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सेना में शामिल किए जा सकते हैं दो कूबड़ वाले ऊंट, जानें खासियत

पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर गश्त लगाने में सैनिकों की मदद के लिए लद्दाख के प्रसिद्ध दो कूबड़ वाले ऊंट जल्द ही भारतीय सेना में शामिल किए जा सकते हैं. बता दें कि इस समय पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ गया है. तनाव को कम करने को लेकर दोनों पक्षों में कई वार्ताएं हो चुकी हैं, लेकिन अब तक सभी बेनतीजा साबित हुई हैं. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर...

दो कूबड़ वाले ऊं
दो कूबड़ वाले ऊं
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Published : Sep 21, 2020, 7:24 PM IST

लेह : पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच तल्खी जारी है. तनाव को कम करने के लिए छठवें दौर की कमांडर स्तर की वार्ता जारी है. इसी बीच खबर आ रही है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गश्त करने में सैनिक की मदद करने के लिए लद्दाख के प्रसिद्ध दो कुबड़ वाले ऊंटों को भारतीय सेना में जल्द शामिल किया जा सकता है.

लेह में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने दो कूबड़ या बैक्ट्रियन ऊंटों पर शोध किया है. शोध में पाया गया है कि दो कूबड़ वाले ऊंट लद्दाख क्षेत्र में 17,000 फीट की ऊंचाई पर 170 किलोग्राम का भार उठा सकते हैं.

डीआरडीओ कर रहा शोध
इस संबंध में डीआरडीओ के वैज्ञानिक प्रभु प्रसाद सारंगी ने कहा कि हम दो कूबड़ वाले ऊंटों पर शोध कर रहे हैं. वह स्थानीय जानवर हैं. हमने इन ऊंटों की धीरज और भार वहन करने की क्षमता पर शोध किया है. हमने पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में शोध किया है. चीन सीमा के पास 17,000 फीट की ऊंचाई पर पाया गया कि दो कूबड़ वाले ऊंट 170 किलो का भार ले जा सकते हैं और इस भार के साथ वह 12 किलोमीटर तक गश्त कर सकते हैं.

इन स्थानीय दो कूबड़ वाले ऊंटों की तुलना एक कूबड़ वाले ऊंटों से की गई थी, जिन्हें धैर्य के परीक्षण के लिए राजस्थान से लाया गया था. यह ऊंट भोजन और पानी की कमी के कारण तीन दिनों तक जीवित रह सकते हैं.

अब डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ हाई एल्टीट्यूड रिसर्च (DIHAR) इन दो कूबड़ वाले ऊंटों की आबादी बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है.

सारंगी ने कहा कि परीक्षण किया जा चुका है और इन ऊंटों को जल्द ही सेना में शामिल किया जाएगा. इन जानवरों की आबादी कम है, लेकिन समुचित प्रजनन के बाद जब इनकी संख्या बढ़ जाएगी, तब इन्हें सेना में शामिल किया जाएगा.

सेना में खच्चरों का उपयोग
गौरतलब है कि भारतीय सेना पारंपरिक रूप से क्षेत्र के खच्चरों का उपयोग करती थी, जो लगभग 40 किलोग्राम भार ले जाने की क्षमता रखते हैं.

गौरतलब है कि सीमा पर तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच लगातर बैठक हो रही है, लेकिन अभी तक सभी वार्ताएं फेल साबित हुई हैं. भारत और चीन के बीच सीमा पर मई महीने से ही तनाव जारी है.

भारत-चीन के सैनिकों के बीच झड़प
गौरतलब है कि 15-16 जून को भी लद्दाख की गलवान घाटी में एलएसी पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष हुआ था. इसमें भारतीय सेना के एक कर्नल समेत 20 सैनिक शहीद हो गए थे. भारत का दावा था कि घटना में चीन के भी काफी सैनिक मारे गए हैं, हालांकि चीन ने मारे गए सैनिकों के बारे में कभी भी आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं की.

चीन ने की घुसपैठ की कोशिश
बता दें कि इससे पहले चीनी सैनिकों ने 29 और 30 अगस्त को वास्तविक नियंत्रण सीमा पर घुसपैठ करने की कोशिश की. इसको लेकर झड़प होने की भी खबर सामने आई. भारतीय सेना ने इसका करारा जवाब दिया. सेना ने इसकी जानकारी देते हुए कहा था कि उन्हें माकूल जवाब दिया गया. उल्लेखनीय है कि सीमा विवाद को लेकर पिछले कई महीनों से चीन और भारत के बीच संबंध अच्छे नहीं हैं और दोनों देशों के सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख में तनातनी जारी है. बावजूद भारतीय सेना ने शांति, सौहार्द्र और मानवता का परिचय देते हुए बिगड़ते रिश्तों के बाद भी इंसानियत की मिसाल पेश की और चीनी नागरिकों को बचाया था.

पैंगोंग इलाके का क्या है विवाद
लद्दाख में 134 किलोमीटर लंबी पैंगोंग झील हिमालय में करीब 14,000 फीट से ज्यादा ऊंचाई पर स्थित है. इस झील का 45 किलोमीटर का क्षेत्र भारत में पड़ता है, जबकि 90 किलोमीटर चीन के क्षेत्र में आता है. वास्तविक नियंत्रण रेखा इसी झील से गुजरती है, लेकिन चीन यह मानता है कि पूरी झील चीन के अधिकार क्षेत्र में है.

लेह : पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच तल्खी जारी है. तनाव को कम करने के लिए छठवें दौर की कमांडर स्तर की वार्ता जारी है. इसी बीच खबर आ रही है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गश्त करने में सैनिक की मदद करने के लिए लद्दाख के प्रसिद्ध दो कुबड़ वाले ऊंटों को भारतीय सेना में जल्द शामिल किया जा सकता है.

लेह में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने दो कूबड़ या बैक्ट्रियन ऊंटों पर शोध किया है. शोध में पाया गया है कि दो कूबड़ वाले ऊंट लद्दाख क्षेत्र में 17,000 फीट की ऊंचाई पर 170 किलोग्राम का भार उठा सकते हैं.

डीआरडीओ कर रहा शोध
इस संबंध में डीआरडीओ के वैज्ञानिक प्रभु प्रसाद सारंगी ने कहा कि हम दो कूबड़ वाले ऊंटों पर शोध कर रहे हैं. वह स्थानीय जानवर हैं. हमने इन ऊंटों की धीरज और भार वहन करने की क्षमता पर शोध किया है. हमने पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में शोध किया है. चीन सीमा के पास 17,000 फीट की ऊंचाई पर पाया गया कि दो कूबड़ वाले ऊंट 170 किलो का भार ले जा सकते हैं और इस भार के साथ वह 12 किलोमीटर तक गश्त कर सकते हैं.

इन स्थानीय दो कूबड़ वाले ऊंटों की तुलना एक कूबड़ वाले ऊंटों से की गई थी, जिन्हें धैर्य के परीक्षण के लिए राजस्थान से लाया गया था. यह ऊंट भोजन और पानी की कमी के कारण तीन दिनों तक जीवित रह सकते हैं.

अब डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ हाई एल्टीट्यूड रिसर्च (DIHAR) इन दो कूबड़ वाले ऊंटों की आबादी बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है.

सारंगी ने कहा कि परीक्षण किया जा चुका है और इन ऊंटों को जल्द ही सेना में शामिल किया जाएगा. इन जानवरों की आबादी कम है, लेकिन समुचित प्रजनन के बाद जब इनकी संख्या बढ़ जाएगी, तब इन्हें सेना में शामिल किया जाएगा.

सेना में खच्चरों का उपयोग
गौरतलब है कि भारतीय सेना पारंपरिक रूप से क्षेत्र के खच्चरों का उपयोग करती थी, जो लगभग 40 किलोग्राम भार ले जाने की क्षमता रखते हैं.

गौरतलब है कि सीमा पर तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच लगातर बैठक हो रही है, लेकिन अभी तक सभी वार्ताएं फेल साबित हुई हैं. भारत और चीन के बीच सीमा पर मई महीने से ही तनाव जारी है.

भारत-चीन के सैनिकों के बीच झड़प
गौरतलब है कि 15-16 जून को भी लद्दाख की गलवान घाटी में एलएसी पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष हुआ था. इसमें भारतीय सेना के एक कर्नल समेत 20 सैनिक शहीद हो गए थे. भारत का दावा था कि घटना में चीन के भी काफी सैनिक मारे गए हैं, हालांकि चीन ने मारे गए सैनिकों के बारे में कभी भी आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं की.

चीन ने की घुसपैठ की कोशिश
बता दें कि इससे पहले चीनी सैनिकों ने 29 और 30 अगस्त को वास्तविक नियंत्रण सीमा पर घुसपैठ करने की कोशिश की. इसको लेकर झड़प होने की भी खबर सामने आई. भारतीय सेना ने इसका करारा जवाब दिया. सेना ने इसकी जानकारी देते हुए कहा था कि उन्हें माकूल जवाब दिया गया. उल्लेखनीय है कि सीमा विवाद को लेकर पिछले कई महीनों से चीन और भारत के बीच संबंध अच्छे नहीं हैं और दोनों देशों के सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख में तनातनी जारी है. बावजूद भारतीय सेना ने शांति, सौहार्द्र और मानवता का परिचय देते हुए बिगड़ते रिश्तों के बाद भी इंसानियत की मिसाल पेश की और चीनी नागरिकों को बचाया था.

पैंगोंग इलाके का क्या है विवाद
लद्दाख में 134 किलोमीटर लंबी पैंगोंग झील हिमालय में करीब 14,000 फीट से ज्यादा ऊंचाई पर स्थित है. इस झील का 45 किलोमीटर का क्षेत्र भारत में पड़ता है, जबकि 90 किलोमीटर चीन के क्षेत्र में आता है. वास्तविक नियंत्रण रेखा इसी झील से गुजरती है, लेकिन चीन यह मानता है कि पूरी झील चीन के अधिकार क्षेत्र में है.

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