नई दिल्ली: न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन और न्यायमूर्ति विनीत शरण की पीठ ने संबंधित पक्षों को सुनने के बाद कहा कि इस पर फैसला बाद में सुनाया जायेगा.
इस मामले की सुनवाई के दौरान एरिक्सन इंडिया की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि शीर्ष अदालत के आदेश की जानबूझ कर अवज्ञा की गयी है और इसके लिेये उनके खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए.
आरकाम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि इसमें अवमानना कार्रवाई का कोई मामला नहीं बनता क्योंकि शीर्ष अदालत के किसी आदेश का उल्लंघन नहीं किया गया है.
अनिल अंबानी, रिलायंस टेलीकाम लि के चेयरमैन सतीश सेठ और रिलायंस इंफ्राटेल लि की चेयरपर्सन छाया विरानी इस मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय में मौजूद थे.
न्यायालय ने पिछले साल 23 अक्टूबर को आरकाम से कहा था कि वह 15 दिसंबर, 2018 तक बकाया राशि का भुगतान करे और ऐसा नहीं करने पर उसे 12 फीसदी सालाना की दर से ब्याज भी देना होगा.
एरिक्सन ने अनिल अंबानी और दो अन्य के खिलाफ अवमानना कार्रवाई करने का अनुरोध करते हुये याचिका में दावा किया कि उन्होंने 15 दिसंबर, 2018 तक बकाया राशि का भुगतान नहीं किया है.
इससे पहले, मंगलवार को दवे ने शीर्ष अदालत से कहा था कि रिलायंस ने कई बार न्यायालय की अवमानना की है और उन्होंने खुद में बदलाव नहीं किया है.
उन्होंने कहा था कि आरकाम ने शीर्ष अदालत के दो आदेशों का उल्लंघन किया है ओर यहां तक कि शपथ के तहत सूचना छिपाते हुये गलत जानकारी दी.
रोहतगी ने कहा कि संचार कंपनी की 25,000 करोड़ रूपए की संपत्ति रिलायंस जियो को बेचने का सौदा विफल हो गया और अब वे दिवालिया स्थिति में हैं.
दवे ने दावा किया कि बंबई स्टाक एक्सचेंज में दाखिल दस्तावेज में रिलायंस ने दावा किया है कि उसे हाल ही में रिलायंस जियो सहित अलग अलग कंपनियों को बेचने से तीन हजार करोड रूपए और दो हजार करोड़ रूपए मिले हैं.
रोहतगी ने कहा कि यह रकम रिलायंस को नहीं मिली है.
आरकाम ने सात जनवरी को कहा था कि वह धन लौटाने के प्रति अपनी इच्छा स्पष्ट करने के लिये 118 करोड़ रूपए के दो डिमांड ड्राफ्ट शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में जमा करेगा और शेष राशि भी कुछ समय में अदा कर देगा.
एरिक्सन ने कहा: अनिल अंबानी राफेल में निवेश कर सकते पर 550 करोड़ रुपये का बकाया नहीं चुका सकते
दूरसंचार उपकरण निर्माता कंपनी एरिक्सन इंडिया ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय में आरोप लगाया कि रिलायंस समूह के पास राफेल जेट सौदे में निवेश के लिये पैसा है लेकिन वह उनका 550 करोड़ रुपये का बकाया चुकाने में असमर्थ है, हालांकि अनिल अंबानी समूह ने एरिक्सन के इस आरोप को तुरंत खारिज कर दिया.
अनिल अंबानी ने शीर्ष अदालत में कहा कि बड़े भाई मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस जियो के साथ उनकी संपत्ति बिक्री का सौदा पूरा नहीं हो पाने की वजह से उनकी कंपनी दिवाला प्रक्रिया में चली गई जिससे अब धन पर उनका कोई नियंत्रण नहीं है.
अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) ने न्यायालय से कहा कि उन्होंने एरिक्सन का बकाया चुकाने के लिये आकाश- पताल एक कर दिया लेकिन जियो के साथ संपत्ति बिक्री सौदा पूरा नहीं हो पाने की वजह से वह इसमें असफल रही.
उच्चतम न्यायालय ने रिलायंस कम्युनिकेशंस लि के चेयरमैन अनिल अंबानी और दो अन्य के खिलाफ 550 करोड़ रूपए की बकाया राशि का भुगतान नहीं करने के कारण उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही के लिये एरिक्सन इंडिया की याचिका पर बुधवार को सुनवाई पूरी कर ली. न्यायालय इस पर बाद में फैसला सुनायेगा.
न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन और न्यायमूर्ति विनीत शरण की पीठ ने संबंधित पक्षों को सुनने के बाद कहा कि इस पर फैसला बाद में सुनाया जायेगा.
इस मामले की सुनवाई के दौरान एरिक्सन इंडिया की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि शीर्ष अदालत के आदेश की जानबूझ कर अवज्ञा की गयी है और इसके लिये उनके खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए.
आरकाम की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि इसमें अवमानना कार्रवाई का कोई मामला नहीं बनता क्योंकि शीर्ष अदालत के किसी आदेश का उल्लंघन नहीं किया गया है.
अनिल अंबानी, रिलायंस टेलीकाम लि के चेयरमैन सतीश सेठ और रिलायंस इंफ्राटेल लि की चेयरपर्सन छाया विरानी इस मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय में मौजूद थे.
न्यायालय ने पिछले साल 23 अक्टूबर को आरकाम से कहा था कि वह 15 दिसंबर, 2018 तक बकाया राशि का भुगतान करे और ऐसा नहीं करने पर उसे 12 फीसदी सालाना की दर से ब्याज भी देना होगा.
एरिक्सन ने अनिल अंबानी और दो अन्य के खिलाफ अवमानना कार्रवाई करने का अनुरोध करते हुये याचिका में दावा किया कि उन्होंने 15 दिसंबर, 2018 तक बकाया राशि का भुगतान नहीं किया है.
इससे पहले, मंगलवार को दवे ने शीर्ष अदालत से कहा था कि रिलायंस ने कई बार न्यायालय की अवमानना की है और उन्होंने खुद में बदलाव नहीं किया है.
उन्होंने कहा था कि आरकाम ने शीर्ष अदालत के दो आदेशों का उल्लंघन किया है ओर यहां तक कि शपथ के तहत सूचना छिपाते हुये गलत जानकारी दी.
रोहतगी ने कहा कि संचार कंपनी की 25,000 करोड़ रूपए की संपत्ति रिलायंस जियो को बेचने का सौदा विफल हो गया और अब वे दिवालिया स्थिति में हैं.
दवे ने दावा किया कि बंबई स्टाक एक्सचेंज में दाखिल दस्तावेज में रिलायंस ने दावा किया है कि उसे हाल ही में रिलायंस जियो सहित अलग अलग कंपनियों को बेचने से तीन हजार करोड रूपए और दो हजार करोड़ रूपए मिले हैं.
रोहतगी ने कहा कि यह रकम रिलायंस को नहीं मिली है.
आरकाम ने सात जनवरी को कहा था कि वह धन लौटाने के प्रति अपनी इच्छा स्पष्ट करने के लिये 118 करोड़ रूपए के दो डिमांड ड्राफ्ट शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में जमा करेगा और शेष राशि भी कुछ समय में अदा कर देगा.