नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में चीन का युद्ध जैसे हालात पैदा करना उसकी विस्तारवादी नीति को दर्शाता है, जिसे भारतीय सेना ने अपनी 'दृढ़' एवं 'शानदार' प्रतिक्रिया के माध्यम से विफल कर दिया है. सामरिक विशेषज्ञों ने यह राय प्रकट की. विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि चीन का सैन्य 'दु:साहस' पूरी दुनिया में कोविड-19 के खिलाफ उसकी आलोचना के बाद 'कहीं और फायदा' दिखाने के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के प्रयास का हिस्सा हो सकता है.
शुक्रवार को पूर्व थल सेना अध्यक्ष जनरल (सेवानिवृत्त) दीपक कपूर ने कहा कि पूर्वी लद्दाख और दक्षिण चीन सागर में सैन्य दु:साहस से चीन को 'बड़ा आर्थिक नुकसाान' उठाना होगा, क्योंकि कई देश उसके व्यवहार को लेकर चिंतित हैं.
पूर्वी लद्दाख में चीन के आक्रामक रूख पर भारत के जवाब को उन्होंने 'शानदार' बताया और कहा कि भारतीय सैनिक चीनी सैनिकों की तुलना में ज्यादा बेहतर प्रशिक्षित हैं.
जनरल कपूर ने कहा, 'पार्टी और लोगों पर पकड़ बरकरार रखने के लिए शी को कहीं ताकत दिखानी थी. पूर्वी लद्दाख में सफल सैन्य दु:साहस से घरेलू स्तर पर उनकी छवि मजबूत होती. बहरहाल, भारत के कड़े जवाब से संभवत: योजना के मुताबिक ऐसा नहीं हुआ.'
उन्होंने कहा कि पश्चिम के देशों ने जहां लद्दाख पर भारत का समर्थन किया वहीं दक्षिण चीन सागर में छोटे देशों ने भी चीन के विस्तारवादी रवैए पर अपनी आवाज मुखर की और कानून के शासन पर बल दिया.
जनरल कपूर के बात से सहमति जताते हुए लेफ्टिनेंट जनरल डी. बी. शेकातकर ने कहा कि कोरोना वायरस की उत्पत्ति के खिलाफ वैश्विक स्तर पर चीन की हो रही आलोचना से ध्यान भटकाने के लिए उसने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर आक्रामक रवैया अपनाया.
शेकातकर ने कहा, 'चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग कोविड-19 की उत्पति को लेकर वैश्विक स्तर पर हो रही आलोचनाओं सहित कई मुद्दों पर घरेलू दबाव झेल रहे हैं. अंदरूनी गुस्से से ध्यान भटकाने के लिए षड्यंत्र का हिस्सा है सैन्य दुस्साहस.'
उन्होंने कहा कि चीन की सेना ने पूर्वी लद्दाख में आक्रामक रूख अपनाया ताकि चीन के राष्ट्रपति को खोई जमीन हासिल करने में मदद मिल सके.
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अक्टूबर, 2007 से मार्च, 2010 तक सेना प्रमुख रहे जनरल कपूर ने कहा कि बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के साथ ही 5जी तकनीक के खिलाफ चीन की आलोचना तेज होती जा रही है.
उन्होंने कहा कि कई देश बीआरआई का विरोध कर रहे हैं क्योंकि वे उसे 'कर्ज जाल' के तौर पर देख रहे हैं.
जनरल कपूर ने कहा, 'चीन को निश्चित तौर पर आर्थिक कीमत चुकानी होगी. उसे यह भारी पड़ने वाला है। अगर लोग चीनी उत्पाद खरीदना बंद कर दें तो उनके उत्पादन पर असर पड़ेगा और इससे चीन की अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर होगा.'
उन्होंने भारत के खिलाफ चीन और पाकिस्तान के बीच गठजोड़ के बारे में कहा कि पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के बाद से जम्मू-कश्मीर में संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाएं बढ़ गई हैं.
जनरल कपूर ने भारत के पड़ोस में बदलते सुरक्षा परिदृश्य को देखते हुए देश के रक्षा बजट में बढ़ोतरी की भी वकालत की. रक्षा बजट को 2020-21 में 3.37 लाख करोड़ किया गया जो पिछले वर्ष 3.18 लाख करोड़ के मुकाबले मामूली बढ़ोतरी थी.