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भारत को मिलेगी चीनी बाजार में निवेश की अनुमति तो सुधरेंगे संबंध : एक्सपर्ट

भारत-चीन व्यापार मुद्दों पर चर्चा हुई हैं. द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के लिए इस चर्चा का आयोजन किया गया है. इस पर ईटीवी भारत ने दोनों देशों के रिश्तों को लेकर एक्सपर्ट से बातचीत की.

पीएम मोदी और शी जिनपिंग.
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Published : May 10, 2019, 10:32 PM IST

Updated : May 10, 2019, 10:43 PM IST

नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र 1267 समिति के तहत मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया जाना भारत के लिए एक बड़ी राजनीतिक और कूटनीतिक जीत है. माना जा रहा है कि द्विपक्षीय संबंधों के चलते ऐसा हो सका है. चीनी पक्ष का नेतृत्व चीन के सामान्य प्रशासन (GACC) के उप मंत्री ली गुओ के द्वारा किया जाना है. भारत व्यापार मुद्दों पर चर्चा करेगा क्योंकि भारत चीन में निर्मित और कृषि उत्पादों के लिए एक बड़ा बाजार है. इसी सिलसिले में ईटीवी भारत ने विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के वरिष्ठ अनुसंधान साथी और भारत-चीन संबंधों के विशेषज्ञ सुजीत दत्ता से बात की.

एक्सपर्ट की राय

दत्ता कहते है, 'इस दौरान चीन की ओर बहुत सारे सकारात्मक बयान सामने आए, लेकिन अबतक कोई जमीनी स्तर पूरे नहीं हुए. सीमा को लेकर बातचीत, चीन-पाक संबंध और सीपीईसी (चीन पाकिस्तान आर्थिक क्षेत्र) जैसे मुद्दे बने हुए हैं. इन पर चीन की ओर से अबतक कोई सार्थक कदम नहीं उठाया गया है.'

भारत ने दूसरे बीआरफ (बेल्ट एंड रोड फोर्म)का बहिष्कार किया था. माना जा रहा है कि इसी के चलते मसूद अजहर वाले मामले पर चीन ने नरमी बरती. सुजीत दत्ता ने इस मामले पर अपनी राय रखते हुए कहा कि चीन कभी अपना रवैया मसूद अजहर को लेकर न बदलता अगर चारों ओर से उसके ऊपर इतना दबाव न बनाया गया होता. पाकिस्तान के लिए भी यही फायदेमंद था क्योंकि उसके एफएटीएफ (वित्तीय कार्रवाई कार्य बल) से ब्लैकलिस्ट होने का खतरा लगातार मंडरा रहा था. यदि ऐसा हो जाता तो पाकिस्तान के लिए एक बड़ी समस्या पैदा हो जाती, जिस मदद की वो आईएमएफ से उम्मीद कर रहा है वो उसे न मिलती.

कारोबार के क्षेत्र में बात करते हुए दत्ता ने बताया कि उन्हे उम्मीद है कि यह बैठक दोनों देशों के बीच व्यापार घाटे को कम करने के लिए, भारत को भी चीनी बाजार में उच्च मांग वाले भारतीय उत्पादों को बेचने का मौका देगी.

भारत और चीन के बीच 90 बिलियन डॉलर का व्यापार है और भारत के पास लगभग 60 बिलियन डॉलर का व्यापार घाटा है. वहीं, वुहान शिखर सम्मेलन के बाद चीनी विदेश मंत्री से वार्ता सकारात्मक रही है. चीन को निश्चित रूप से इस बात पर चलने की आवश्यकता है. जिन भारतीय उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय मांग अधिक है, उन्हें चीनी बाजार में प्रवेश मिलना चाहिए. फार्मास्यूटिकल्स जैसे उत्पादों के लिए चीन को अपने घरेलू बाजार में व्यापार बाधाओं को दूर करना चाहिए.

हाल ही में भारत ने चीन के साथ 380 उत्पादों की एक सूची साझा की थी जो बड़ी निर्यात क्षमता रखते हैं.

नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र 1267 समिति के तहत मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया जाना भारत के लिए एक बड़ी राजनीतिक और कूटनीतिक जीत है. माना जा रहा है कि द्विपक्षीय संबंधों के चलते ऐसा हो सका है. चीनी पक्ष का नेतृत्व चीन के सामान्य प्रशासन (GACC) के उप मंत्री ली गुओ के द्वारा किया जाना है. भारत व्यापार मुद्दों पर चर्चा करेगा क्योंकि भारत चीन में निर्मित और कृषि उत्पादों के लिए एक बड़ा बाजार है. इसी सिलसिले में ईटीवी भारत ने विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के वरिष्ठ अनुसंधान साथी और भारत-चीन संबंधों के विशेषज्ञ सुजीत दत्ता से बात की.

एक्सपर्ट की राय

दत्ता कहते है, 'इस दौरान चीन की ओर बहुत सारे सकारात्मक बयान सामने आए, लेकिन अबतक कोई जमीनी स्तर पूरे नहीं हुए. सीमा को लेकर बातचीत, चीन-पाक संबंध और सीपीईसी (चीन पाकिस्तान आर्थिक क्षेत्र) जैसे मुद्दे बने हुए हैं. इन पर चीन की ओर से अबतक कोई सार्थक कदम नहीं उठाया गया है.'

भारत ने दूसरे बीआरफ (बेल्ट एंड रोड फोर्म)का बहिष्कार किया था. माना जा रहा है कि इसी के चलते मसूद अजहर वाले मामले पर चीन ने नरमी बरती. सुजीत दत्ता ने इस मामले पर अपनी राय रखते हुए कहा कि चीन कभी अपना रवैया मसूद अजहर को लेकर न बदलता अगर चारों ओर से उसके ऊपर इतना दबाव न बनाया गया होता. पाकिस्तान के लिए भी यही फायदेमंद था क्योंकि उसके एफएटीएफ (वित्तीय कार्रवाई कार्य बल) से ब्लैकलिस्ट होने का खतरा लगातार मंडरा रहा था. यदि ऐसा हो जाता तो पाकिस्तान के लिए एक बड़ी समस्या पैदा हो जाती, जिस मदद की वो आईएमएफ से उम्मीद कर रहा है वो उसे न मिलती.

कारोबार के क्षेत्र में बात करते हुए दत्ता ने बताया कि उन्हे उम्मीद है कि यह बैठक दोनों देशों के बीच व्यापार घाटे को कम करने के लिए, भारत को भी चीनी बाजार में उच्च मांग वाले भारतीय उत्पादों को बेचने का मौका देगी.

भारत और चीन के बीच 90 बिलियन डॉलर का व्यापार है और भारत के पास लगभग 60 बिलियन डॉलर का व्यापार घाटा है. वहीं, वुहान शिखर सम्मेलन के बाद चीनी विदेश मंत्री से वार्ता सकारात्मक रही है. चीन को निश्चित रूप से इस बात पर चलने की आवश्यकता है. जिन भारतीय उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय मांग अधिक है, उन्हें चीनी बाजार में प्रवेश मिलना चाहिए. फार्मास्यूटिकल्स जैसे उत्पादों के लिए चीन को अपने घरेलू बाजार में व्यापार बाधाओं को दूर करना चाहिए.

हाल ही में भारत ने चीन के साथ 380 उत्पादों की एक सूची साझा की थी जो बड़ी निर्यात क्षमता रखते हैं.

CHINA NEEDS TO "WALK THE TALK" TO IMPROVE RELATIONS WITH INDIA

The senior officials of two of the Asian superpower countries, India and China are supposed to meet on today.
Politically and diplomatically, the bilateral relations had a big push with China removing it's technical hold on listing Masood Azhar as a global terrorist under the United Nations 1267 committee. The Chinese side which is to be headed by Li Guo, Vice Minister of the General Administration of Customs of China (GACC) would discuss trade issues as India seeks to have a greater market for it's manufactured and agricultural products in China. ETV Bharat spoke to Sujit Dutta, senior research fellow at Vivekananda International Foundation and an expert on the Indo-China relations.
"There have been a lot of positive statements that were made from the Chinese side. But no real breakthroughs have happened so far. There have been matters pertaining to boundary, China-Pak nexus and the CPEC (China Pakistan Economic Territory). But nothing of substance has been done from the Chinese side to address these issues".
Although many quarters are believing that Masood Azhar's listing as a global terrorist was a 'sweetner' to India after it boycotted the 2nd BRF (Belt & Road Forum), Dutta was of the opinion that China's removing of it's technical hold is more to benefit Pakistan than India. "China would surely have not changed it's stance on Masood Azhar had their not been substantial international pressure from all sections. It is also beneficial for Pakistan as it was on a risk of being blacklisted by FATF (Financial Action Task Force) and that would have made it very hard for them to get an aid from IMF which they are looking for" Dutta said.
On the trade front, Dutta was hopefull that this meet would draw some discussions on China opening it's domestic markets for high demand Indian products in order to reduce the trade deficit between the two countries.
"India and China have a trade amounting to $90 billion and we have a trade deficit of around $60 billion. While after the Wuhan summit, the talks from the Chinese Foreign Minister has been positive, China surely needs to walk the talk. Indian products which have an high international demand should be given an entry into the Chinese market. For products like Pharmaceuticals, China should remove the trade barriers in their domestic market" Dutta said.
Recently India had shared a list of 380 products with China which hold huge export potential.
Last Updated : May 10, 2019, 10:43 PM IST
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