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नाबार्ड स्थापना दिवस : कृषि क्षेत्र में अपार संभावनाएं, अर्थव्यवस्था पटरी पर ला सकती है सरकार

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Published : Jul 12, 2020, 6:38 AM IST

राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक यानी नाबार्ड की स्थापना 12 जुलाई, 1982 को हुई थी. नाबार्ड कृषि ऋण विभाग, ग्रामीण योजना और भारतीय रिजर्व बैंक की क्रेडिट सेल से लेकर कृषि पुनर्वित्त (Refinance) और विकास निगम में बदलाव लेकर आया. आइए जानते हैं नाबार्ड के कुछ प्रमुख उद्देश्यों के बारे में...

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कृषि क्षेत्र के जरिए अर्थव्यवस्था को पटरी पर ला सकती है सरकार

हैदराबाद : नाबार्ड की स्थापना 12 जुलाई, 1982 को नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट एक्ट 1981 को कार्यान्वित करने के लिए की गई थी. इसकी स्थापना बी शिवरामन कमेटी की सिफारिशों पर आधारित थी.

नाबार्ड की अधिकृत पूंजी को छह बार बढ़ाया गया. शुरुआत में इसने 100 करोड़ की पूंजी का रखरखाव किया, जिसे बाद में बढ़ाकर 30,000 करोड़ रुपए कर दिया गया. बता दें भुगतान की गई पूंजी में भारत सरकार की प्रदत्त पूंजी 100 प्रतिशत है, जो कि 6,700 करोड़ रुपए है.

अंतरराष्ट्रीय सहयोगी कंपनियों की बात की जाए, तो यह नाबार्ड को आर्थिक सलाह देने के साथ-साथ आर्थिक सहायता भी देते हैं.

इसके साथ ही विश्व बैंक से जुड़े संगठन और अन्य ग्रामीण और कृषि एंजेसियों जैसे संगठन भी ग्रामीण लोगों के उत्थान के लिए इसके साथ कार्यरत हैं.

नाबार्ड के उद्देश्य :

  • नाबार्ड ग्रामीण विकास की गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ-साथ कृषि के लिए पुनर्वित्त सहायता (refinance assistance) प्रदान करता है. इसके अलावा यह लघु उद्योगों को सभी जरूरी वित्तीय मदद भी देता है.
  • राज्य सरकारों के साथ समन्वय कर नाबार्ड कृषि संबंधी मदद देता है.
  • कृषि गतिविधियों को बढ़ावा देते हुए यह लघु और मध्यम सिंचाई कार्यों में सुधार करता है.
  • यह कृषि, ग्रामीण उद्योगों में अनुसंधान एवं विकास (R&D) कार्य करता है.
  • नाबार्ड पूंजी कृषि उत्पादन में शामिल विभिन्न संगठनों को उनकी पूंजी में निवेश कर बढ़ावा देता है.

इस तरह नाबार्ड के लक्ष्यों को तीन प्रमुख भागों में बांटा जा सकता है.

  • क्रेडिट फंक्शन
  • डेवलपमेंट फंक्शन
  • प्रमोशनल फंक्शन

नाबार्ड ने किए यह बदलाव :

  • कृषि ऋण विभाग, ग्रामीण योजना और भारतीय रिजर्व बैंक की क्रेडिट सेल.
  • कृषि पुनर्वित्त (Refinance) और विकास निगम

लॉकडाउन और कोरोना वायरस

भारत में कोरोना वायरस के प्रकोप को रोकने के लिए लगी तालाबंदी (lockdown) ने आर्थिक गतिविधियों को ठप कर दिया है. संकट के इस दौर में जब आधे से ज्यादा क्षेत्र मंदी की स्थिति में हैं, तो कृषि क्षेत्र देश की आर्थिक स्थिति में सुधार करने के वादे के साथ आशा की किरण बनकर उभरा है.

कोरोना से आई मंदी से सबसे कम प्रभावित क्षेत्र होने के चलते कृषि क्षेत्र को न केवल रिकवरी के तौर पर अमल में लाया जा सकता है, बल्कि यह विकास की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में भी काफी हद तक मददगार साबित हो सकता है.

इस बात को स्वीकार करने में कोई मनाही नहीं कि फसलों की बुवाई के समय अच्छी गुणवत्ता के उर्वरक के लिए ऋण बहुत जरूरी है. ऐसे में फसलों की बुवाई से लेकर कटाई तक के प्रबंधन में काफी हद तक बदलाव लाया जा सकता है.

नाबार्ड और आत्मनिर्भर अभियान पैकेज

  • नाबार्ड के माध्यम से किसानों के लिए 30,000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त इमरजेंसी वर्किंग कैपिटल फंडिंग
  • लघु और सीमांत किसानों के साथ अपर्याप्त वित्तीय संसाधन
  • आरआरबी और ग्रामीण सहकारी बैंक, जो क्रेडिट के लिए मुख्य स्रोत हैं.
  • नाबार्ड ग्रामीण सहकारी बैंकों और आरआरबी को क्रॉप लोन के लिए 30,000 करोड़ की अतिरिक्त पुनर्वित्त सहायता का विस्तार करेगा.
  • यह इस वर्ष के दौरान पुनर्वित्त माध्यम से नाबार्ड द्वारा प्रदान की जाने वाली राशि 90,000 करोड़ रुपए से ज्यादा है.
  • लगभग तीन करोड़ किसानों को लाभ पहुंचाने में नाबार्ड का अहम योगदान है, खासकर छोटे और सीमांत किसानों को..
  • मई, जून में रबी और खरीफ की फसलों की कटाई संबंधित जरूरतों को पूरा करने में अहम है.

कोरोना महामारी के दौर में नाबार्ड की प्रदत्त पूंजी (SEB)

  • नाबार्ड ने मार्च 2020 में सहकारी बैंकों और आरआरबी को 29,500 करोड़ रुपए का पुनर्वित्त प्रदान किया है.
  • मार्च 2020 से कृषि उपज की खरीद में शामिल राज्य सरकार की संस्थाओं के लिए 6,700 करोड़ रुपए की कार्यशील पूंजी की सीमा को भी मंजूरी दी गई है.
  • नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (NABARD) ने किसानों, लघु व्यवसाय इकाइयों और सूक्ष्म उद्यमों को अल्पकालिक ऋण प्रदान करने के लिए अपने संसाधनों को बढ़ाने के लिए लघु वित्त बैंकों (SFB) के लिए अपना पुनर्वित्त टैप (refinance tap) खोलने का निर्णय लिया है.
  • यह कदम तब ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है, जब देश के लोग कोरोना के चलते लगी तालाबंदी से काफी प्रभावित हुए हैं.
  • नाबार्ड से मिलने वाले पुनर्वित्त समर्थन से एसएफबी को तथाकथित प्राथमिकता वाले क्षेत्र में ऋण देने की क्षमता को बढ़ावा देने की उम्मीद है, जिसमें किसान, लघु व्यवसाय इकाइयां और सूक्ष्म उद्यम शामिल हैं.
  • नाबार्ड के अनुसार, जिन उद्देश्यों के लिए यह एसएफबी को पुनर्वित्त सहायता प्रदान करेगा, वह कृषि उपज, बोनाफाइड व्यापार गतिविधियों से संबंधित होंगे.
  • 2018-19 के दौरान, नाबार्ड ने ग्रामीण आर्थिक गतिविधियों के लिए मौसमी ऋण मांग को पूरा करने के लिए राज्य सहकारी बैंकों (Banks 73,142 करोड़) और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (46 16,946 करोड़) को 90,088 करोड़ की अल्पकालिक पुनर्वित्त सहायता प्रदान की.

हैदराबाद : नाबार्ड की स्थापना 12 जुलाई, 1982 को नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट एक्ट 1981 को कार्यान्वित करने के लिए की गई थी. इसकी स्थापना बी शिवरामन कमेटी की सिफारिशों पर आधारित थी.

नाबार्ड की अधिकृत पूंजी को छह बार बढ़ाया गया. शुरुआत में इसने 100 करोड़ की पूंजी का रखरखाव किया, जिसे बाद में बढ़ाकर 30,000 करोड़ रुपए कर दिया गया. बता दें भुगतान की गई पूंजी में भारत सरकार की प्रदत्त पूंजी 100 प्रतिशत है, जो कि 6,700 करोड़ रुपए है.

अंतरराष्ट्रीय सहयोगी कंपनियों की बात की जाए, तो यह नाबार्ड को आर्थिक सलाह देने के साथ-साथ आर्थिक सहायता भी देते हैं.

इसके साथ ही विश्व बैंक से जुड़े संगठन और अन्य ग्रामीण और कृषि एंजेसियों जैसे संगठन भी ग्रामीण लोगों के उत्थान के लिए इसके साथ कार्यरत हैं.

नाबार्ड के उद्देश्य :

  • नाबार्ड ग्रामीण विकास की गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ-साथ कृषि के लिए पुनर्वित्त सहायता (refinance assistance) प्रदान करता है. इसके अलावा यह लघु उद्योगों को सभी जरूरी वित्तीय मदद भी देता है.
  • राज्य सरकारों के साथ समन्वय कर नाबार्ड कृषि संबंधी मदद देता है.
  • कृषि गतिविधियों को बढ़ावा देते हुए यह लघु और मध्यम सिंचाई कार्यों में सुधार करता है.
  • यह कृषि, ग्रामीण उद्योगों में अनुसंधान एवं विकास (R&D) कार्य करता है.
  • नाबार्ड पूंजी कृषि उत्पादन में शामिल विभिन्न संगठनों को उनकी पूंजी में निवेश कर बढ़ावा देता है.

इस तरह नाबार्ड के लक्ष्यों को तीन प्रमुख भागों में बांटा जा सकता है.

  • क्रेडिट फंक्शन
  • डेवलपमेंट फंक्शन
  • प्रमोशनल फंक्शन

नाबार्ड ने किए यह बदलाव :

  • कृषि ऋण विभाग, ग्रामीण योजना और भारतीय रिजर्व बैंक की क्रेडिट सेल.
  • कृषि पुनर्वित्त (Refinance) और विकास निगम

लॉकडाउन और कोरोना वायरस

भारत में कोरोना वायरस के प्रकोप को रोकने के लिए लगी तालाबंदी (lockdown) ने आर्थिक गतिविधियों को ठप कर दिया है. संकट के इस दौर में जब आधे से ज्यादा क्षेत्र मंदी की स्थिति में हैं, तो कृषि क्षेत्र देश की आर्थिक स्थिति में सुधार करने के वादे के साथ आशा की किरण बनकर उभरा है.

कोरोना से आई मंदी से सबसे कम प्रभावित क्षेत्र होने के चलते कृषि क्षेत्र को न केवल रिकवरी के तौर पर अमल में लाया जा सकता है, बल्कि यह विकास की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में भी काफी हद तक मददगार साबित हो सकता है.

इस बात को स्वीकार करने में कोई मनाही नहीं कि फसलों की बुवाई के समय अच्छी गुणवत्ता के उर्वरक के लिए ऋण बहुत जरूरी है. ऐसे में फसलों की बुवाई से लेकर कटाई तक के प्रबंधन में काफी हद तक बदलाव लाया जा सकता है.

नाबार्ड और आत्मनिर्भर अभियान पैकेज

  • नाबार्ड के माध्यम से किसानों के लिए 30,000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त इमरजेंसी वर्किंग कैपिटल फंडिंग
  • लघु और सीमांत किसानों के साथ अपर्याप्त वित्तीय संसाधन
  • आरआरबी और ग्रामीण सहकारी बैंक, जो क्रेडिट के लिए मुख्य स्रोत हैं.
  • नाबार्ड ग्रामीण सहकारी बैंकों और आरआरबी को क्रॉप लोन के लिए 30,000 करोड़ की अतिरिक्त पुनर्वित्त सहायता का विस्तार करेगा.
  • यह इस वर्ष के दौरान पुनर्वित्त माध्यम से नाबार्ड द्वारा प्रदान की जाने वाली राशि 90,000 करोड़ रुपए से ज्यादा है.
  • लगभग तीन करोड़ किसानों को लाभ पहुंचाने में नाबार्ड का अहम योगदान है, खासकर छोटे और सीमांत किसानों को..
  • मई, जून में रबी और खरीफ की फसलों की कटाई संबंधित जरूरतों को पूरा करने में अहम है.

कोरोना महामारी के दौर में नाबार्ड की प्रदत्त पूंजी (SEB)

  • नाबार्ड ने मार्च 2020 में सहकारी बैंकों और आरआरबी को 29,500 करोड़ रुपए का पुनर्वित्त प्रदान किया है.
  • मार्च 2020 से कृषि उपज की खरीद में शामिल राज्य सरकार की संस्थाओं के लिए 6,700 करोड़ रुपए की कार्यशील पूंजी की सीमा को भी मंजूरी दी गई है.
  • नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (NABARD) ने किसानों, लघु व्यवसाय इकाइयों और सूक्ष्म उद्यमों को अल्पकालिक ऋण प्रदान करने के लिए अपने संसाधनों को बढ़ाने के लिए लघु वित्त बैंकों (SFB) के लिए अपना पुनर्वित्त टैप (refinance tap) खोलने का निर्णय लिया है.
  • यह कदम तब ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है, जब देश के लोग कोरोना के चलते लगी तालाबंदी से काफी प्रभावित हुए हैं.
  • नाबार्ड से मिलने वाले पुनर्वित्त समर्थन से एसएफबी को तथाकथित प्राथमिकता वाले क्षेत्र में ऋण देने की क्षमता को बढ़ावा देने की उम्मीद है, जिसमें किसान, लघु व्यवसाय इकाइयां और सूक्ष्म उद्यम शामिल हैं.
  • नाबार्ड के अनुसार, जिन उद्देश्यों के लिए यह एसएफबी को पुनर्वित्त सहायता प्रदान करेगा, वह कृषि उपज, बोनाफाइड व्यापार गतिविधियों से संबंधित होंगे.
  • 2018-19 के दौरान, नाबार्ड ने ग्रामीण आर्थिक गतिविधियों के लिए मौसमी ऋण मांग को पूरा करने के लिए राज्य सहकारी बैंकों (Banks 73,142 करोड़) और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (46 16,946 करोड़) को 90,088 करोड़ की अल्पकालिक पुनर्वित्त सहायता प्रदान की.
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