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चुनावी प्रक्रिया के लिए दुर्जेय चुनौती है कोरोना : सुनील अरोड़ा

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Published : Jul 16, 2020, 8:10 PM IST

Updated : Jul 17, 2020, 3:09 PM IST

देश में कोरोना का कहर जारी है. इस बीच चुनाव आयोग ने राज्यसभा चुनाव सफलता पूर्वक संपन्न कराए. लेकिन इस समय देश में एक दिन में तीस हजार से अधिक कोरोना मामले सामने आ रहे हैं. आगामी बिहार विधानसभा चुनाव और मध्य प्रदेश के उपचुनाव के लेकर चुनाव आयोग की क्या तैयारियां है. इन सभी मुद्दों पर ईटीवी भारत की संवाददाता अर्शदीप कौर ने मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा से बातचीत की. आइए जानते हैं, उन्होंने क्या कुछ कहा...

सुनील अरोड़ा
सुनील अरोड़ा

नई दिल्ली : मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा है कि राज्यसभा चुनाव सफल रहे, लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव का आयोजन अधिकारियों के लिए एक लजिस्टिक्स और स्वास्थ्य सुरक्षा चुनौती पेश करेगा. इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि चुनावी प्रक्रिया के लिए कोरोना एक दुर्जेय चुनौती है. प्रस्तुत हैं उनसे बातचीत के मुख्य अंश :-

प्रश्न : कोरोना महामारी के बीच चुनाव आयोग ने जून 2020 में राज्यसभा चुनाव कराए. इस दौरान कौन सी चुनौतियां सामने आईं?

चुनाव आयोग ने गत 19 जून को आठ राज्यों में 19 सीटों के लिए राज्यसभा चुनाव सफलतापूर्वक कराए. चुनावी प्रक्रिया मूल रूप से कोरोना से बचने पर एकीकृत थी. चुनाव आयोग के निर्देश पर सभी राज्य सरकारों ने कोरोना के अनुपालन के लिए एक नोडल अधिकारी नामित किया.

तदनुसार मतदान के दिन लगभग 1000 मतदाताओं में मतदान किया. इस दौरान केवल कोरोना के एक मामले की पुष्टि मध्य प्रदेश में हुई, जिसने अन्य वोटरों के मतदान के बाद अपना वोट डाला. कोरोना का एक और संदिग्ध मामला राजस्थान से सामने आया था, जहां अन्य मतदाताओं के वोट डालने के बाद उसे वोट डालने की अनुमति दी गई थी. हालांकि मतदाताओं के बीच कोई अस्पताल का मामला नहीं था, लेकिन आयोग ने ऐसी स्थिति के लिए विशेष सुविधाएं उपलब्ध कराई थीं.

प्रश्न : देश में कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा है. ऐसे में क्या बिहार विधानसभा चुनाव और मध्य प्रदेश विधानसभा के उपचुनाव हो पाएंगे? मतदाताओं की सुरक्षा और मतदान प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के लिए आपकी क्या तैयारी है?

भारत के चुनाव आयोग की देखरेख में बिहार विधानसभा चुनाव समय पर कराने के लिए आवश्यक तैयारी चल रही है. चुनाव कार्यक्रम को सभी लजिस्टिक्स और महामारी की स्थिति को ध्यान में रखते हुए निर्धारित किया जाएगा.

महामारी के दौरान, सामाजिक दूरी और सेनिटाइजेशन को सुनिश्चित करने के लिए चुनावी प्रक्रियाओं के सभी निर्देशों को उपयुक्त रूप से संशोधित किया जाएगा. सभी हितधारकों विशेषकर राजनीतिक दलों को चुनाव प्रचार के दौरान सुरक्षा दिशानिर्देश सुनिश्चित करना होगा.

चुवाव आयोग के दिशानिर्देशों को चुनावी मशीनरी, मतदाताओं, राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों और अन्य हितधारकों तक पहुंचाया जा रहा है. चुनाव के विभिन्न चरणों में प्रक्रियाओं का पुनरीक्षण आयोग के अधिकारियों की एक टीम द्वारा किया जाएगा. आयोग डिजिटल और मीडिया प्लेटफार्मों का अधिक उपयोग करेगा, जिसमें एसएमएस और सोशल मीडिया अन्य शामिल हैं. कोरोना अनिवार्यताओं को दर्शाने के लिए मतदाता गाइडलाइन को अद्यतन किया जाएगा.

आयोग ने यह भी निर्देश दिया है कि प्रति मतदान केंद्र के निर्वाचकों की संख्या अधिकतम एक हजार तक सीमित होगी. सहायक मतदान केंद्र बनाए जाएंगे. उदाहरण के लिए, बिहार के लिए 33, 797 अतिरिक्त मतदान केंद्र बनाने की योजना बनाई जा रही है.

प्रश्न : विधानसभा की रैलियों और चुनावों में बड़ी भीड़ होगी, चुनाव आयोग स्वास्थ्य जोखिम को कम करने के लिए क्या उपाय करेगा?

चुनाव आयोग कोरोना दिशानिर्देशों के संदर्भ में सार्वजनिक अभियानों के मामले पर राष्ट्रीय और संबंधित राज्य मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के विचार मांग रहा है. हम चुनाव आयुक्त बिहार द्वारा भेजे गए राजनीतिक दलों के विचारों की भी जांच कर रहे हैं, जहां तक ​​रैलियों में सार्वजनिक सभा का संबंध है, कोरोना के दिशानिर्देश पहले से ही सामाजिक दूरी आदि के विशिष्ट मानदंडों को निर्धारित करते हैं. उनका उल्लंघन एनडीएमए, 2005 का अपराध होगा. चुनाव आयोग ने चुनाव प्रचार की निगरानी के लिए व्यवस्था की है. हर उम्मीदवार को नामांकन दाखिल करने के समय अपने सोशल मीडिया खातों का विवरण प्रदान करना होगा.

प्रश्न : राजनीतिक दल अब डिजिटल अभियान और वर्चुअल रैलियां कर रहे हैं. लेकिन क्या यह आगे भी जारी रहेगा. क्योंकि चुनाव प्रचार अब तक शुरू नहीं हुआ है.

यह देखने की जरूरत है कि व्यय सीमा के तहत आने वाले उम्मीदवारों द्वारा वर्चुअल रैली का उपयोग किस हद तक किया जाएगा. चूंकि राजनीतिक पार्टी के अभियान किसी भी व्यय कैप द्वारा सीमित नहीं हैं.

प्रश्न : कुछ पार्टियों ने 65 साल से अधिक उम्र वाले लोगों, कोरोना के रोगियों और संदिग्धों रोगियों को डाक मतपत्रों की अनुमति देने के फैसले का विरोध किया. इस पर आपके क्या विचार हैं?

राष्ट्रीय कार्यकारी समिति द्वारा जारी दिशानिर्देश के अनुसार आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत 65 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति, सह-रुग्णता वाले व्यक्ति, गर्भवती महिलाएं और 10 वर्ष से कम आयु के बच्चे घर पर रह सकते हैं. हालांकि चुनाव आयोग ने शाम को कहा कि 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को डाक मतपत्र की सुविधा नहीं दी जाएगी.

नई दिल्ली : मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा है कि राज्यसभा चुनाव सफल रहे, लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव का आयोजन अधिकारियों के लिए एक लजिस्टिक्स और स्वास्थ्य सुरक्षा चुनौती पेश करेगा. इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि चुनावी प्रक्रिया के लिए कोरोना एक दुर्जेय चुनौती है. प्रस्तुत हैं उनसे बातचीत के मुख्य अंश :-

प्रश्न : कोरोना महामारी के बीच चुनाव आयोग ने जून 2020 में राज्यसभा चुनाव कराए. इस दौरान कौन सी चुनौतियां सामने आईं?

चुनाव आयोग ने गत 19 जून को आठ राज्यों में 19 सीटों के लिए राज्यसभा चुनाव सफलतापूर्वक कराए. चुनावी प्रक्रिया मूल रूप से कोरोना से बचने पर एकीकृत थी. चुनाव आयोग के निर्देश पर सभी राज्य सरकारों ने कोरोना के अनुपालन के लिए एक नोडल अधिकारी नामित किया.

तदनुसार मतदान के दिन लगभग 1000 मतदाताओं में मतदान किया. इस दौरान केवल कोरोना के एक मामले की पुष्टि मध्य प्रदेश में हुई, जिसने अन्य वोटरों के मतदान के बाद अपना वोट डाला. कोरोना का एक और संदिग्ध मामला राजस्थान से सामने आया था, जहां अन्य मतदाताओं के वोट डालने के बाद उसे वोट डालने की अनुमति दी गई थी. हालांकि मतदाताओं के बीच कोई अस्पताल का मामला नहीं था, लेकिन आयोग ने ऐसी स्थिति के लिए विशेष सुविधाएं उपलब्ध कराई थीं.

प्रश्न : देश में कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा है. ऐसे में क्या बिहार विधानसभा चुनाव और मध्य प्रदेश विधानसभा के उपचुनाव हो पाएंगे? मतदाताओं की सुरक्षा और मतदान प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के लिए आपकी क्या तैयारी है?

भारत के चुनाव आयोग की देखरेख में बिहार विधानसभा चुनाव समय पर कराने के लिए आवश्यक तैयारी चल रही है. चुनाव कार्यक्रम को सभी लजिस्टिक्स और महामारी की स्थिति को ध्यान में रखते हुए निर्धारित किया जाएगा.

महामारी के दौरान, सामाजिक दूरी और सेनिटाइजेशन को सुनिश्चित करने के लिए चुनावी प्रक्रियाओं के सभी निर्देशों को उपयुक्त रूप से संशोधित किया जाएगा. सभी हितधारकों विशेषकर राजनीतिक दलों को चुनाव प्रचार के दौरान सुरक्षा दिशानिर्देश सुनिश्चित करना होगा.

चुवाव आयोग के दिशानिर्देशों को चुनावी मशीनरी, मतदाताओं, राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों और अन्य हितधारकों तक पहुंचाया जा रहा है. चुनाव के विभिन्न चरणों में प्रक्रियाओं का पुनरीक्षण आयोग के अधिकारियों की एक टीम द्वारा किया जाएगा. आयोग डिजिटल और मीडिया प्लेटफार्मों का अधिक उपयोग करेगा, जिसमें एसएमएस और सोशल मीडिया अन्य शामिल हैं. कोरोना अनिवार्यताओं को दर्शाने के लिए मतदाता गाइडलाइन को अद्यतन किया जाएगा.

आयोग ने यह भी निर्देश दिया है कि प्रति मतदान केंद्र के निर्वाचकों की संख्या अधिकतम एक हजार तक सीमित होगी. सहायक मतदान केंद्र बनाए जाएंगे. उदाहरण के लिए, बिहार के लिए 33, 797 अतिरिक्त मतदान केंद्र बनाने की योजना बनाई जा रही है.

प्रश्न : विधानसभा की रैलियों और चुनावों में बड़ी भीड़ होगी, चुनाव आयोग स्वास्थ्य जोखिम को कम करने के लिए क्या उपाय करेगा?

चुनाव आयोग कोरोना दिशानिर्देशों के संदर्भ में सार्वजनिक अभियानों के मामले पर राष्ट्रीय और संबंधित राज्य मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के विचार मांग रहा है. हम चुनाव आयुक्त बिहार द्वारा भेजे गए राजनीतिक दलों के विचारों की भी जांच कर रहे हैं, जहां तक ​​रैलियों में सार्वजनिक सभा का संबंध है, कोरोना के दिशानिर्देश पहले से ही सामाजिक दूरी आदि के विशिष्ट मानदंडों को निर्धारित करते हैं. उनका उल्लंघन एनडीएमए, 2005 का अपराध होगा. चुनाव आयोग ने चुनाव प्रचार की निगरानी के लिए व्यवस्था की है. हर उम्मीदवार को नामांकन दाखिल करने के समय अपने सोशल मीडिया खातों का विवरण प्रदान करना होगा.

प्रश्न : राजनीतिक दल अब डिजिटल अभियान और वर्चुअल रैलियां कर रहे हैं. लेकिन क्या यह आगे भी जारी रहेगा. क्योंकि चुनाव प्रचार अब तक शुरू नहीं हुआ है.

यह देखने की जरूरत है कि व्यय सीमा के तहत आने वाले उम्मीदवारों द्वारा वर्चुअल रैली का उपयोग किस हद तक किया जाएगा. चूंकि राजनीतिक पार्टी के अभियान किसी भी व्यय कैप द्वारा सीमित नहीं हैं.

प्रश्न : कुछ पार्टियों ने 65 साल से अधिक उम्र वाले लोगों, कोरोना के रोगियों और संदिग्धों रोगियों को डाक मतपत्रों की अनुमति देने के फैसले का विरोध किया. इस पर आपके क्या विचार हैं?

राष्ट्रीय कार्यकारी समिति द्वारा जारी दिशानिर्देश के अनुसार आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत 65 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति, सह-रुग्णता वाले व्यक्ति, गर्भवती महिलाएं और 10 वर्ष से कम आयु के बच्चे घर पर रह सकते हैं. हालांकि चुनाव आयोग ने शाम को कहा कि 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को डाक मतपत्र की सुविधा नहीं दी जाएगी.

Last Updated : Jul 17, 2020, 3:09 PM IST
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