नई दिल्ली : ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड ने इराक के अल अब्बास और इरबिल में अमेरिकी ठिकानों पर मिसाइलें दागकर कम से कम 80 अमेरिकी सैनिकों के मारे जाने का दावा किया है. ईरान का यह भी कहना है उसने पिछले शुक्रवार को अमेरिकी ड्रोन हमले में जनरल कासिम सुलेमानी की हुई हत्या का बदला ले लिया है.
इस पूरे मुद्दे पर भारत के पूर्व राजनयिक केपी फेबियन से ईटीवी भारत ने विशेष बातचीत की. तेहरान में प्रथम सचिव (1976-79) के रूप में कार्य कर चुके हैं पूर्व भारतीय राजदूर फेबियन ने दावा किया कि इससे दो संभावनाएं पैदा होती हैं.
पहली संभावना पर चर्चा करते हुए फेबियन ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप के लिए केवल अमेरिकी जीवन मायने रखता है. यदि ईरानी हमले में कोई अमेरिकी हताहत होता है तो वह कुछ भी करने के लिए मजबूर हो जाएंगे.
हालांकि अब तक किसी अमेरिकी के हताहत होने की कोई रिपोर्ट नहीं आई है. यहां तक कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने ट्वीट में भी ईरानी प्रशासन के दावे पर कहा है कि उनका प्रशासन अब भी स्थिति का आकलन कर रहा है और सब ठीक है.
उल्लेखनीय है कि अमेरिकी राष्ट्रपति इस मसले पर बुधवार की रात एक बयान देंगे.
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हालांकि, ईरानी मीडिया ने दावा किया है कि मिसाइल हमले में 80 अमेरिकी लोग मारे गए हैं.
फेबियन ने यह भी दावा किया कि ट्रंप सब ठीक कहकर तेहरान को विजयी साबित करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि यह थोड़ा जटिल हो जाए. उन्होंने यह भी कहा कि अगर अमेरिकी राष्ट्रपति कुछ करने की कोशिश करते हैं तो बड़ी संभावना है कि सब इस आग की चपेट में आएगा.
उन्होंने यह भी बताया कि ईरानी सेना का अमेरिका से कोई मुकाबला नहीं है, लेकिन विषम युद्ध में ईरान उतना बुरा नहीं है. वह होर्मुज की खाड़ी बंद कर सकता है या खाड़ी क्षेत्र में 60,000 अमेरिकी लोगों के लिए खतरा बन सकता है.
अमेरिकी राष्ट्रपति को शुक्रवार के दिन हुए हमले को लेकर घरेलू स्तर पर आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है, जिसके परिणामस्वरूप ईरान के मेजर जनरल कासिम सुलेमानी की मौत हो गई थी. डेमोक्रेट्स उन्हें अनुचित तरीके से और उकसाने का आरोप लगा रहे हैं.
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अमेरिका-ईरान संबंधों को 2016 में परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर के बाद लगभग तीन दशकों (ईरानी क्रांति के बाद) में पहली बार बेहतर होते देखा गया था. हालांकि हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने डील से बाहर निकलकर दावा किया था कि यह ओबामा प्रशासन द्वारा अनुचित निर्णय लिया गया था.
तब से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है क्योंकि राष्ट्रपति ट्रंप ने तेहरान पर कई अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को फिर से लागू किया है, जिससे ईरान की नाजुक अर्थव्यवस्था पर अधिक बोझ बढ़ गया.
बहरहाल यह गतिरोध हिंसक हंगामे के रूप में उस समय बदल गई, जब बीते 31 दिसंबर को बगदाद स्थित अमेरिकी दूतावास पर हमला हुआ. इस हंगामे के कई वीडियो सामने आए, जिसमें शिया समूहों ने अमेरिकी दूतावास पर तोड़-फोड़ की और अमेरिकी अधिकारियों की सुरक्षा के लिए तैनात इराकी सुरक्षा टीम अपना कर्तव्य निभाने में विफल रही. इसके परिणामस्वरूप अमेरिका ने पिछले सप्ताह शुक्रवार को ड्रोन हमले में ईरानी जनरल सुलेमानी को मार गिराया.