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मूल निवास प्रमाण पत्र सिर्फ नौकरी के लिए आवेदन में जरूरी

प्रधान सचिव (राजस्व) पवन कोतवाल ने कहा कि मूल निवासी प्रमाणपत्र जम्मू-कश्मीर में नौकरी को लेकर आवेदन करने के लिए है. यह जमीन खरीदने का अधिकार नहीं देता है.

मूल निवासी प्रमाणपत्र की जरूरत केवल नौकरी का आवेदन करने के लिए
मूल निवासी प्रमाणपत्र की जरूरत केवल नौकरी का आवेदन करने के लिए
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Published : Sep 1, 2020, 9:37 PM IST

श्रीनगर : जम्मू कश्मीर प्रशासन ने कहा कि नए मूल निवासी प्रमाणपत्र की जरूरत केवल नौकरी का आवेदन करने के लिए होगी और यह जमीन खरीदने का अधिकार नहीं देता है.

प्रशासन ने कहा है कि मूल निवासी प्रमाणपत्र धारकों का नाम केंद्र शासित प्रदेश की मतदाता सूची में शामिल नहीं किया जाएगा. प्रधान सचिव (राजस्व) पवन कोतवाल ने यहां संवाददाताओं से कहा कि मूल निवासी प्रमाणपत्र जम्मू कश्मीर में नौकरी को लेकर आवेदन करने के लिए है. यह जमीन खरीदने का अधिकार नहीं देता है.

संवाददाता सम्मेलन में उनके साथ सरकारी प्रवक्ता रोहित कंसल भी थे. अधिकारियों ने कहा कि मूल निवासी प्रमाणपत्र धारकों का नाम केंद्र शासित प्रदेश की मतदाता सूची में शामिल नहीं किया जाएगा. कंसल ने कहा कि सरकार ने 12.5 लाख से ज्यादा मूल निवासी प्रमाणपत्र जारी किए हैं.

उन्होंने कहा कि 99 प्रतिशत से ज्यादा मूल निवासी प्रमाणपत्र ऐसे लोगों को जारी किए गए हैं, जिनके पास पहले से ही स्थायी निवासी प्रमाण पत्र (पीआरसी) है. कंसल ने कहा कि सरकार ने पीआरसी धारकों के लिए मूल निवासी प्रमाणपत्र जारी करने की समय सीमा भी 15 दिनों से घटाकर महज पांच दिन कर दिया है.

उन्होंने कहा कि मूल निवासी प्रमाणपत्र पाने के लिए पीआरसी धारक होना ही काफी है. आगे किसी तरह का सत्यापन नहीं होगा. यह प्रक्रिया को सुगम करेगी.


यह भी पढ़ें - अनलॉक-4 : क्या खुलेगा और किसकी नहीं होगी इजाजत, यहां जानें सब कुछ

श्रीनगर : जम्मू कश्मीर प्रशासन ने कहा कि नए मूल निवासी प्रमाणपत्र की जरूरत केवल नौकरी का आवेदन करने के लिए होगी और यह जमीन खरीदने का अधिकार नहीं देता है.

प्रशासन ने कहा है कि मूल निवासी प्रमाणपत्र धारकों का नाम केंद्र शासित प्रदेश की मतदाता सूची में शामिल नहीं किया जाएगा. प्रधान सचिव (राजस्व) पवन कोतवाल ने यहां संवाददाताओं से कहा कि मूल निवासी प्रमाणपत्र जम्मू कश्मीर में नौकरी को लेकर आवेदन करने के लिए है. यह जमीन खरीदने का अधिकार नहीं देता है.

संवाददाता सम्मेलन में उनके साथ सरकारी प्रवक्ता रोहित कंसल भी थे. अधिकारियों ने कहा कि मूल निवासी प्रमाणपत्र धारकों का नाम केंद्र शासित प्रदेश की मतदाता सूची में शामिल नहीं किया जाएगा. कंसल ने कहा कि सरकार ने 12.5 लाख से ज्यादा मूल निवासी प्रमाणपत्र जारी किए हैं.

उन्होंने कहा कि 99 प्रतिशत से ज्यादा मूल निवासी प्रमाणपत्र ऐसे लोगों को जारी किए गए हैं, जिनके पास पहले से ही स्थायी निवासी प्रमाण पत्र (पीआरसी) है. कंसल ने कहा कि सरकार ने पीआरसी धारकों के लिए मूल निवासी प्रमाणपत्र जारी करने की समय सीमा भी 15 दिनों से घटाकर महज पांच दिन कर दिया है.

उन्होंने कहा कि मूल निवासी प्रमाणपत्र पाने के लिए पीआरसी धारक होना ही काफी है. आगे किसी तरह का सत्यापन नहीं होगा. यह प्रक्रिया को सुगम करेगी.


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