नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एअरसेल-मैक्सिस मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदम्बरम और उनके बेटे कार्ति चिदम्बरम को मिली अग्रिम जमानत रद्द करने की मांग करते हुए बृहस्पतिवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया.
ईडी की अर्जी पर शुक्रवार, 12 अक्टूबर को उच्च न्यायालय में सुनवाई होने की संभावना है. प्रवर्तन निदेशालय ने विशेष अदालत के पांच सितंबर के आदेश को चुनौती दी है जिसमें 74 वर्षीय चिदम्बरम और उनके बेटे को अग्रिम जमानत दे दी गई थी.
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में 21 अगस्त को चिदंबरम को गिरफ्तार किया था और तब से वह जेल में हैं.
निचली अदालत ने सीबीआई द्वारा दायर एअरसेल-मैक्सिस मामले में भी पिता-पुत्र को अग्रिम जमानत दे दी थी.
एअरसेल-मैक्सिस मामले में चिदंबरम और उनके बेटे को आरोपी बनाने से पहले एक विशेष अदालत ने दो फरवरी 2017 को डीएमके नेता एवं पूर्व दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन, उनके भाई कलानिधि मारन और अन्य को सीबीआई तथा ईडी द्वारा दायर मामलों में आरोपमुक्त कर दिया था.
बाद में, दोनों एजेंसियों ने घोटाले में चिदंबरम पिता-पुत्र का नाम लेते हुए पूरक आरोपपत्र दायर किया था.
मामले चिदंबरम के वित्त मंत्री रहने के दौरान 3,500 करोड़ रुपये के एअरसेल-मैक्सिस सौदे में विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) मंजूरी देने में कथित अनियमितता से जुड़े हैं.
सीबीआई इस बारे में जांच कर रही है कि 2006 में वित्त मंत्री रहने के दौरान चिदंबरम ने एक विदेशी कंपनी को एफआईपीबी मंजूरी कैसे प्रदान करा दी, जबकि यह कार्य आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ही कर सकती थी.
ईडी एअरसेल-मैक्सिस मामले में धनशोधन प्रकरण की जांच कर रहा है जिसमें चिदंबरम पिता-पुत्र से एजेंसी द्वारा पूछताछ की गई है.