नई दिल्ली : सितंबर में JEE और NEET परीक्षा आयोजित करने के केंद्र सरकार के फैसले पर चल रही बहस के बीच शिक्षा मंत्रालय में पूर्व सचिव अनिल स्वरूप ने कहा कि परीक्षा को आयोजित करने को लेकर हमें यह सोचना होगा कि कौन सा विकल्प बेहतर है. उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में कोई सही समाधान नहीं है. हालांकि हमें यह जरूर देखना होगा कि कौन सा समाधान बेहतर है. स्वरूप ने कहा कि चलिए यह मान लें कि इन परीक्षाओं को उसी समय स्थगित कर दिया जाता, जब हम नहीं जानते कि कोविड-19 से कैसे हालात बनेंगे, और सबसे अहम कि यह कब तक चलेगा.
अनिल स्वरूप ने कहा कि परीक्षाएं बिल्कुल नहीं होने की स्थिति में पूरा साल बेकार हो जाएगा, यह एक बेहतर विकल्प नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि परीक्षा के दौरान कोरोना के प्रसार को रोकने वाले सभी उपायों को अपनाना होगा, मेरे विचार में परीक्षा आयोजित करने में ही भलाई है. वरना मुझे नहीं लगता कि सरकार पूरे सत्र में परीक्षा आयोजित करने की स्थिति में होगी. छात्रों को एक साल का समय लग सकता है. यह सही समाधान नहीं हो सकता है, लेकिन कोई दूसरा बेहतर विकल्प भी नहीं है.
गौरतलब है कि जब से शिक्षा मंत्रालय ने सितंबर में जेईई और एनईईटी परीक्षा आयोजित करने का फैसला किया है, तब से विपक्षी राजनीतिक दल सरकार से मौजूदा कोरोना स्थिति को देखते हुए परीक्षा को रद्द करने की मांग कर रहे हैं.
यह भी पढ़ें: नीट-जेईई : सरकार के तर्क से विपक्ष असहमत, परीक्षा टालने की मांग दोहराई
केंद्र सरकार के रुख का विरोध करते हुए 11 मुख्यमंत्रियों ने शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से परीक्षा स्थगित करने की अपील की है.
स्वरूप ने कहा कि जब भी आप किसी समाधान को देखते हैं, तो आपको सर्वश्रेष्ठ समाधान देखना होगा. एक परफेक्ट समाधान संभव नहीं हो सकता है. यहां कोई भी समाधान नहीं दे रहा है, वह केवल परीक्षा स्थगित करने के लिए कह रहे हैं.
यह भी पढ़ें: JEE-NEET परीक्षा संचालित करने को लेकर फूटा कांग्रेसियों का गुस्सा, केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी
बकौल स्वरूप, कोरोना एक समस्या है, लेकिन भविष्य में और भी समस्याएं हो सकती हैं और सरकार सर्वश्रेष्ठ संभव समाधान को लागू करने की कोशिश कर रही है.