देहरादूनः दिल्ली में दरिंदंगी की शिकार हुई निर्भया का इलाज करने वाले गैस्ट्रो सर्जन डॉ. विपुल कंडवाल ने पटियाला हाउस कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. वहीं, निर्भया के इलाज के दौरान उसकी हालत को यादकर उनकी आंखों में दर्द साफ दिखाई दिया. उन्होंने कहा कि निर्भया को इलाज के लिए सफदरगंज अस्पताल लाया गया था. जहां पर उसकी हालत देखकर उनका कलेजा कांप उठा था.
गैस्ट्रो सर्जन डॉक्टर विपुल कंडवाल ने बताया कि उस दौरान वे दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में तैनात थे. घटना 16 दिसंबर 2012 की रात की थी. निर्भया को अस्पताल के इमरजेंसी में लाया गया था और उसके सारे कपड़े फटे हुए थे. उस दौरान पूरी सर्जिकल इमरजेंसी और आईसीयू की टीम उसे बचाने में जुट गई थी.
उन्होंने बताया कि जिस तरह से डॉक्टरों ने निर्भया का इलाज के लिए संभाला था. उसे अपनी आंखों से देखने के बाद भी बयां नहीं किया जा सकता है. साथ ही कहा कि निर्भया की हालत देखकर उनका कलेजा कांप उठा था. ऐसा वीभत्स काम समाज में देखने को नहीं मिलता है. उन्होंने कहा कि पटियाला हाउस कोर्ट ने मामले में अपना फैसला सुनाते हुए फांसी की सजा सुनाई है. अब जाकर निर्भया की आत्मा को शांति मिलेगी.
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गौर हो कि निर्भया गैंगरेप मामले में दिल्ली की पटियाला कोर्ट ने चारों दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी किया है. 22 जनवरी को फांसी दी जाएगी. सुबह सात बजे फांसी पर लटकाया जाएगा. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने तिहाड़ जेल प्रशासन से कहा था कि वह दोषियों को नोटिस जारी करने को कहा था. सूत्रों के मुताबिक तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने एक जल्लाद की सेवा लेने के लिए यूपी जेल प्रशासन को पत्र लिखा है.
तिहाड़ जेल प्रशासन ने यूपी जेल अधिकारियों को फांसी के समय के बारे में भी सूचित किया है. तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने कहा है कि हम मेरठ के एक जल्लाद की सेवा लेंगे. जेल में एक साथ सभी 4 दोषियों को फांसी देने के लिए हमारे पास उचित व्यवस्था है. दोषियों के वकीलों ने कहा कि वे इस मामले में अब भी न्यायिक विकल्प का उपयोग करेंगे. मामले में मुकेश, विनय शर्मा, अक्षय सिंह और पवन गुप्ता को फांसी दी जानी है.
क्या था मामला
16 दिसंबर 2012 की रात दिल्ली में 23 साल की एक मेडिकल छात्रा के साथ छह युवकों ने चलती बस में गैंगरेप किया था. इसके बाद इन दरिंदों ने कड़कड़ाती ठंड में पीड़िता को बस के बाहर फेंक दिया था. तब उसके साथ लड़की का मित्र भी था. पीड़िता को सबसे पहले सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया. उसकी हालत नाजुक हो गई थी. बाद में इलाज के लिए पीड़िता को सिंगापुर भेजा गया, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका. मामले में एक आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल के अंदर फांसी लगा ली थी. एक अन्य आरोपी नाबालिग है. उसे सुधार गृह में भेज दिया गया. 2015 में उसकी रिहाई हो गई.