मंगलुरु (कर्नाटक) : विश्वव्यापी कोरोना महामारी का भारत में फैलाव अब रफ्तार पकड़ चुका है. अभी तक करोना वायरस की रोक थाम के लिए कोई वैक्सीन नहीं बनाई जा सकी है, लिहाजा बचाव ही इसका एकमात्र उपाय है. संक्रमण से बचाव के लिए मास्क पहनना एक अनिवार्य चिकित्सीय सलाह है. इसलिए इस कोरोना दौर में मास्क पहनना हम सबके लिए अनिवार्य सा बन गया है. हालांकि अधिक समय तक मास्क पहनने से हमारी गर्दन और कान में दर्द हो सकता है. मास्क से होने वाली दिक्कतों को देखते हुए एक इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रोफेसर ने इको फ्रेंडली इनवी इयर सेवर का अविष्कार किया है.
कोरोना वारियर्स को N95, सर्जिकल मास्क का उपयोग करना होता है. कोरोना से लड़ रहे लोग कम से कम 8 घंटे के लिए इन मास्क का उपयोग करते हें, तो उन्हें कान के चारों तरफ इलास्टिक की वजह से दर्द होना निश्चित है. ऐसे में पर्यावरण के अनुकूल इन्वी ईयर सेवर डिवाइस को लोचदार और बिना किसी तनाव को पहना जा सकता है. यह उपकरण उन लोगों के लिए भी उपयोगी हो सकता है, जो अधिक समय तक मास्क पहनते है.
मास्क एक निर्दिष्ट माप कर के तैयार किया जाता है. जाहिर है हर किसी के चेहरे के बनावाट और आकार में अंतर होता है. चौड़े और बड़े चेहरों के लिए मास्क पहनने से दर्द, दबाव और लाल निशान पड़ सकते हैं, इन्ही सब दिक्कतों को ध्यान में रखकर शशांक एम और निखिल गौरा ने मिलकर कोरोना योद्धाओं की मदद करने के लिए इस उपकरण का निर्माण किया है. शशांक एम, इलेक्ट्रॉनिक संचार विभाग, मुदबिद्री येनापोया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एक एसोसिएट प्रोफेसर हैं और निखिल गौड़ा इनवी हब टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड. बी.वी. प्रबंध निदेशक हैं.
यह इन्वी ईयर सेवर मकई और गन्ने जैसे पौधों के स्टार्च को प्रसंस्कृत कर पीएलए फाइबर के साथ मिला कर बनाया जाता है और 3 डी प्रिंटिंग तकनीक का इस्तेमाल करके मुद्रित किया जाता है.
यह पीएलए (पॉलीलैक्टाइड) अक्षय थर्मोप्लास्टिक बहुलक है. यह एक पर्यापरणीय रूप से हानिरहित उपकरण भी है.