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कोई अमेरिकी हताहत हुआ तो ट्रंप कुछ भी करने को मजबूर होंगे : पूर्व राजनयिक - राष्ट्रपति ट्रंप पर भारतीय राजनयिक

अमेरिका और ईरान के बीच तनाव अपने चरम पर है. दोनों देशों की स्थिति देखकर ऐसा लग रहा है कि किसी पल स्थिति और भी नाजुक हो सकती है. दोनों देशों के बीच उत्पन्न गतिरोध पर भारत के पूर्व राजनयिक केपी फेबियन से ईटीवी भारत ने विशेष बातचीत की. तेहरान में प्रथम सचिव (1976-79) के रूप में कार्य कर चुके पूर्व भारतीय राजदूत फेबियन ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप के लिए केवल अमेरिकी जीवन मायने रखता है. यदि ईरानी हमले में कोई अमेरिकी हताहत होता है तो ट्रंप कुछ भी करने के लिए मजबूर हो जाएंगे. पढ़ें विस्तार से...

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पूर्व राजनयिक केपी फेबियन
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Published : Jan 8, 2020, 6:07 PM IST

नई दिल्ली : ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड ने इराक के अल अब्बास और इरबिल में अमेरिकी ठिकानों पर मिसाइलें दागकर कम से कम 80 अमेरिकी सैनिकों के मारे जाने का दावा किया है. ईरान का यह भी कहना है उसने पिछले शुक्रवार को अमेरिकी ड्रोन हमले में जनरल कासिम सुलेमानी की हुई हत्या का बदला ले लिया है.

इस पूरे मुद्दे पर भारत के पूर्व राजनयिक केपी फेबियन से ईटीवी भारत ने विशेष बातचीत की. तेहरान में प्रथम सचिव (1976-79) के रूप में कार्य कर चुके हैं पूर्व भारतीय राजदूर फेबियन ने दावा किया कि इससे दो संभावनाएं पैदा होती हैं.

पहली संभावना पर चर्चा करते हुए फेबियन ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप के लिए केवल अमेरिकी जीवन मायने रखता है. यदि ईरानी हमले में कोई अमेरिकी हताहत होता है तो वह कुछ भी करने के लिए मजबूर हो जाएंगे.

हालांकि अब तक किसी अमेरिकी के हताहत होने की कोई रिपोर्ट नहीं आई है. यहां तक ​​कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने ट्वीट में भी ईरानी प्रशासन के दावे पर कहा है कि उनका प्रशासन अब भी स्थिति का आकलन कर रहा है और सब ठीक है.
उल्लेखनीय है कि अमेरिकी राष्ट्रपति इस मसले पर बुधवार की रात एक बयान देंगे.

इसे भी पढ़ें- ईरान का दावा - हमले में 80 अमेरिकी सैनिकों की मौत, अयातुल्लाह बोले- अमेरिका के मुंह पर तमाचा

हालांकि, ईरानी मीडिया ने दावा किया है कि मिसाइल हमले में 80 अमेरिकी लोग मारे गए हैं.

फेबियन ने यह भी दावा किया कि ट्रंप सब ठीक कहकर तेहरान को विजयी साबित करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि यह थोड़ा जटिल हो जाए. उन्होंने यह भी कहा कि अगर अमेरिकी राष्ट्रपति कुछ करने की कोशिश करते हैं तो बड़ी संभावना है कि सब इस आग की चपेट में आएगा.

उन्होंने यह भी बताया कि ईरानी सेना का अमेरिका से कोई मुकाबला नहीं है, लेकिन विषम युद्ध में ईरान उतना बुरा नहीं है. वह होर्मुज की खाड़ी बंद कर सकता है या खाड़ी क्षेत्र में 60,000 अमेरिकी लोगों के लिए खतरा बन सकता है.

अमेरिकी राष्ट्रपति को शुक्रवार के दिन हुए हमले को लेकर घरेलू स्तर पर आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है, जिसके परिणामस्वरूप ईरान के मेजर जनरल कासिम सुलेमानी की मौत हो गई थी. डेमोक्रेट्स उन्हें अनुचित तरीके से और उकसाने का आरोप लगा रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- ईरानी जनरल की हत्या का असली बदला अमेरिका को क्षेत्र से बाहर करने के लिए होगा : हसन रूहानी

अमेरिका-ईरान संबंधों को 2016 में परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर के बाद लगभग तीन दशकों (ईरानी क्रांति के बाद) में पहली बार बेहतर होते देखा गया था. हालांकि हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने डील से बाहर निकलकर दावा किया था कि यह ओबामा प्रशासन द्वारा अनुचित निर्णय लिया गया था.

तब से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है क्योंकि राष्ट्रपति ट्रंप ने तेहरान पर कई अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को फिर से लागू किया है, जिससे ईरान की नाजुक अर्थव्यवस्था पर अधिक बोझ बढ़ गया.

बहरहाल यह गतिरोध हिंसक हंगामे के रूप में उस समय बदल गई, जब बीते 31 दिसंबर को बगदाद स्थित अमेरिकी दूतावास पर हमला हुआ. इस हंगामे के कई वीडियो सामने आए, जिसमें शिया समूहों ने अमेरिकी दूतावास पर तोड़-फोड़ की और अमेरिकी अधिकारियों की सुरक्षा के लिए तैनात इराकी सुरक्षा टीम अपना कर्तव्य निभाने में विफल रही. इसके परिणामस्वरूप अमेरिका ने पिछले सप्ताह शुक्रवार को ड्रोन हमले में ईरानी जनरल सुलेमानी को मार गिराया.

नई दिल्ली : ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड ने इराक के अल अब्बास और इरबिल में अमेरिकी ठिकानों पर मिसाइलें दागकर कम से कम 80 अमेरिकी सैनिकों के मारे जाने का दावा किया है. ईरान का यह भी कहना है उसने पिछले शुक्रवार को अमेरिकी ड्रोन हमले में जनरल कासिम सुलेमानी की हुई हत्या का बदला ले लिया है.

इस पूरे मुद्दे पर भारत के पूर्व राजनयिक केपी फेबियन से ईटीवी भारत ने विशेष बातचीत की. तेहरान में प्रथम सचिव (1976-79) के रूप में कार्य कर चुके हैं पूर्व भारतीय राजदूर फेबियन ने दावा किया कि इससे दो संभावनाएं पैदा होती हैं.

पहली संभावना पर चर्चा करते हुए फेबियन ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप के लिए केवल अमेरिकी जीवन मायने रखता है. यदि ईरानी हमले में कोई अमेरिकी हताहत होता है तो वह कुछ भी करने के लिए मजबूर हो जाएंगे.

हालांकि अब तक किसी अमेरिकी के हताहत होने की कोई रिपोर्ट नहीं आई है. यहां तक ​​कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने ट्वीट में भी ईरानी प्रशासन के दावे पर कहा है कि उनका प्रशासन अब भी स्थिति का आकलन कर रहा है और सब ठीक है.
उल्लेखनीय है कि अमेरिकी राष्ट्रपति इस मसले पर बुधवार की रात एक बयान देंगे.

इसे भी पढ़ें- ईरान का दावा - हमले में 80 अमेरिकी सैनिकों की मौत, अयातुल्लाह बोले- अमेरिका के मुंह पर तमाचा

हालांकि, ईरानी मीडिया ने दावा किया है कि मिसाइल हमले में 80 अमेरिकी लोग मारे गए हैं.

फेबियन ने यह भी दावा किया कि ट्रंप सब ठीक कहकर तेहरान को विजयी साबित करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि यह थोड़ा जटिल हो जाए. उन्होंने यह भी कहा कि अगर अमेरिकी राष्ट्रपति कुछ करने की कोशिश करते हैं तो बड़ी संभावना है कि सब इस आग की चपेट में आएगा.

उन्होंने यह भी बताया कि ईरानी सेना का अमेरिका से कोई मुकाबला नहीं है, लेकिन विषम युद्ध में ईरान उतना बुरा नहीं है. वह होर्मुज की खाड़ी बंद कर सकता है या खाड़ी क्षेत्र में 60,000 अमेरिकी लोगों के लिए खतरा बन सकता है.

अमेरिकी राष्ट्रपति को शुक्रवार के दिन हुए हमले को लेकर घरेलू स्तर पर आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है, जिसके परिणामस्वरूप ईरान के मेजर जनरल कासिम सुलेमानी की मौत हो गई थी. डेमोक्रेट्स उन्हें अनुचित तरीके से और उकसाने का आरोप लगा रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- ईरानी जनरल की हत्या का असली बदला अमेरिका को क्षेत्र से बाहर करने के लिए होगा : हसन रूहानी

अमेरिका-ईरान संबंधों को 2016 में परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर के बाद लगभग तीन दशकों (ईरानी क्रांति के बाद) में पहली बार बेहतर होते देखा गया था. हालांकि हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने डील से बाहर निकलकर दावा किया था कि यह ओबामा प्रशासन द्वारा अनुचित निर्णय लिया गया था.

तब से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है क्योंकि राष्ट्रपति ट्रंप ने तेहरान पर कई अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को फिर से लागू किया है, जिससे ईरान की नाजुक अर्थव्यवस्था पर अधिक बोझ बढ़ गया.

बहरहाल यह गतिरोध हिंसक हंगामे के रूप में उस समय बदल गई, जब बीते 31 दिसंबर को बगदाद स्थित अमेरिकी दूतावास पर हमला हुआ. इस हंगामे के कई वीडियो सामने आए, जिसमें शिया समूहों ने अमेरिकी दूतावास पर तोड़-फोड़ की और अमेरिकी अधिकारियों की सुरक्षा के लिए तैनात इराकी सुरक्षा टीम अपना कर्तव्य निभाने में विफल रही. इसके परिणामस्वरूप अमेरिका ने पिछले सप्ताह शुक्रवार को ड्रोन हमले में ईरानी जनरल सुलेमानी को मार गिराया.

Intro:New Delhi: In the wee hours of Tuesday morning, Iranian Revolutionary Guard launched a retaliatory strike at the U.S. bases in Iraq's Al Abass and Irbil. Iranian administration defines it as a revenge strike against the U.S. administration's killing of its General Qassem Soleimani on Friday last week.


Body:Talking exclusively to ETV Bharat about the important turn of events, India's former diplomat KP Fabian who served as the first Secretary (1976-79) in Tehran claimed that two possibilities arises from it.

Explaining the first possibility, the former Indian envoy said that for President Trump only American lives matter. In case there is an American casualty in the Iranian strike then Trump will be compelled to do something.

So far, no reports of American casualty have appeared. Even President Trump in his tweet post Iranian strike claimed that his administration is still assessing the situation and all is well. U.S. President will give a statement tonight. Though, Iranian media has reported claiming that 80 people have died in its missile strike.






Conclusion:KP Fabian also claimed that Trump by saying that all is well, American President is trying to lull Tehran so it becomes complicent. But he also asserted that if U.S. President tries to do anything there are major chances that everything will go in flames.

He also pointed out that though Iranian military is no match for American might but in the asymmetrical warfare Iran is not that bad. They can shut Strait of Hormuz or become a danger to 60,000 American lives in the gulf region.

The U.S. President has been facing a lot of criticism domestically for his nod to Friday's strike which resulted in the death of Iran's Major General Qassem Soleimani. The Democrats have been accusing him for acting inappropriately and provocatingly.

The U.S.-Iran troubled relation which saw light of day for the first time in nearly three decades (post Iranian revolution) in 2016 with the signing of the nuclear deal saw a major shift during Trump years. U.S. President keeping to his words walked out of the deal claiming it to be an unfair by then Obama administration.

Since then tensions have only escalated between both nations as President Trump reimposed several international sanctions on Tehran. Putting more burden on its already fragile economy.

But things triggered post violent protesters entered the US embassy in Baghdad on December 31. Several videos emerged where pro-Shia groups in cover protest broke into the embassy and Iraqi security deployed for safety of the U.S. officials failed to perform their duty. Resulting to which, the U.S. killed Iranian General Soleimani in a drone strike on Friday last week.
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