नई दिल्ली : जेएनयू में फीस बढ़ोतरी का मुद्दा अब दिल्ली विश्वविद्यालय तक पहुंच गया है. इसी को लेकर डीयू की एबीवीपी ईकाई ने मंडी हाउस से संसद मार्ग तक पैदल मार्च निकाला.
इस मार्च में सैकड़ों की तादाद में छात्र सड़कों पर उतरे और 'जेएनयू फीस हाइक रोलबैक' के नारों के साथ एमएचआरडी तक कुंच किया. हालांकि पुलिस प्रशासन ने छात्रों को संसद मार्ग पुलिस थाने के पास ही रोक दिया.
मार्च में कई यूनिवर्सिटी के छात्र हुए शामिल
बता दें इससे पहले भी छात्रों द्वारा फीस हाइक को लेकर जेएनयू से मार्च निकाला गया था. लेकिन आज इस मार्च में जेएनयू समेत दिल्ली विश्वविद्यालय और तमाम यूनिवर्सिटी के छात्र इकट्ठा हुए थे, और इसे मंडी हाउस से संसद मार्ग तक निकाला गया था.
दिल्ली की एक यूनिवर्सिटी से बीटेक कर रहे छात्र अर्जुन भी इस मार्च में शामिल हुए उनका कहना था कि जो छात्र पहले अपने रूम का रेंट 10 या ₹20 देते थे उसे बढ़ाकर ₹600 कर दिया गया है.
एक आम छात्र इतनी फीस कैसे देगा. बिजली, पानी का बिल जो नहीं था अब उसे इतना बढ़ा दिया गया है. जिससे की आम छात्र की जेब पर बहुत असर पड़ेगा. जेएनयू में छात्र पढ़ने के लिए आते हैं लेकिन एमएचआरडी द्वारा इतनी फीस वसूले जाने से छात्र अपनी शिक्षा को बीच में छोड़ने पर मजबूर हो जाएंगे.
मार्च में शामिल हुआ ABVP
इस मार्च में दिल्ली विश्वविद्यालय अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) भी शामिल हुआ था. जिनका कहना है कि जेएनयू में फीस बढ़ोतरी के मुद्दे को लेफ्ट यूनिटी ने राजनीति से जोड़ दिया है. और इसमें कश्मीर और राम मंदिर जैसे मुद्दों को जोड़कर देखा जा रहा है, लेकिन हम केवल छात्रों के हितों के लिए आज ये मार्च कर रहे हैं.
बीच में पढ़ाई छोड़ने को मजबूर छात्र
मार्च में शामिल हुए जेएनयू के एक दिव्यांग छात्र ने कहा कि वह बिहार से पढ़ने के लिए जेएनयू आए हैं लेकिन फीस बढ़ोतरी के बाद उन्हें काफी परेशानी होगी. वह अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ कर ही जाने के लिए मजबूर हो जाएंगे. क्योंकि अचानक 2500 से 8000 तक फीस बढ़ोतरी हुई है जो छात्रों के लिए काफी परेशानी पैदा करेगा.
MHRD द्वारा गठित कमेटी का किया विरोध
इस दौरान छात्रों ने एमएचआरडी द्वारा गठित की गई कमेटी का भी विरोध किया, उनका कहना था कि केवल छात्रों को गुमराह करने के लिए एमएचआरडी इस तरीके का कदम उठा रही है, जो कमिटी गठित की है वह छात्रों की किसी भी समस्या का समाधान नहीं निकालेगी, लेकिन हम फीस बढ़ोतरी के फैसले को वापस करवा कर रहेंगे.
बता दें, इस मार्च में डूसू अध्यक्ष अक्षित दहिया, उपाध्यक्ष प्रदीप तंवर, एबीवीपी के स्टेट सेक्रेटरी सिद्धार्थ यादव समेत तमाम पदाधिकारी शामिल हुए. इन सभी ने एक सुर में जेएनयू फीस बढ़ोतरी को वापस लेने की मांग की.
सिद्धार्थ यादव ने कहा कि जेएनयू में एबीवीपी पहले से ही छात्रों के मुद्दों पर लड़ाई लड़ रही है, लेकिन जेएनयू लेफ्ट यूनिटी द्वारा इसे भटकाने की कोशिश की जा रही है. जिसके बाद डीयू की एबीवीपी ईकाई इसमें शामिल हुई है.
सिद्धार्थ ने कहा-
इससे पहले हमने यूजीसी के पदाधिकारियों से मुलाकात कर जेएनयू के लिए रोके गए फंड को रिलीज करने की भी मांग की थी. जिस पर हमें आश्वासन दिया गया था, लेकिन फंड अभी तक रिलीज नहीं किया गया.
एमएचआरडी द्वारा गठित कमेटी का विरोध
इसके साथ ही सिद्धार्थ ने एमएचआरडी द्वारा गठित की गई कमेटी का भी विरोध किया. उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं फीस बढ़ोतरी के मुद्दे का जेएनयू के वाइस चांसलर, यूजीसी के पदाधिकारी या फिर एमएचआरडी सीधा निदान करें. इस तरीके की कमेटी बनाकर छात्रों को गुमराह ना करें.
मार्च में शामिल हुए डूसू अध्यक्ष
इसके अलावा डूसू के अध्यक्ष अक्षित दहिया भी प्रदर्शन में शामिल हुए. उन्होंने कहा-
हम छात्रों के हितों की लड़ाई लड़ रहे हैं. छात्रों के मुद्दों के लिए हम जेएनयू के साथ खड़े हैं और डीयू के तमाम छात्रों के साथ मार्च में शामिल हो रहे हैं.
'वाइस चांसलर की मनमानी नहीं सहेंगे'
डूसू उपाध्यक्ष प्रदीप तंवर ने कहा कि जेएनयू में छात्रों के साथ अन्याय किया जा रहा है. वहां वाइस चांसलर की मनमानी लगातार बढ़ती जा रही है. जिसके खिलाफ आज हम इकट्ठा होकर पैदल मार्च कर रहे हैं.
वहीं जेएनयू छात्रों के समर्थन में अब राजनीतिक पार्टियां भी खुलकर आने लगी हैं. दिल्ली प्रदेश कांग्रेस ने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में एक मीटिंग बुलाकर जेएनयू छात्रों के आंदोलन को अपना समर्थन देने का ऐलान किया और इसके पक्ष में प्रस्ताव भी पारित किया.
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा के नेतृत्व में प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में गुरुवार शाम कांग्रेस पार्टी से जुड़े रहे पूर्व और वर्तमान छात्र नेताओं की एक मीटिंग बुलाई गई. इस मीटिंग में सुभाष चोपड़ा सहित दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के 9 पूर्व अध्यक्ष उपस्थित रहे.
'जरूरत पड़ी तो सड़क पर उतर के देंगे समर्थन'
सुभाष चोपड़ा, रागिनी नायक, अलका लांबा, रोहित चौधरी अमृता धवन, नीतू वर्मा और सुनील कुमार सहित सभी इन पूर्व अध्यक्षों ने जेएनयू के छात्रों के आंदोलन को अपना समर्थन देने की बात कही. इन्होंने यह भी कहा कि सुभाष चोपड़ा के नेतृत्व में अगर जरूरत पड़ी, तो सड़क पर उतरकर भी जेएनयू छात्रों के आंदोलन और उनकी मांग का समर्थन करेंगे.
इस मीटिंग के बाद मीडिया से बातचीत में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा ने कहा कि जेएनयू में पढ़ने वाला हर छात्र हमारे बच्चे जैसा है. उन्होंने सवाल उठाया कि वे जो मांग कर रहे हैं, उसमें क्या गलत है.
हम उनकी मांग का समर्थन करते हैं. लाठियां बरसाने से छात्रों का आंदोलन कमजोर नहीं होगा और वे और खुलकर सामने आएंगे.
गौरतलब है कि सुभाष चोपड़ा डूसू के पहले अध्यक्ष रहे हैं. उन्होंने इसका जिक्र भी किया और कहा कि मैं छात्र राजनीति से आता हूं और इसलिए छात्रों का दर्द समझ सकता हूं.