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अमर्त्य सेन ने किसान आंदोलन का किया समर्थन, कहा-देश में असहिष्णुता बढ़ी

हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्राध्यापक अमर्त्य सेन ने किसान आंदोलन का समर्थन किया है. सेन ने इस पर विस्तृत चर्चा करने पर बल दिया. साथ ही देश में असहिष्णुता बढ़ने के आरोप लगाए. पढ़ें रिपोर्ट.

amartya sen
अमर्त्य सेन
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Published : Dec 28, 2020, 9:25 PM IST

कोलकाता : नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने देश में चर्चा और असहमति की गुंजाइश कम होते जाने को लेकर रोष प्रकट किया है. साथ ही, उन्होंने दावा किया कि मनमाने तरीके से देशद्रोह के आरोप थोपकर लोगों को बगैर मुकदमे के जेल भेजा जा रहा है. हालांकि, अकसर ही सेन की आलोचना के केंद्र में रहने वाली भाजपा ने इस आरोप को बेबुनियाद करार दिया है.

कृषि कानूनों पर उपयुक्त चर्चा की जरूरत

हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्राध्यापक सेन (87) ने एक साक्षात्कार में केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का समर्थन किया. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि इन कानूनों की समीक्षा करने के लिए एक मजबूत आधार है क्योंकि इन कानूनों के खिलाफ किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. हालांकि, पहली जरूरत यह है कि उपयुक्त चर्चा की जाए, न कि कथित तौर पर बड़ी रियायत देने की बात कही जाए, जो असल में बहुत छोटी रियायत होगी.

देश में चर्चा और असहमति की गुंजाइश कम

सेन ने कहा कि कोई व्यक्ति जो सरकार को पसंद नहीं आ रहा है, उसे सरकार द्वारा आतंकवादी घोषित किया जा सकता है और जेल भेजा सकता है. लोगों के प्रदर्शन के कई अवसर और मुक्त चर्चा सीमित कर दी गई है या बंद कर दी गई है. असहमति और चर्चा की गुंजाइश कम होती जा रही है. उन्होंने इस बात पर दुख जताया कि कन्हैया कुमार, शेहला राशिद और उमर खालिद जैसे युवा कार्यकर्ताओं के साथ दुश्मनों जैसा व्यवहार किया गया है. जब सरकार गलती करती है तो उससे लोगों को नुकसान होता है, इस बारे में न सिर्फ बोलने की इजाजत होनी चाहिए, बल्कि यह वास्तव में जरूरी है. लोकतंत्र इसकी मांग करता है.

लॉकडाउन थोपा जाना गलत था

कोविड-19 महामारी से लड़ने की देश की कोशिशों पर सेन ने कहा कि भारत सामाजिक मेलजोल से दूरी रखने की जरूरत के मामले में सही था लेकिन बगैर किसी नोटिस के लॉकडाउन थोपा जाना गलत था. आजीविका के लिए गरीब श्रमिकों की जरूरत को नजरअंदाज करना भी गलती थी. उन्होंने मार्च के अंत में लॉकडाउन लागू किए जाने के बाद करोड़ों लोगों के बेरोजगार हो जाने और प्रवासी श्रमिकों के बड़ी तादाद में घर लौटने का जिक्र करते हुए यह कहा.

असहिष्णुता देखनी है तो पश्चिम बंगाल आएं : भाजपा नेता

किसानों के प्रदर्शन को लेकर सेन के रुख पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि सरकार ने मुद्दों का हल करने और किसान संगठनों द्वार प्रकट की गई चिंताओं को दूर करने के लिए सभी कोशिशें सरकार की तरफ से की गईं हैं. चर्चा और असहमति की गुंजाइश कथित तौर पर सिकुड़ने के बारे में सेन के विचारों पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई प्रमुख दिलीप घोष ने कहा कि उनकी (सेन की) दलील बेबुनियाद है. घोष ने कहा कि यदि वह देखना चाहते हैं कि असहिष्णुता क्या है तो उन्हें पश्चिम बंगाल की यात्रा करनी चाहिए, जहां किसी भी विपक्षी दल के पास अपने कार्यक्रम करने के लिए लोकतांत्रिक अधिकार नहीं है.

कोलकाता : नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने देश में चर्चा और असहमति की गुंजाइश कम होते जाने को लेकर रोष प्रकट किया है. साथ ही, उन्होंने दावा किया कि मनमाने तरीके से देशद्रोह के आरोप थोपकर लोगों को बगैर मुकदमे के जेल भेजा जा रहा है. हालांकि, अकसर ही सेन की आलोचना के केंद्र में रहने वाली भाजपा ने इस आरोप को बेबुनियाद करार दिया है.

कृषि कानूनों पर उपयुक्त चर्चा की जरूरत

हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्राध्यापक सेन (87) ने एक साक्षात्कार में केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का समर्थन किया. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि इन कानूनों की समीक्षा करने के लिए एक मजबूत आधार है क्योंकि इन कानूनों के खिलाफ किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. हालांकि, पहली जरूरत यह है कि उपयुक्त चर्चा की जाए, न कि कथित तौर पर बड़ी रियायत देने की बात कही जाए, जो असल में बहुत छोटी रियायत होगी.

देश में चर्चा और असहमति की गुंजाइश कम

सेन ने कहा कि कोई व्यक्ति जो सरकार को पसंद नहीं आ रहा है, उसे सरकार द्वारा आतंकवादी घोषित किया जा सकता है और जेल भेजा सकता है. लोगों के प्रदर्शन के कई अवसर और मुक्त चर्चा सीमित कर दी गई है या बंद कर दी गई है. असहमति और चर्चा की गुंजाइश कम होती जा रही है. उन्होंने इस बात पर दुख जताया कि कन्हैया कुमार, शेहला राशिद और उमर खालिद जैसे युवा कार्यकर्ताओं के साथ दुश्मनों जैसा व्यवहार किया गया है. जब सरकार गलती करती है तो उससे लोगों को नुकसान होता है, इस बारे में न सिर्फ बोलने की इजाजत होनी चाहिए, बल्कि यह वास्तव में जरूरी है. लोकतंत्र इसकी मांग करता है.

लॉकडाउन थोपा जाना गलत था

कोविड-19 महामारी से लड़ने की देश की कोशिशों पर सेन ने कहा कि भारत सामाजिक मेलजोल से दूरी रखने की जरूरत के मामले में सही था लेकिन बगैर किसी नोटिस के लॉकडाउन थोपा जाना गलत था. आजीविका के लिए गरीब श्रमिकों की जरूरत को नजरअंदाज करना भी गलती थी. उन्होंने मार्च के अंत में लॉकडाउन लागू किए जाने के बाद करोड़ों लोगों के बेरोजगार हो जाने और प्रवासी श्रमिकों के बड़ी तादाद में घर लौटने का जिक्र करते हुए यह कहा.

असहिष्णुता देखनी है तो पश्चिम बंगाल आएं : भाजपा नेता

किसानों के प्रदर्शन को लेकर सेन के रुख पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि सरकार ने मुद्दों का हल करने और किसान संगठनों द्वार प्रकट की गई चिंताओं को दूर करने के लिए सभी कोशिशें सरकार की तरफ से की गईं हैं. चर्चा और असहमति की गुंजाइश कथित तौर पर सिकुड़ने के बारे में सेन के विचारों पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई प्रमुख दिलीप घोष ने कहा कि उनकी (सेन की) दलील बेबुनियाद है. घोष ने कहा कि यदि वह देखना चाहते हैं कि असहिष्णुता क्या है तो उन्हें पश्चिम बंगाल की यात्रा करनी चाहिए, जहां किसी भी विपक्षी दल के पास अपने कार्यक्रम करने के लिए लोकतांत्रिक अधिकार नहीं है.

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