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राज्यसभा के दिवंगत सदस्य अमर सिंह का दिल्ली में अंतिम संस्कार किया गया - दिल्ली में अमर सिंह काअंतिम संस्कार

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Published : Aug 3, 2020, 6:40 AM IST

Updated : Aug 3, 2020, 1:59 PM IST

13:58 August 03

राज्यसभा के दिवंगत सदस्य अमर सिंह का दिल्ली में अंतिम संस्कार किया गया

राज्यसभा सदस्य अमर सिंह के पार्थिव शरीर का सोमवार को दिल्ली के छतरपुर में उनके परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों की उपस्थिति में अंतिम संस्कार कर दिया गया.

दो दिन पहले उनका सिंगापुर के अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई.

अंतिम संस्कार सुबह 11 बजकर 30 मिनट पर हुआ और उनकी दोनों बेटियों ने चिता को मुखाग्नि दी.

कोरोना वायरस की महामारी की चलते लागू नियमों की वजह से उनका अंतिम संस्कार सीमित लोगों की उपस्थिति में हुआ. इस मौके पर अभिनेत्री से राजनेता बनी जया प्रदा भी मौजूदा रहीं जो उन्हें अपना गॉडफादर मानती हैं.

इससे पहले रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा के राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया और जया प्रदा उन लोगों में शामिल रहे जिन्होंने पूर्व समाजवादी पार्टी नेता के छतरपुर आवास जाकर सबसे पहले श्रद्धांजलि अर्पित की.

इस मौके पर सिंह की पत्नी पंकजा सिंह और दोनों बेटियां मौजूद रही.

अमर सिंह का पार्थिव शरीर रविवार शाम को विशेष विमान से दिल्ली लाया गया था.

उल्लेखनीय है कि 64 वर्षीय अमर सिंह का गत छह महीने से सिंगापुर के अस्पताल में इलाज चल रहा था और वर्ष 2013 में उनके गुर्दे का प्रतिरोपण भी हुआ था.

06:28 August 03

अमर सिंह-लाइव अपडेट

etvbharat
अमर सिंह का पार्थिव शरीर (सौ.एएनआई)

नई दिल्ली : राज्यसभा सदस्य अमर सिंह के पार्थिव शरीर को रविवार शाम सिंगापुर से दिल्ली लाया गया. अमर सिंह का अंतिम संस्कार सोमवार सुबह छत्तरपुर श्मशान घाट में होगा. सूत्रों ने बताया कि एक चार्टर्ड विमान से उनके पार्थिव शरीर को दिल्ली लाया गया. इस दौरान उनकी पत्नी पंकजा भी साथ थीं.

परिवार के करीबी सूत्रों ने इसकी जानकारी दी. गौरतलब है कि सिंह (64) का शनिवार को सिंगापुर के एक अस्पताल में निधन हो गया था. उनका किडनी से जुड़ी बीमारियों का इलाज चल रहा था. सूत्रों ने बताया कि कोविड-19 प्रोटोकॉल के कारण सिंह के अंतिम संस्कार में बहुत कम संख्या में लोग पहुंचेंगे.

समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता का 2011 में किडनी प्रतिरोपण हुआ था और वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे.

राज्य सभा सदस्य अमर सिंह एक ऐसे नेता के रूप में जाने जाते रहेंगे, जिन्होंने बहुत ही कौशल से राजनीति के तार कॉरपोरेट जगत से जोड़े और इसमें फिल्मी ग्लैमर का कुछ अंश भी शामिल किया. फिर, समाजवादी नेता मुलायम सिंह से अनूठे जुड़ाव के साथ गठबंधन युग की राजनीति में एक अमिट छाप भी छोड़ी.

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में जन्मे सिंह ने कोलकाता में कांग्रेस के छात्र परिषद के युवा सदस्य के रूप में अपने सफर की शुरूआत की, जहां उनके परिवार का कारोबार था. फिर वह लुटियंस दिल्ली की राजनीति में राजनीतिक प्रबंधन का चर्चित चेहरा बन गये.

समझा जाता है कि उन्होंने संप्रग-1 सरकार को 2008 में लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान समाजवादी पार्टी (सपा) का समर्थन दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

दरअसल, भारत-अमेरिका परमाणु समझौता को लेकर वाम दलों ने मनमोहन सिंह नीत सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. उस वक्त सपा के समर्थन से ही संप्रग सरकार सत्ता में बनी रह पाई थी.

उस वक्त सपा के तत्कालीन अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव कांग्रेस से अपने दशक भर पुराने राग-द्वेष को भुलाने के लिये मान गये, जिसका श्रेय अमर सिंह को ही जाता है.

उद्योग जगत में उनके संपर्क की बदौलत सपा को अच्छी खासी कॉरपोरेट आर्थिक मदद मिलती थी और एक समय में पार्टी में मुलायम सिंह के बाद वह दूसरे नंबर पर नजर आने लगे थे.

मुलायम के जन्म स्थान पर मनाये जाने वाला वार्षिक सैफई महोत्सव राष्ट्रीय सुर्खियों में रहने लगा क्योंकि समाजवादी पार्टी के अच्छे दिनों में वहां बॉलीवुड के कई सितारे कार्यक्रम पेश करने आया करते थे.

पढ़ें : कभी न भूलने वाला है अमर सिंह का सियासी सफर

अमर सिंह ने 2011 में किडनी का प्रतिरोपण कराया और वह लंबे समय से अस्वस्थ थे. उनका सिंगापुर में उपचार के दौरान शनिवार को निधन हो गया जहां वह किडनी संबंधी बीमारियों का उपचार करा रहे थे. वह 64 वर्ष के थे.

13:58 August 03

राज्यसभा के दिवंगत सदस्य अमर सिंह का दिल्ली में अंतिम संस्कार किया गया

राज्यसभा सदस्य अमर सिंह के पार्थिव शरीर का सोमवार को दिल्ली के छतरपुर में उनके परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों की उपस्थिति में अंतिम संस्कार कर दिया गया.

दो दिन पहले उनका सिंगापुर के अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई.

अंतिम संस्कार सुबह 11 बजकर 30 मिनट पर हुआ और उनकी दोनों बेटियों ने चिता को मुखाग्नि दी.

कोरोना वायरस की महामारी की चलते लागू नियमों की वजह से उनका अंतिम संस्कार सीमित लोगों की उपस्थिति में हुआ. इस मौके पर अभिनेत्री से राजनेता बनी जया प्रदा भी मौजूदा रहीं जो उन्हें अपना गॉडफादर मानती हैं.

इससे पहले रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा के राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया और जया प्रदा उन लोगों में शामिल रहे जिन्होंने पूर्व समाजवादी पार्टी नेता के छतरपुर आवास जाकर सबसे पहले श्रद्धांजलि अर्पित की.

इस मौके पर सिंह की पत्नी पंकजा सिंह और दोनों बेटियां मौजूद रही.

अमर सिंह का पार्थिव शरीर रविवार शाम को विशेष विमान से दिल्ली लाया गया था.

उल्लेखनीय है कि 64 वर्षीय अमर सिंह का गत छह महीने से सिंगापुर के अस्पताल में इलाज चल रहा था और वर्ष 2013 में उनके गुर्दे का प्रतिरोपण भी हुआ था.

06:28 August 03

अमर सिंह-लाइव अपडेट

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अमर सिंह का पार्थिव शरीर (सौ.एएनआई)

नई दिल्ली : राज्यसभा सदस्य अमर सिंह के पार्थिव शरीर को रविवार शाम सिंगापुर से दिल्ली लाया गया. अमर सिंह का अंतिम संस्कार सोमवार सुबह छत्तरपुर श्मशान घाट में होगा. सूत्रों ने बताया कि एक चार्टर्ड विमान से उनके पार्थिव शरीर को दिल्ली लाया गया. इस दौरान उनकी पत्नी पंकजा भी साथ थीं.

परिवार के करीबी सूत्रों ने इसकी जानकारी दी. गौरतलब है कि सिंह (64) का शनिवार को सिंगापुर के एक अस्पताल में निधन हो गया था. उनका किडनी से जुड़ी बीमारियों का इलाज चल रहा था. सूत्रों ने बताया कि कोविड-19 प्रोटोकॉल के कारण सिंह के अंतिम संस्कार में बहुत कम संख्या में लोग पहुंचेंगे.

समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता का 2011 में किडनी प्रतिरोपण हुआ था और वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे.

राज्य सभा सदस्य अमर सिंह एक ऐसे नेता के रूप में जाने जाते रहेंगे, जिन्होंने बहुत ही कौशल से राजनीति के तार कॉरपोरेट जगत से जोड़े और इसमें फिल्मी ग्लैमर का कुछ अंश भी शामिल किया. फिर, समाजवादी नेता मुलायम सिंह से अनूठे जुड़ाव के साथ गठबंधन युग की राजनीति में एक अमिट छाप भी छोड़ी.

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में जन्मे सिंह ने कोलकाता में कांग्रेस के छात्र परिषद के युवा सदस्य के रूप में अपने सफर की शुरूआत की, जहां उनके परिवार का कारोबार था. फिर वह लुटियंस दिल्ली की राजनीति में राजनीतिक प्रबंधन का चर्चित चेहरा बन गये.

समझा जाता है कि उन्होंने संप्रग-1 सरकार को 2008 में लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान समाजवादी पार्टी (सपा) का समर्थन दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

दरअसल, भारत-अमेरिका परमाणु समझौता को लेकर वाम दलों ने मनमोहन सिंह नीत सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. उस वक्त सपा के समर्थन से ही संप्रग सरकार सत्ता में बनी रह पाई थी.

उस वक्त सपा के तत्कालीन अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव कांग्रेस से अपने दशक भर पुराने राग-द्वेष को भुलाने के लिये मान गये, जिसका श्रेय अमर सिंह को ही जाता है.

उद्योग जगत में उनके संपर्क की बदौलत सपा को अच्छी खासी कॉरपोरेट आर्थिक मदद मिलती थी और एक समय में पार्टी में मुलायम सिंह के बाद वह दूसरे नंबर पर नजर आने लगे थे.

मुलायम के जन्म स्थान पर मनाये जाने वाला वार्षिक सैफई महोत्सव राष्ट्रीय सुर्खियों में रहने लगा क्योंकि समाजवादी पार्टी के अच्छे दिनों में वहां बॉलीवुड के कई सितारे कार्यक्रम पेश करने आया करते थे.

पढ़ें : कभी न भूलने वाला है अमर सिंह का सियासी सफर

अमर सिंह ने 2011 में किडनी का प्रतिरोपण कराया और वह लंबे समय से अस्वस्थ थे. उनका सिंगापुर में उपचार के दौरान शनिवार को निधन हो गया जहां वह किडनी संबंधी बीमारियों का उपचार करा रहे थे. वह 64 वर्ष के थे.

Last Updated : Aug 3, 2020, 1:59 PM IST
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