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कोरोना के कारण सूनी हुई अहमदाबाद की सरखेज लाइब्रेरी - गुजरात का एक एतिहासिक केंद्र

गुजरात के अहमदाबाद स्थित सरखेज लाइब्ररी गुजरात का एक एतिहासिक केंद्र है, जहां गुजरात के इतिहास पर ऐतिहासिक पुस्तकें मौजूद हैं. इनमें मिरात अहम्दी, मिरात सिकंदरी और हजरत शेख अहमद खाटू गंज बख्श ,सुल्तान अहमद शाह, पवित्र कुरान के विभिन्न नमूने और पत्र मौजूद हैं, जिसे खासतौर पर सरखेज रोजा कमेटी ने छापवाया है. लेकिन फिलहाल इन किताबों को पढ़ने वाला कोई नहीं है.

सरखेज लाइब्रेरी
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Published : Jun 29, 2020, 10:51 PM IST

अहमदाबाद : गुजरात के अहमदाबाद स्थित सरखेज रोजा लाइब्रेरी, जहां कभी इलाके के छात्र और पर्यटकों का तांता लगा रहता था. लोग यहां आते थे और गुजरात की इतिहास से जुड़ी किताबें पढ़ते थे और उन्हें खरीदते थे, लेकिन कोरोना वायरस ने इस लाइब्रेरी को तबाह कर दिया है, और छात्र अब किताबें पढ़ने से परहेज कर रहे हैं.

गुजरात की सरखेज लाइब्ररी गुजरात का एक एतिहासिक केंद्र है, जहां गुजरात के इतिहास पर ऐतिहासिक पुस्तकें मौजूद हैं. इनमें मिरात अहम्दी, मिरात सिकंदरी और हजरत शेख अहमद खाटू गंज बख्श ,सुल्तान अहमद शाह, पवित्र कुरान के विभिन्न नमूने और पत्र मौजूद हैं. जिसे खासतौर पर सरखेज रोजा कमेटी ने छापवाया है. लेकिन फिलहाल इन किताबों को पढ़ने वाला कोई नहीं है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

ईटीवी भारत से बात करते लाइब्रेरी के लाइब्रेरियन हसीब मंसूरी ने ईटीवी भारत के संवाददाता से बात करते हुए कहा कि यह पुस्तकालय सरखेज रोजा के इतिहास को बताता है. यह गुजरात की पहचान है.

उन्होंने कहा कि यहां हर दिन पाठकों और पुस्तक खरीदारों की एक बड़ी भीड़ होती थी, लेकिन कोरोना वायरस और लॉकडाउन ने इस पुस्तकालय का रूप बदल दिया है. अब किताबें हैं लेकिन पाठक नहीं.

पढ़ें - चिकनगुनिया वायरल संक्रमण, जानें लक्षण और बचाव के उपाय

हम हर दिन सुबह से शाम तक बैठते हैं, लेकिन कोई भी किताबें खरीदने के लिए नहीं आता है. अधिकांश किताबें अलमारी में बंद हैं. कुर्सियों पर बैठने के लिए कोई पाठक नहीं हैं. यह देखकर बहुत दुख होता है.

हसीब ने कहा कि लॉकडाउन के कारण सरखेज रोजा के दरवाजे बंद थे, लेकिन अब लॉकडाउन में छूट मिल गई है फिर भी लाइब्रेरी सुनसान से. हालांकि पवित्र कुरान के नमूने देखने के लिए कुछ लोग आ रहे हैं, लेकिन यह तादाद बहुत कम है.

अहमदाबाद : गुजरात के अहमदाबाद स्थित सरखेज रोजा लाइब्रेरी, जहां कभी इलाके के छात्र और पर्यटकों का तांता लगा रहता था. लोग यहां आते थे और गुजरात की इतिहास से जुड़ी किताबें पढ़ते थे और उन्हें खरीदते थे, लेकिन कोरोना वायरस ने इस लाइब्रेरी को तबाह कर दिया है, और छात्र अब किताबें पढ़ने से परहेज कर रहे हैं.

गुजरात की सरखेज लाइब्ररी गुजरात का एक एतिहासिक केंद्र है, जहां गुजरात के इतिहास पर ऐतिहासिक पुस्तकें मौजूद हैं. इनमें मिरात अहम्दी, मिरात सिकंदरी और हजरत शेख अहमद खाटू गंज बख्श ,सुल्तान अहमद शाह, पवित्र कुरान के विभिन्न नमूने और पत्र मौजूद हैं. जिसे खासतौर पर सरखेज रोजा कमेटी ने छापवाया है. लेकिन फिलहाल इन किताबों को पढ़ने वाला कोई नहीं है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

ईटीवी भारत से बात करते लाइब्रेरी के लाइब्रेरियन हसीब मंसूरी ने ईटीवी भारत के संवाददाता से बात करते हुए कहा कि यह पुस्तकालय सरखेज रोजा के इतिहास को बताता है. यह गुजरात की पहचान है.

उन्होंने कहा कि यहां हर दिन पाठकों और पुस्तक खरीदारों की एक बड़ी भीड़ होती थी, लेकिन कोरोना वायरस और लॉकडाउन ने इस पुस्तकालय का रूप बदल दिया है. अब किताबें हैं लेकिन पाठक नहीं.

पढ़ें - चिकनगुनिया वायरल संक्रमण, जानें लक्षण और बचाव के उपाय

हम हर दिन सुबह से शाम तक बैठते हैं, लेकिन कोई भी किताबें खरीदने के लिए नहीं आता है. अधिकांश किताबें अलमारी में बंद हैं. कुर्सियों पर बैठने के लिए कोई पाठक नहीं हैं. यह देखकर बहुत दुख होता है.

हसीब ने कहा कि लॉकडाउन के कारण सरखेज रोजा के दरवाजे बंद थे, लेकिन अब लॉकडाउन में छूट मिल गई है फिर भी लाइब्रेरी सुनसान से. हालांकि पवित्र कुरान के नमूने देखने के लिए कुछ लोग आ रहे हैं, लेकिन यह तादाद बहुत कम है.

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