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बंगाल के पिनकॉन समूह पोंजी घोटाले मामले में आठ को उम्र कैद - ponzi Case

बंगाल में पोंजी स्कीम मामले में पहले फैसले में आठ लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. अदालत ने 2017 में खेजुरी पुलिस स्टेशन में दायर पिनकॉन ग्रुप मामले की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है.

ponzi case
पोंजी स्कीम मामला
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Published : Oct 5, 2020, 6:43 AM IST

तामलुक : पश्चिम बंगाल के पूर्वी मेदिनीपुर जिले की एक फौजदारी अदालत ने निवेशकों के पैसे गबन करने के मामले में पिनकॉन कंपनी के निदेशकों समेत इससे जुड़े आठ लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.

तामलुक के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मोऊ चटर्जी की अदालत ने इस मामले में आठ लोगों को दोषी पाया और उन्हें कठोर पश्चिम बंगाल वित्तीय संस्थानों में निवेशकों के हितों की रक्षा अधिनियम, 2013 के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

अदालत ने 10 अभियुक्तों को किया बरी
पश्चिम बंगाल के आर्थिक अपराध निदेशालय में विशेष लोक अभियोजक सोमेन दत्ता ने कहा कि इस अधिनियम के तहत संभवत: यह पहली सजा है. अदालत ने 10 अभियुक्तों को बरी कर दिया जबकि दो की सुनवाई के दौरान मौत हो चुकी है.

पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट के जज की निगरानी में हो हाथरस मामले की जांच : कांग्रेस

अवधि पूरी होने के बाद भी नहीं मिला पैसा
दरअसल फरवरी 2017 में निवेशकों ने एक फौजदारी मामला दर्ज कराया था, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि पिनकॉन कंपनी की खेजुरी शाखा में उन्होंने जो पैसा जमा कराया था वह अमानत की अवधि पूरी होने के बाद भी उन्हें वापस नहीं मिला.

तामलुक : पश्चिम बंगाल के पूर्वी मेदिनीपुर जिले की एक फौजदारी अदालत ने निवेशकों के पैसे गबन करने के मामले में पिनकॉन कंपनी के निदेशकों समेत इससे जुड़े आठ लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.

तामलुक के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मोऊ चटर्जी की अदालत ने इस मामले में आठ लोगों को दोषी पाया और उन्हें कठोर पश्चिम बंगाल वित्तीय संस्थानों में निवेशकों के हितों की रक्षा अधिनियम, 2013 के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

अदालत ने 10 अभियुक्तों को किया बरी
पश्चिम बंगाल के आर्थिक अपराध निदेशालय में विशेष लोक अभियोजक सोमेन दत्ता ने कहा कि इस अधिनियम के तहत संभवत: यह पहली सजा है. अदालत ने 10 अभियुक्तों को बरी कर दिया जबकि दो की सुनवाई के दौरान मौत हो चुकी है.

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अवधि पूरी होने के बाद भी नहीं मिला पैसा
दरअसल फरवरी 2017 में निवेशकों ने एक फौजदारी मामला दर्ज कराया था, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि पिनकॉन कंपनी की खेजुरी शाखा में उन्होंने जो पैसा जमा कराया था वह अमानत की अवधि पूरी होने के बाद भी उन्हें वापस नहीं मिला.

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