि कोरोना के बाद देश जब इस महामारी से उभरेगा तो देश के आर्थिक हालात उतने बदहाल नहीं होंगे. आपने लोगों से बातचीत की, लगातार लघु उद्योग के लोग हों, ट्रांसपोटर्स हों या फिल्म जगत के लोग हों, आपने लगातार उनसे बात की. तो क्या यह उन्हें आत्मविश्वास दिलाने की कोशिश की जा रही है?

जवाब- कोशिश करने वाले की कभी हार नहीं होती. कदम से कदम मिलाकर चलने का समय है. लोगों के सहयोग से एक अच्छा जीवन जीने के लिए पांच ट्रिलियन की इकोनॉमी बनाना और इस देश को आगे लेकर जाना हमारा उद्देश्य है.

सवाल- क्या सरकार द्वारा कोरोना की लड़ाई में क्या विपक्षी पार्टियों का साथ मिल रहा है. क्योंकि सोनिया गांधी ने अपनी पार्टियों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की. इसी तरह आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में गैस त्रासदी को लेकर भी केंद्र सरकार को घेरा गया. क्या इस वैश्विक लड़ाई में विपक्षी पार्टियां साथ दे रही हैं?

जवाब- मैं मानता हूं कि आज की समस्या पूरे विश्व में है. यह समय राजनीति का नहीं है. हम सबको इसका सामना मिलकर करना होगा. मैं यही कहूंगा कि हम जात, धर्म, पंथ, भाषा से ऊपर उठकर देशहित में कोरोना की लड़ाई भी जीतेंगे और अर्थव्यवस्था को भी सुदृढ़ करेंगे. यह वक्त राजनीति करने का नहीं है.

सवाल- सड़क बनाने का जो लक्ष्य रखा गया था कोरोना की वजह से कितने पीछे चला गया

जवाब- कोरोना संकट के बीच हमने लगभग 30 किलोमीटर का लक्ष्य पूरा किया है. इस समय हमारा देश की लक्ष्य अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने का है. इसके लिए मार्केट में लिक्विडिटी आनी चाहिए. अब हम लोग कोशिश कर रहे है रोड में फॉरेन फंड लाएं. जैसे की वर्ड बैंक, एडीबी, फॉरेंन बैंक, इंश्योरेंस फंड, पेंशन फंड हैं. सरकार ने इसको आगे बढ़ाने की कोशिश की. हमारी कोशिश यही है कि रोड़ के लिए 15 लाख करोड़ का काम शुरू करें. क्योंकि यह सब किए बिना मार्केट में लिक्विडिटी नहीं आएगी. दूसरी महत्वपूर्ण बात आपकों पता है कि मैं जब शिपिंग मंत्री था अभी तो मेरे पास शिपिंग मंत्रालय नहीं है . उस समय हमारा बजट 800 करोड़ का था और हमने सागर माला नाम से साढ़े सोलह लाख करोड़ का एक प्रोजक्ट लिया था, जबकि सरकार फैसा कम था.

अर्थव्यस्था को अनेक इनोवेटिव मॉडल से आगे ले जाया जा सकता है. इसके लिए हम लोग पब्लिक प्राइवेट इनवेसमेंट भी लाएंगे. निश्चित रूप से अर्थव्यवस्था की जो लड़ाई है उसे हमे जीतना होगा. इसके साथ-साथ हमें कोरोना की लड़ाई भी जीतनी है. अमेरिका से लेकर सभी देश चीन से नाराज हैं और यदि बात करें चीन की अर्थव्यवस्था की तो वह सूपर इकोनॉमी बन चूकी है, लेकिन विश्व का कोई भी देश चीन के साथ डील नहीं करना चाहता है. ऐसे में हमारे मंत्रालय में फॉरेंन इनवेसमेंट कैसे आए. नितिन गडकरी ने कहा कि कोरोना और आर्थिक लड़ाई हम जीतेंगे और पीएम मोदी का जो सपना है पांच ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी का उसे हम पूरा करेंगे. ऐसा विश्वास निश्चित रूप से हम जनता में पैदा कर सकते हैं.

नई दिल्ली : देश में कोरोना वायरस का कहर जारी है. इससे निबटने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है. इसी बीच ईटीवी भारत ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से बात की है. इस दौरान उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से केवल भारत ही नहीं पूरी दुनिया परेशान है. इस मुद्दे पर पार्टियों को राजनीति नहीं करनी चाहिए बल्कि सभी पार्टियों को एक साथ आना चाहिए और मैं यही कहूंगा कि जात, धर्म, पंथ, भाषा से ऊपर उठकर आगे आना चाहिए.

सवाल- लॉकडाउन का तीसरा चरण चल रहा है. विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने बिना तैयारी के ही लॉकडाउन लागू किया है क्या सरकार की तैयारियां पर्याप्त हैं?

जवाब- कोरोना संकट का असर भारत में ही नहीं विश्वभर में आया है. अमेरिका, यूके, जर्मनी फ्रांस में कैसी स्थिति है. वहां कितना नुकसान हुआ है. वह हमसे ज्यादा प्रगतिशील देश हैं. फिर भी हमारे यहां कम मामले हैं.

ऐसा संकट पहली बार आया है. इस संकट में हमें लोगों के रोजगार और उन्हें भी कोरोना से सुरक्षित रखना है. इसमें काफी कठिनाइयां हैं. इसलिए लॉकाडाउन लागू करते समय भी काफी चिंता करनी पड़ी. सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ चर्चा करने के बाद ही प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन का निर्णय लिया है. मुझे इतना ही कहना है कि हमारा देश संकट की स्थिति से गुजर रहा है. मैं नागपुर में हूं मुझे कुछ सुझाव भी देना होता है तो मैं मुख्यमंत्री से बात करता हूं, उनसे रिपोर्ट लेता हूं. कुछ कहना होता है तो उनसे कहता हूं मीडिया से नहीं. हमें मजदूरों को देखते हुए बहुत सी चीजें शुरू करनी होगी. और कोरोना से लड़ना होगा.

सवाल- कोरोना की दवा नहीं आई है. फिर भी लॉकडाउन में रियायत दी जा रही है क्या इससे स्थिति और बिगड़ सकती है ?

जवाब- नितिन गडकरी ने कहा कि नेशनल हाइवे से 70 फीसद शुरू ट्रांसपोर्ट शुरू हो गया. छोटी -छोटी दुकानें भी चालू की गई है. हमें सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए हम इन सब चीजों को जारी रखनी होगी. हमें कोरोना से लड़ने के लिए सरकारी निर्देशों को पालन करना हुए अपने काम शुरू करना होगा. यह दोनों एक दूसरे के पूरक होंगे.

सवाल- कल आपने पब्लिक ट्रांसपोर्ट खोलने की घोषणा की. क्या ऐसे में सोशल डिस्टेसिंग का पालन हो सकेगा ?

जवाब- हमनें ऐसी कोई घोषणा नहीं की है. हमने यही कहा है कि हमारे जो लेबर फंसे हुए हैं उनके लिए कुछ रेलवे लाइन शुरू हो गई है. धीरे-धीरे हम इसके अधीन होकर काम करेगा तो विकसित होगा. लोग इसे पॉजिटिव होकर देखेंगे तो मार्ग जरूर निकलेगा. इसके लिए मुख्यमंत्रियों और केंद्रीय मंत्रियों से बात करके उपाय निकाला जाएगा.

सवाल- सोशल डिस्टेंसिंग की अगर बात करें और शराब की दुकानें खोलने के बाद सोशल डिस्टेंसिंग खत्म हो रही है. क्या इसके बावजूद कोरोना को रोकने में सफलता मिलेगी ?

जवाब- देखिए लोगों को समझना चाहिए कि यह लोगों के जीवन की रक्षा के लिए ही है. अब चाहे निजामुद्दीन की घटना हो, या किसी व्यापारी के दिल्ली से यहां वापस आने की बात हो, कितनी कीमत चुका रहे हैं हम लोग. जात, पंथ, धर्म भाषा से उठकर सबको यह सोचना चाहिए कि कोरोना ज्यादा खतरनाक है.

इसलिए हमने कोरोना के प्रति संवेदनशील रहना जागरूक रहना लोगों को समझाना होगा. जीवन जीने की पद्धति सीखनी होगी और कदम से कदम मिलाकर चलते समय एक मीटर की दूरी मेंटेन करनी होगी.

सवाल- तो हम मानें कि कोरोना के बाद देश जब इस महामारी से उभरेगा तो देश के आर्थिक हालात उतने बदहाल नहीं होंगे. आपने लोगों से बातचीत की, लगातार लघु उद्योग के लोग हों, ट्रांसपोटर्स हों या फिल्म जगत के लोग हों, आपने लगातार उनसे बात की. तो क्या यह उन्हें आत्मविश्वास दिलाने की कोशिश की जा रही है?

जवाब- कोशिश करने वाले की कभी हार नहीं होती. कदम से कदम मिलाकर चलने का समय है. लोगों के सहयोग से एक अच्छा जीवन जीने के लिए पांच ट्रिलियन की इकोनॉमी बनाना और इस देश को आगे लेकर जाना हमारा उद्देश्य है.

सवाल- क्या सरकार द्वारा कोरोना की लड़ाई में क्या विपक्षी पार्टियों का साथ मिल रहा है. क्योंकि सोनिया गांधी ने अपनी पार्टियों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की. इसी तरह आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में गैस त्रासदी को लेकर भी केंद्र सरकार को घेरा गया. क्या इस वैश्विक लड़ाई में विपक्षी पार्टियां साथ दे रही हैं?

जवाब- मैं मानता हूं कि आज की समस्या पूरे विश्व में है. यह समय राजनीति का नहीं है. हम सबको इसका सामना मिलकर करना होगा. मैं यही कहूंगा कि हम जात, धर्म, पंथ, भाषा से ऊपर उठकर देशहित में कोरोना की लड़ाई भी जीतेंगे और अर्थव्यवस्था को भी सुदृढ़ करेंगे. यह वक्त राजनीति करने का नहीं है.

सवाल- सड़क बनाने का जो लक्ष्य रखा गया था कोरोना की वजह से कितने पीछे चला गया

जवाब- कोरोना संकट के बीच हमने लगभग 30 किलोमीटर का लक्ष्य पूरा किया है. इस समय हमारा देश की लक्ष्य अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने का है. इसके लिए मार्केट में लिक्विडिटी आनी चाहिए. अब हम लोग कोशिश कर रहे है रोड में फॉरेन फंड लाएं. जैसे की वर्ड बैंक, एडीबी, फॉरेंन बैंक, इंश्योरेंस फंड, पेंशन फंड हैं. सरकार ने इसको आगे बढ़ाने की कोशिश की. हमारी कोशिश यही है कि रोड़ के लिए 15 लाख करोड़ का काम शुरू करें. क्योंकि यह सब किए बिना मार्केट में लिक्विडिटी नहीं आएगी. दूसरी महत्वपूर्ण बात आपकों पता है कि मैं जब शिपिंग मंत्री था अभी तो मेरे पास शिपिंग मंत्रालय नहीं है . उस समय हमारा बजट 800 करोड़ का था और हमने सागर माला नाम से साढ़े सोलह लाख करोड़ का एक प्रोजक्ट लिया था, जबकि सरकार फैसा कम था.

अर्थव्यस्था को अनेक इनोवेटिव मॉडल से आगे ले जाया जा सकता है. इसके लिए हम लोग पब्लिक प्राइवेट इनवेसमेंट भी लाएंगे. निश्चित रूप से अर्थव्यवस्था की जो लड़ाई है उसे हमे जीतना होगा. इसके साथ-साथ हमें कोरोना की लड़ाई भी जीतनी है. अमेरिका से लेकर सभी देश चीन से नाराज हैं और यदि बात करें चीन की अर्थव्यवस्था की तो वह सूपर इकोनॉमी बन चूकी है, लेकिन विश्व का कोई भी देश चीन के साथ डील नहीं करना चाहता है. ऐसे में हमारे मंत्रालय में फॉरेंन इनवेसमेंट कैसे आए. नितिन गडकरी ने कहा कि कोरोना और आर्थिक लड़ाई हम जीतेंगे और पीएम मोदी का जो सपना है पांच ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी का उसे हम पूरा करेंगे. ऐसा विश्वास निश्चित रूप से हम जनता में पैदा कर सकते हैं.

Last Updated : May 8, 2020, 8:40 AM IST
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