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डीएमके : नवाचार की विरासत, संस्थापक के मार्ग पर स्टालिन - डीएमके

हिंदी ओझिगा, तमिल वाजगा का नारा जुलाई के अंत से ही नहीं, बल्कि 1965 की शुरुआत से ही प्रचलित है, जब केंद्र सरकार ने हिंदी को आधिकारिक भाषा बनाने का फैसला किया. इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए, जिसने द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) को सत्ता में पहुंचा दिया और केंद्र सरकार की जड़ें हिला दीं. अब डीएमके नेता एम के स्टालिन लगातार 11,000 किलोमीटर की यात्रा करके तमिलनाडु के लोगों के साथ बातचीत करके पार्टी के संस्थापक के मार्ग का अनुसरण कर रहे हैं. कोरोना महामारी के इस दौर में स्टालिन के नेतृत्व में डीएमके ने लोगों की मदद कर रही है.

एम के स्टालिन
एम के स्टालिन
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Published : Oct 18, 2020, 10:00 AM IST

Updated : Oct 18, 2020, 11:21 AM IST

हैदराबाद : हिंदी ओझिगा, तमिल वाजगा का नारा जुलाई के अंत से ही नहीं, बल्कि 1965 की शुरुआत से ही प्रचलित है, जब केंद्र सरकार ने हिंदी को आधिकारिक भाषा बनाने का फैसला किया. विरोध प्रदर्शन इतने शक्तिशाली थे कि इसने द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) को सत्ता में पहुंचा दिया और केंद्र सरकार की जड़ें हिला दीं. डीएमके के पास अपने संदेशों को फैलाने के लिए अभिनव अभियानों का इतिहास रहा है जो लोगों से अपील करता है कि वे सत्ता में आने वालों को जवाबदेह बनाएं. इसके अलावा, इसका संघर्ष का एक लंबा इतिहास है. वह कभी भी हमारे दिल की विचारधाराओं को दबाने या लोगों पर अत्याचार करने वालों के खिलाफ संघर्ष करने से झिझकते नहीं हैं. भले ही वह केंद्र सरकार ही क्यों न हो. 1945 में हमारी पार्टी के विरोध का एक गर्व लेने वाला उदाहरण 'करुणाचट्टई पदई' था, जिसे लोगों को एकजुट करने के लिए शुरू किया गया था, ताकि वे किसी भी पार्टी से संबद्धता की पहचान किए बिना अपनी समस्याओं के खिलाफ आवाज उठा सकें.

डीएमके को इस बात का भी श्रेय जाता है कि वह शायद एकमात्र पार्टी है जिसने पुरैची, सांगानाथम, कुमारन और मुरासोली जैसी सैकड़ों साप्ताहिक पत्रिकाएं और दैनिक समाचार पत्र प्रकाशित किए हैं. यह न केवल विचारधारा के प्रचार के लिए एक माध्यम के रूप में इस्तेमाल किया गया था, बल्कि नागरिकों को शिक्षित करने और उन्हें राजनीतिक रूप से जागरूक बनाने के लिए भी किया गया था.

अब डीएमके नेता एम के स्टालिन लगातार 11,000 किलोमीटर की यात्रा करके तमिलनाडु के लोगों के साथ बातचीत करके पार्टी के संस्थापक के मार्ग का अनुसरण कर रहे हैं. यद्यपि महामारी ने देश को एक तरीके से अपंग कर दिया है, जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी, स्टालिन के नेतृत्व में डीएमके ने लोगों के लिए काम करना जारी रखा. डीएमके ने लॉकडाउन का उपयोग डिजिटल स्पेस में उद्यम करने के लिए किया क्योंकि यह सिटीजन को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने की गुंजाइश और क्षमता प्रदान करता है. हालांकि, दुर्भाग्य से तमिलनाडु में इसका प्रभावी उपयोग नहीं हो रहा है.

पार्टी की पहल, ऑनड्रिनईवोम वा के तहत 239 एनजीओ और 36,100 नामांकित स्वयंसेवकों की मदद से घरों में 76 लाख आवश्यक किट, 26 लाख खाद्य पैकेट वितरित करके लोगों की सेवा करने का मार्ग प्रशस्त किया. एक जिम्मेदार विपक्ष की भूमिका को निभाते हुए, हमने सात लाख से अधिक लोगों की शिकायतों को भी एकत्र किया और सरकार के सामने त्वरित कार्रवाई के लिए प्रस्तुत किया. किए गए सभी कार्यों को जोड़ते हुए, पार्टी ने एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया, जिसके माध्यम से लोग अपनी दैनिक जरूरतों की आवश्यक वस्तुओं के लिए मदद मांगते हैं.

वे जो वस्तु की मांग करते हैं उन्हें कैडर और नेताओं द्वारा उनके दरवाजे पर पहुंचाई जा रही है. जहां लोगों को यह नहीं पता कि अपनी समस्याओं के निवारण के लिए किसकी चौखट पर दस्तक देना है, हमारे नेता स्टालिन वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से लोगों की समस्याएं और शिकायतें धैर्य से सुनते हैं और उसी समय उनका समाधान करते हैं, जो आदर्श रूप से मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी है. इस बड़े प्रयास के माध्यम से हम तमिलनाडु के लोगों की सेवा करने के अपने लक्ष्य तक पहुंच पाएं हैं. 4 करोड़ से अधिक लोगों की मदद करने के बाद, हमें यह खुशी है कि हमारी पहल से प्रेरणा पा कर राज्य सरकार ने महामारी के प्रकोप से जूझने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के साथ जिला स्तरीय बैठकें आयोजित करनी शुरू कर दी हैं.

यह किसी से छिपी बात नहीं है कि वर्तमान संकट का फायदा उठाकर केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति और पर्यावरण असर के आकलन जैसे कानून लागू कर दिए हैं. हालांकि, लोग जमीन पर उनके ऊपर हो रहे अत्याचार की खिलाफत करने नहीं उतर पाए हैं. डीएमके प्रताड़ित और दलित जनता की आवाज को बुलंद करने का अपना कर्तव्य पहले की तरह निभा रही है.

जनता के अधिकारों की रक्षा करने के लिए एक मजबूत सुरक्षा कवच बन कर डीएमके केंद्र की अन्यायी नीतियों की खिलाफत करने में लोगों के साथ है. इस संकट की घड़ी में मास्क जो लोगों को बचाने के लिए उपयोगी है उसे ही केंद्र सरकार का विरोध करने के लिए संदेश वाहक हथियार के रूप मे हम इस्तेमाल कर रहे हैं.

हाल ही में, पार्टी ने तीन ऐतिहासिक घटनाओं का उत्सव डीएमके की स्थापना, पेरियार और अन्ना की जन्मशती मिलन समारोह के हिस्से के रूप में एक सदस्यता अभियान एलोरम नमुदान भी आयोजित किया. पार्टी ने, आम लोगों द्वारा आम लोगों के लिए एक आंदोलन के रूप में शुरू किया, वर्षों से, बदलते समय के अनुसार खुद को अनुकूलित और विकसित किया है और ऑनलाइन सदस्यता अभियान, एलोरम नम्मुडन इसका एक प्रमाण है. इस पहल के माध्यम से, पार्टी छोटी से छोटी बस्तियों में भी नागरिकों तक पहुंचने में अविश्वसनीय रूप से सफल रही है और केवल 30 दिनों में 13,77,987 से अधिक लोगों को सदस्य बनाया है. सदस्यों में से 55% पंजीकरण 18 से 35 आयु वर्ग के युवाओं का है.

पार्टी, जो तमिल अधिकारों, संस्कृति और गौरव के सबसे सुसंगत संरक्षकों में से एक रही है, का लक्ष्य तमिलनाडु को एक उज्जवल भविष्य की तलाश में लोगों को एक साथ लाना है. यह उन लोगों के हाथों में सत्ता लाने में सफल रहा है जो पार्टी सदस्य बनना चाहते हैं और तमिलनाडु के भविष्य को विकास पथ पर ले जाना चाहते हैं.

डीएमके इस बात से अवगत है कि उसका कितना प्रभाव है और इसका उपयोग न केवल विरोध प्रदर्शनों के लिए एक उपकरण के रूप में किया गया है, बल्कि एक ऐसी क्रांति लाने के लिए किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप कानून का पालन होता है और महामारी को समाहित करना सुनिश्चित करता है. हालांकि, समय बदल गया है, लेकिन एक बात नहीं बदली वह यह कि डीएमके लोगों के उत्पीड़न के खिलाफ लड़ने वाली पार्टी है. इसलिए यह स्पष्ट है कि बदलते समय के साथ, डीएमके भी लोगों तक पहुंचने के आधुनिक तरीकों के लिए खुद को ढाल रही है.

अब्राहम लिंकन के शब्दों में पार्टी लोगों की है, लोगों द्वारा है और लोगों के लिए है. आज, विपक्ष में होने के बावजूद, हमारी पार्टी सरकार है जो लोगों के दिमाग पर राज करती है. अगले 7 महीनों में, एक जिम्मेदार सरकार के रूप में हमारी पार्टी लोगों को समृद्धि और वृद्धि के मार्ग पर ले जाएगी.

लेखक- टी के एस एलंगोवन, राज्यसभा सांसद और डीएमके के संगठन सचिव

हैदराबाद : हिंदी ओझिगा, तमिल वाजगा का नारा जुलाई के अंत से ही नहीं, बल्कि 1965 की शुरुआत से ही प्रचलित है, जब केंद्र सरकार ने हिंदी को आधिकारिक भाषा बनाने का फैसला किया. विरोध प्रदर्शन इतने शक्तिशाली थे कि इसने द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) को सत्ता में पहुंचा दिया और केंद्र सरकार की जड़ें हिला दीं. डीएमके के पास अपने संदेशों को फैलाने के लिए अभिनव अभियानों का इतिहास रहा है जो लोगों से अपील करता है कि वे सत्ता में आने वालों को जवाबदेह बनाएं. इसके अलावा, इसका संघर्ष का एक लंबा इतिहास है. वह कभी भी हमारे दिल की विचारधाराओं को दबाने या लोगों पर अत्याचार करने वालों के खिलाफ संघर्ष करने से झिझकते नहीं हैं. भले ही वह केंद्र सरकार ही क्यों न हो. 1945 में हमारी पार्टी के विरोध का एक गर्व लेने वाला उदाहरण 'करुणाचट्टई पदई' था, जिसे लोगों को एकजुट करने के लिए शुरू किया गया था, ताकि वे किसी भी पार्टी से संबद्धता की पहचान किए बिना अपनी समस्याओं के खिलाफ आवाज उठा सकें.

डीएमके को इस बात का भी श्रेय जाता है कि वह शायद एकमात्र पार्टी है जिसने पुरैची, सांगानाथम, कुमारन और मुरासोली जैसी सैकड़ों साप्ताहिक पत्रिकाएं और दैनिक समाचार पत्र प्रकाशित किए हैं. यह न केवल विचारधारा के प्रचार के लिए एक माध्यम के रूप में इस्तेमाल किया गया था, बल्कि नागरिकों को शिक्षित करने और उन्हें राजनीतिक रूप से जागरूक बनाने के लिए भी किया गया था.

अब डीएमके नेता एम के स्टालिन लगातार 11,000 किलोमीटर की यात्रा करके तमिलनाडु के लोगों के साथ बातचीत करके पार्टी के संस्थापक के मार्ग का अनुसरण कर रहे हैं. यद्यपि महामारी ने देश को एक तरीके से अपंग कर दिया है, जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी, स्टालिन के नेतृत्व में डीएमके ने लोगों के लिए काम करना जारी रखा. डीएमके ने लॉकडाउन का उपयोग डिजिटल स्पेस में उद्यम करने के लिए किया क्योंकि यह सिटीजन को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने की गुंजाइश और क्षमता प्रदान करता है. हालांकि, दुर्भाग्य से तमिलनाडु में इसका प्रभावी उपयोग नहीं हो रहा है.

पार्टी की पहल, ऑनड्रिनईवोम वा के तहत 239 एनजीओ और 36,100 नामांकित स्वयंसेवकों की मदद से घरों में 76 लाख आवश्यक किट, 26 लाख खाद्य पैकेट वितरित करके लोगों की सेवा करने का मार्ग प्रशस्त किया. एक जिम्मेदार विपक्ष की भूमिका को निभाते हुए, हमने सात लाख से अधिक लोगों की शिकायतों को भी एकत्र किया और सरकार के सामने त्वरित कार्रवाई के लिए प्रस्तुत किया. किए गए सभी कार्यों को जोड़ते हुए, पार्टी ने एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया, जिसके माध्यम से लोग अपनी दैनिक जरूरतों की आवश्यक वस्तुओं के लिए मदद मांगते हैं.

वे जो वस्तु की मांग करते हैं उन्हें कैडर और नेताओं द्वारा उनके दरवाजे पर पहुंचाई जा रही है. जहां लोगों को यह नहीं पता कि अपनी समस्याओं के निवारण के लिए किसकी चौखट पर दस्तक देना है, हमारे नेता स्टालिन वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से लोगों की समस्याएं और शिकायतें धैर्य से सुनते हैं और उसी समय उनका समाधान करते हैं, जो आदर्श रूप से मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी है. इस बड़े प्रयास के माध्यम से हम तमिलनाडु के लोगों की सेवा करने के अपने लक्ष्य तक पहुंच पाएं हैं. 4 करोड़ से अधिक लोगों की मदद करने के बाद, हमें यह खुशी है कि हमारी पहल से प्रेरणा पा कर राज्य सरकार ने महामारी के प्रकोप से जूझने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के साथ जिला स्तरीय बैठकें आयोजित करनी शुरू कर दी हैं.

यह किसी से छिपी बात नहीं है कि वर्तमान संकट का फायदा उठाकर केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति और पर्यावरण असर के आकलन जैसे कानून लागू कर दिए हैं. हालांकि, लोग जमीन पर उनके ऊपर हो रहे अत्याचार की खिलाफत करने नहीं उतर पाए हैं. डीएमके प्रताड़ित और दलित जनता की आवाज को बुलंद करने का अपना कर्तव्य पहले की तरह निभा रही है.

जनता के अधिकारों की रक्षा करने के लिए एक मजबूत सुरक्षा कवच बन कर डीएमके केंद्र की अन्यायी नीतियों की खिलाफत करने में लोगों के साथ है. इस संकट की घड़ी में मास्क जो लोगों को बचाने के लिए उपयोगी है उसे ही केंद्र सरकार का विरोध करने के लिए संदेश वाहक हथियार के रूप मे हम इस्तेमाल कर रहे हैं.

हाल ही में, पार्टी ने तीन ऐतिहासिक घटनाओं का उत्सव डीएमके की स्थापना, पेरियार और अन्ना की जन्मशती मिलन समारोह के हिस्से के रूप में एक सदस्यता अभियान एलोरम नमुदान भी आयोजित किया. पार्टी ने, आम लोगों द्वारा आम लोगों के लिए एक आंदोलन के रूप में शुरू किया, वर्षों से, बदलते समय के अनुसार खुद को अनुकूलित और विकसित किया है और ऑनलाइन सदस्यता अभियान, एलोरम नम्मुडन इसका एक प्रमाण है. इस पहल के माध्यम से, पार्टी छोटी से छोटी बस्तियों में भी नागरिकों तक पहुंचने में अविश्वसनीय रूप से सफल रही है और केवल 30 दिनों में 13,77,987 से अधिक लोगों को सदस्य बनाया है. सदस्यों में से 55% पंजीकरण 18 से 35 आयु वर्ग के युवाओं का है.

पार्टी, जो तमिल अधिकारों, संस्कृति और गौरव के सबसे सुसंगत संरक्षकों में से एक रही है, का लक्ष्य तमिलनाडु को एक उज्जवल भविष्य की तलाश में लोगों को एक साथ लाना है. यह उन लोगों के हाथों में सत्ता लाने में सफल रहा है जो पार्टी सदस्य बनना चाहते हैं और तमिलनाडु के भविष्य को विकास पथ पर ले जाना चाहते हैं.

डीएमके इस बात से अवगत है कि उसका कितना प्रभाव है और इसका उपयोग न केवल विरोध प्रदर्शनों के लिए एक उपकरण के रूप में किया गया है, बल्कि एक ऐसी क्रांति लाने के लिए किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप कानून का पालन होता है और महामारी को समाहित करना सुनिश्चित करता है. हालांकि, समय बदल गया है, लेकिन एक बात नहीं बदली वह यह कि डीएमके लोगों के उत्पीड़न के खिलाफ लड़ने वाली पार्टी है. इसलिए यह स्पष्ट है कि बदलते समय के साथ, डीएमके भी लोगों तक पहुंचने के आधुनिक तरीकों के लिए खुद को ढाल रही है.

अब्राहम लिंकन के शब्दों में पार्टी लोगों की है, लोगों द्वारा है और लोगों के लिए है. आज, विपक्ष में होने के बावजूद, हमारी पार्टी सरकार है जो लोगों के दिमाग पर राज करती है. अगले 7 महीनों में, एक जिम्मेदार सरकार के रूप में हमारी पार्टी लोगों को समृद्धि और वृद्धि के मार्ग पर ले जाएगी.

लेखक- टी के एस एलंगोवन, राज्यसभा सांसद और डीएमके के संगठन सचिव

Last Updated : Oct 18, 2020, 11:21 AM IST
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