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डीआरडीओ ने दुर्लभ बूटी विषनाग से बनाई सफेद दाग की अचूक दवा - doctors find out white stains medicine

दुर्लभ बूटी विषनाग से सफेद दाग (ल्यूकोडर्मा) को खत्म करने में बड़ी कामयाबी हासिल हुई है. रक्षा अनुसंधान विकास संस्थान (डीआरडीओ) के वैज्ञानिकों ने एक लंबे अध्ययन के बाद ल्यूकोस्किन दवा तैयार की है . विस्तार से पढ़ें पूरी खबर...

white stain medicine
प्रतीकात्मक फोटो.
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Published : Jun 24, 2020, 4:03 PM IST

नई दिल्ली : रक्षा अनुसंधान विकास संस्थान (डीआरडीओ) के वैज्ञानिकों ने दुर्लभ बूटी विषनाग से सफेद दाग (ल्यूकोडर्मा) को खत्म करने में बड़ी कामयाबी हासिल की है. करीब दस हजार फुट की ऊंचाई पर पाई जाने वाली विषनाग और अन्य बूटियों के मिश्रण से तैयार डीआरडीओ की दवा ल्यूकोस्किन के अब सफल परिणाम सामने आ रहे हैं.

जानकारी के अनुसार देश में करीब चार से पांच फीसदी लोगों में सफेद दाग की परेशानी देखने को मिलती है जबकि विश्व स्तर पर यह आंकड़ा करीब एक से दो फीसदी है. अब डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने एक लंबे अध्ययन के बाद ल्यूकोस्किन दवा तैयार की है.

विषनाग औषधि सूरज की किरणों की मदद से सफेद दाग को बढ़ने से रोकने में प्रभावी है. साथ ही इसे पूरी तरह से खत्म भी कर रही है. विषनाग के अलावा कौंच, बाकुची, मंडूकपर्णी, एलोवेरा, तुलसी इत्यादि जड़ी बूटियां भी मिलकर सफेद दाग को रोकती हैं.

विश्व विटिलिगो दिवस की पूर्व संध्या पर भारतीय वैज्ञानिकों की इस सफलता के बारे में एमिल फॉर्मास्युटिकल के कार्यकारी निदेशक संचित शर्मा ने कहा कि विषनाग काफी दुर्लभ बूटी है.

संचित शर्मा ने बताया कि इन जड़ी-बूटियों से तैयार ल्यूकोस्किन दवा को प्रभावित हिस्से में लगाने के बाद सुबह और शाम 10-10 मिनट धूप की किरणों में बैठने की सलाह दी जाती है क्योंकि सुबह की धूप से त्वचा को नुकसान भी कम होता है. साथ ही शरीर को विटामिन भी मिलते हैं.

उन्होंने बताया कि अब तक डेढ़ लाख मरीज पंजीकृत किए जा चुके हैं, जिनमें से 70 से 75 फीसदी तक मरीजों में इसके सफल परिणाम मिले हैं.

जानकारी के अनुसार देश में करीब 4 से 5 फीसदी लोगों में सफेद दाग की परेशानी देखने को मिलती है जबकि विश्व स्तर पर यह आंकड़ा करीब एक से दो फीसदी है. राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, बिहार और उत्तर प्रदेश में इस बीमारी के ज्यादा मरीज हैं. दक्षिणी राज्यों में भी मरीजों की संख्या ज्यादा बताई जाती है.

यह भी पढ़ें- जागते रहो : आइडेंटिटी क्लोनिंग के जरिए बदमाश दे रहे अपराधों को अंजाम

चूंकि सफेद दाग को लेकर देश में सामाजिक भ्रांतियां और मानसिक वेदना भी बहुत है. ऐसे में भारतीय वैज्ञानिकों का अध्ययन लाखों लोगों के लिए संजीवनी के रूप में सामने आया है. इसका इस्तेमाल आसान बनाने के लिए पीने और लगाने (ओरल व क्रीम) के दो स्वरूप दिए गए हैं.

दिल्ली की आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. नितिका कोहली बताती हैं कि सफेद दाग की परेशानी से ग्रस्त मरीज, खासतौर पर महिलाएं मानिसक रूप से भी पीड़ित रहती हैं.

समाज और उनके घर-परिवार में लोग इस परेशानी को छुआछूत से जोड़कर देखते हैं जोकि एकदम गलत है. ल्यूकोस्किन के बेहतर परिणाम लगातार देखने को मिल रहे हैं. इसकी ओरल (पीने की खुराक) का असर इम्युनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) को बढ़ाने में भी दिखा है.

नई दिल्ली : रक्षा अनुसंधान विकास संस्थान (डीआरडीओ) के वैज्ञानिकों ने दुर्लभ बूटी विषनाग से सफेद दाग (ल्यूकोडर्मा) को खत्म करने में बड़ी कामयाबी हासिल की है. करीब दस हजार फुट की ऊंचाई पर पाई जाने वाली विषनाग और अन्य बूटियों के मिश्रण से तैयार डीआरडीओ की दवा ल्यूकोस्किन के अब सफल परिणाम सामने आ रहे हैं.

जानकारी के अनुसार देश में करीब चार से पांच फीसदी लोगों में सफेद दाग की परेशानी देखने को मिलती है जबकि विश्व स्तर पर यह आंकड़ा करीब एक से दो फीसदी है. अब डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने एक लंबे अध्ययन के बाद ल्यूकोस्किन दवा तैयार की है.

विषनाग औषधि सूरज की किरणों की मदद से सफेद दाग को बढ़ने से रोकने में प्रभावी है. साथ ही इसे पूरी तरह से खत्म भी कर रही है. विषनाग के अलावा कौंच, बाकुची, मंडूकपर्णी, एलोवेरा, तुलसी इत्यादि जड़ी बूटियां भी मिलकर सफेद दाग को रोकती हैं.

विश्व विटिलिगो दिवस की पूर्व संध्या पर भारतीय वैज्ञानिकों की इस सफलता के बारे में एमिल फॉर्मास्युटिकल के कार्यकारी निदेशक संचित शर्मा ने कहा कि विषनाग काफी दुर्लभ बूटी है.

संचित शर्मा ने बताया कि इन जड़ी-बूटियों से तैयार ल्यूकोस्किन दवा को प्रभावित हिस्से में लगाने के बाद सुबह और शाम 10-10 मिनट धूप की किरणों में बैठने की सलाह दी जाती है क्योंकि सुबह की धूप से त्वचा को नुकसान भी कम होता है. साथ ही शरीर को विटामिन भी मिलते हैं.

उन्होंने बताया कि अब तक डेढ़ लाख मरीज पंजीकृत किए जा चुके हैं, जिनमें से 70 से 75 फीसदी तक मरीजों में इसके सफल परिणाम मिले हैं.

जानकारी के अनुसार देश में करीब 4 से 5 फीसदी लोगों में सफेद दाग की परेशानी देखने को मिलती है जबकि विश्व स्तर पर यह आंकड़ा करीब एक से दो फीसदी है. राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, बिहार और उत्तर प्रदेश में इस बीमारी के ज्यादा मरीज हैं. दक्षिणी राज्यों में भी मरीजों की संख्या ज्यादा बताई जाती है.

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चूंकि सफेद दाग को लेकर देश में सामाजिक भ्रांतियां और मानसिक वेदना भी बहुत है. ऐसे में भारतीय वैज्ञानिकों का अध्ययन लाखों लोगों के लिए संजीवनी के रूप में सामने आया है. इसका इस्तेमाल आसान बनाने के लिए पीने और लगाने (ओरल व क्रीम) के दो स्वरूप दिए गए हैं.

दिल्ली की आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. नितिका कोहली बताती हैं कि सफेद दाग की परेशानी से ग्रस्त मरीज, खासतौर पर महिलाएं मानिसक रूप से भी पीड़ित रहती हैं.

समाज और उनके घर-परिवार में लोग इस परेशानी को छुआछूत से जोड़कर देखते हैं जोकि एकदम गलत है. ल्यूकोस्किन के बेहतर परिणाम लगातार देखने को मिल रहे हैं. इसकी ओरल (पीने की खुराक) का असर इम्युनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) को बढ़ाने में भी दिखा है.

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