ETV Bharat / bharat

कर्नाटक के 15 विधायकों की अयोग्यता : SC के फैसले तक उपचुनाव टाल सकता है चुनाव आयोग

कर्नाटक के 15 विधायकों के इस्तीफा देने के बाद इन सीटों पर उप चुनाव कराए जाने की संभावना है. इस मामले में विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. चुनाव आयोग ने उपचुनावों को लेकर शीर्ष अदालत के फैसले का इंतजार करने की बात कही है. जानें पूरा मामला

अयोग्य विधायक
author img

By

Published : Sep 26, 2019, 8:33 PM IST

Updated : Oct 2, 2019, 3:33 AM IST

नई दिल्ली: केंद्रीय चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वो कर्नाटक की 15 सीटों पर उपचुनावों को टाल सकता है. आयोग ने कहा है कि चुनाव तब तक के लिए टल सकता है, जब तक कि अदालत सभी 15 विधायकों की अयोग्यता पर फैसला नहीं ले लेती.

चुनाव आयोग ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह अयोग्य कर्नाटक के 15 विधायकों के उपचुनावों को तब तक के लिए टाल देगा, जब तक शीर्ष अदालत उनकी अयोग्यता का फैसला नहीं करती.

चुनाव आयोग ने कहा है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का अध्ययन करने के बाद और वरिष्ठ वकील से प्रतिक्रिया लेने के बाद, आयोग कर्नाटक के विधानसभा के लिए निर्धारित उपचुनाव के मामले में तत्काल कदम उठाएगा.

शुभ्रांशु पाढ़ी विधायको के अधिवक्ता

मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति एनवी रमना, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि इस मामले में जो कुछ भी दायर किया जाना वो अक्टूबर तक दायर किया जाए, अदालत इस मामले की 22 अक्टूबर को फिर से सुनवाई करेगी.

पीठ ने कहा कि वह 17 विधायकों को अयोग्य घोषित करने के विधान सभा के पूर्व अध्यक्ष के आर रमेश कुमार के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला करेगा.

आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा, 'फिर मैं निर्वाचन आयोग से इसे (कर्नाटक में 15 सीटों के लिये उपचुनाव) कुछ समय के लिये स्थगित करने के लिये कहूंगा.'

पीठ ने जब द्विवेदी से जानना चाहा कि क्या उनका यह बयान आदेश में दर्ज किया जाना चाहिए, वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, 'हम ऐसा करेंगे.'

दल बदल कानून के तहत अयोग्य घोषित किये गये विधायकों, कांग्रेस नेता सिद्धरमैया और अन्य प्रतिवादियों के वकीलों ने कहा कि यदि उप चुनाव स्थगित किये जाते हैं तो उन्हें इस पर कोई आपत्ति नहीं है.

इस मामले पर वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने गुरुवार को हस्तक्षेप किया और सूचना दी कि चुनाव आयोग कोर्ट के फैसला आने तक इंतजार करेगा.

संदीप पटील विधायको के अधिवक्ता

वहीं, इस मामले पर वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने आज यह कहते हुए अपनी दलीलें पेश की. सिब्बल ने कहा कि अयोग्यता एक संवैधानिक कर्तव्य है और यह अदालत या किसी भी राजनीतिक दल का काम नहीं है कि वो इस बात को तय करे कि स्पीकर को इस्तीफा कैसे स्वीकार करना चाहिए.

etv bharat
कर्नाटक विधानसभा स्पीकर आर रमेश

सिटी किहोटो होलोहन केस का हवाला देते हुए, सिब्बल ने तर्क दिया कि अयोग्यता को केवल 4 आधारों पर चुनौती दी जा सकती है. जो कि गैर-कानूनी, व्यापक, प्राकृतिक न्याय से वंचित और संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन हैं.

बहस को आगे बढ़ाते हुए सिब्बल ने कहा कि विधायकों ने एक भाजपा सदस्य के स्वामित्व वाली उड़ान में मुंबई के लिए उड़ान भरी, मुंबई में एक 5 सितारा होटल में रुके, मीडिया को संयुक्त रूप से संबोधित किया, व्हिप जारी होने पर भी नहीं देखा, यह दर्शाता है कि यह सब जानबूझकर किया गया था.

पढ़ें- कर्नाटक उपचुनावः टिकट वितरण को लेकर नाराज हैं भाजपा नेता

सिब्बल ने यह भी कहा कि ये व्यापक तथ्य हैं, जिन्हें विधायकों ने भी नहीं नकारा. उन्होंने कहा कि स्पीकर इस्तीफे को तभी स्वीकार कर सकते हैं जब वे स्वैच्छिक और वास्तविक हों और स्पीकर द्वारा पाए गए व्यापक तथ्यों की जांच की जानी थी.

बता दें कि कल सॉलिसिटर जनरल, तुषार मेहता ने तर्क दिया था कि इस्तीफा देना विधायकों का अधिकार था और वो जनादेश के लिए वापस जा सकते थे. यह उनके विवेक पर था.

नई दिल्ली: केंद्रीय चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वो कर्नाटक की 15 सीटों पर उपचुनावों को टाल सकता है. आयोग ने कहा है कि चुनाव तब तक के लिए टल सकता है, जब तक कि अदालत सभी 15 विधायकों की अयोग्यता पर फैसला नहीं ले लेती.

चुनाव आयोग ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह अयोग्य कर्नाटक के 15 विधायकों के उपचुनावों को तब तक के लिए टाल देगा, जब तक शीर्ष अदालत उनकी अयोग्यता का फैसला नहीं करती.

चुनाव आयोग ने कहा है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का अध्ययन करने के बाद और वरिष्ठ वकील से प्रतिक्रिया लेने के बाद, आयोग कर्नाटक के विधानसभा के लिए निर्धारित उपचुनाव के मामले में तत्काल कदम उठाएगा.

शुभ्रांशु पाढ़ी विधायको के अधिवक्ता

मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति एनवी रमना, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि इस मामले में जो कुछ भी दायर किया जाना वो अक्टूबर तक दायर किया जाए, अदालत इस मामले की 22 अक्टूबर को फिर से सुनवाई करेगी.

पीठ ने कहा कि वह 17 विधायकों को अयोग्य घोषित करने के विधान सभा के पूर्व अध्यक्ष के आर रमेश कुमार के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला करेगा.

आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा, 'फिर मैं निर्वाचन आयोग से इसे (कर्नाटक में 15 सीटों के लिये उपचुनाव) कुछ समय के लिये स्थगित करने के लिये कहूंगा.'

पीठ ने जब द्विवेदी से जानना चाहा कि क्या उनका यह बयान आदेश में दर्ज किया जाना चाहिए, वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, 'हम ऐसा करेंगे.'

दल बदल कानून के तहत अयोग्य घोषित किये गये विधायकों, कांग्रेस नेता सिद्धरमैया और अन्य प्रतिवादियों के वकीलों ने कहा कि यदि उप चुनाव स्थगित किये जाते हैं तो उन्हें इस पर कोई आपत्ति नहीं है.

इस मामले पर वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने गुरुवार को हस्तक्षेप किया और सूचना दी कि चुनाव आयोग कोर्ट के फैसला आने तक इंतजार करेगा.

संदीप पटील विधायको के अधिवक्ता

वहीं, इस मामले पर वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने आज यह कहते हुए अपनी दलीलें पेश की. सिब्बल ने कहा कि अयोग्यता एक संवैधानिक कर्तव्य है और यह अदालत या किसी भी राजनीतिक दल का काम नहीं है कि वो इस बात को तय करे कि स्पीकर को इस्तीफा कैसे स्वीकार करना चाहिए.

etv bharat
कर्नाटक विधानसभा स्पीकर आर रमेश

सिटी किहोटो होलोहन केस का हवाला देते हुए, सिब्बल ने तर्क दिया कि अयोग्यता को केवल 4 आधारों पर चुनौती दी जा सकती है. जो कि गैर-कानूनी, व्यापक, प्राकृतिक न्याय से वंचित और संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन हैं.

बहस को आगे बढ़ाते हुए सिब्बल ने कहा कि विधायकों ने एक भाजपा सदस्य के स्वामित्व वाली उड़ान में मुंबई के लिए उड़ान भरी, मुंबई में एक 5 सितारा होटल में रुके, मीडिया को संयुक्त रूप से संबोधित किया, व्हिप जारी होने पर भी नहीं देखा, यह दर्शाता है कि यह सब जानबूझकर किया गया था.

पढ़ें- कर्नाटक उपचुनावः टिकट वितरण को लेकर नाराज हैं भाजपा नेता

सिब्बल ने यह भी कहा कि ये व्यापक तथ्य हैं, जिन्हें विधायकों ने भी नहीं नकारा. उन्होंने कहा कि स्पीकर इस्तीफे को तभी स्वीकार कर सकते हैं जब वे स्वैच्छिक और वास्तविक हों और स्पीकर द्वारा पाए गए व्यापक तथ्यों की जांच की जानी थी.

बता दें कि कल सॉलिसिटर जनरल, तुषार मेहता ने तर्क दिया था कि इस्तीफा देना विधायकों का अधिकार था और वो जनादेश के लिए वापस जा सकते थे. यह उनके विवेक पर था.

Intro:The Election Commission told the Supreme Court today that it will defer the by polls on the 15 seats of the disqualified Karnataka MLAs till the court decides on their disqualification. The bench comprising of Justice NV Ramana, Justice Krishna Murari and Justice Sanjiv Khanna said that whatever needs to be filed should be filed by 15th october and the court will hear the matter again on 22nd october now.


Body:Senior Advocate Rakesh Diwedi had intervened today and informed that the EC will wait till the court takes a decision.

Senior Advocate Kapil Sibal had submitted his arguments today saying that disqualification is a constitutional duty and it was not the court's job or any political party's job to decide how the speaker should accept resignations. Citing Kihoto Hollohan case, Sibal argued that the disqualification can be challenged only on 4 grounds amd i.e malafide, pervasive, denied of natural justice and violation of constitutional provisions.

Arguing further, Sibal said that the MLAs flew to Mumbai in a chartered flight owned by a BJP member, stayed at a 5 star hotel in Mumbai, addressed the media jointly, did not show up even when the whip was issued, shows that it was all intentional. Sibal also said that these are the broad facts which are not even denied by the MLAs. Contending further he said that speaker can accept the resignations only if they are "voluntary" and "genuine" and the broad facts which were found by the speaker had to examined.

Yesterday the Solicitor General, Tushar Mehta, had argued that it was the right of the MLAs to resign and they could so for conscience reasons and go back to public for mandate.




Conclusion:
Last Updated : Oct 2, 2019, 3:33 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.