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दिव्यांग होने के बावजूद ये शिक्षक बच्चों को दे रहा है शिक्षा, खुद करते हैं अपना हर काम - हिन्दी न्यूज

मध्य प्रदेश के डिंडोरी जिले के सहजपुरी गांव के प्राइमरी स्कूल में पढ़ाने वाले दिव्यांग शिक्षक भगवानदीन हौसले की एक अनोखी मिसाल है. दोनों हाथ और एक पैर न होने के बाद भी वो बच्चों को न सिर्फ पढ़ाते हैं बल्कि अपने सारे काम भी खुद से ही करते हैं. देखें हमारी खास रिपोर्ट...

ईटीवी भारत से बात करते भगवानदीन
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Published : Jul 18, 2019, 9:53 PM IST

भोपाल: इंसान के अंदर कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तो उसे बुलंदियों को छूने में शारीरिक कमजोरी नहीं रोक सकती. इंसान हर बाधा को पार कर कामयाबी की इबारत लिख ही देता है. ऐसा ही कुछ मध्य प्रदेश के डिंडोरी जिले में सामने आया है, जहां सहजपुरी में पदस्थ अतिथि शिक्षक भगवानदीन ने कुछ ऐसा कर दिखाया है, जो एक मिसाल है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

बता दें, भगवानदीन के न तो दोनों हाथ सलामत हैं और न ही पैर यानी वो दोनों हाथ और एक पैर से दिव्यांग हैं. इसके बावजूद लगन और हौसले के दम पर भगवानदीन न सिर्फ अपने घर के काम कर रहे हैं बल्कि नौनिहालों को बेहतर तालीम भी दे रहे हैं. पिछले चार सालों से वो डिंडोरी जिले में शिक्षा की अलख जगा रहे हैं.

भगवानदीन अपनी लगन और ईमानदारी से काम करते हुए बच्चों का भविष्य सवार रहे हैं. कलाई ना होने के बावजूद भगवानदीन बच्चों को ब्लैकबोर्ड में लिख कर तालीम देते हैं. भगवानदीन को इस तरह से पढ़ाते देखकर हर कोई उनका मुरीद हो जाता है.

पढ़ें- यात्रियों का तनाव दूर करने के लिए ट्रेन में खास तरह की 'सिंगर गैंग'

बच्चों की अटेंडेंस रजिस्टर में उपस्थिति लेने की बात हो या फिर ब्लैकबोर्ड में लिखकर पढ़ाने की... दोनों ही काम भगवानदीन अपने हाथों से बड़ी आसानी से करते हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत में भगवानदीन ने बताया कि दोनों हाथ और एक पैर से दिव्यांग होने के बावजूद उन्हें कभी बच्चों को पढ़ाने में दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ा. भगवानदीन ने सरकार से मांग की है कि उन्हें स्थायी टीचर बना दिया जाए, जिससे वो अपने परिवार का गुजारा कर सकें.

भगवानदीन केवल बच्चों को अच्छी तालीम देने का काम ही नहीं कर रहे हैं बल्कि समाज में जागृति फैलाने का भी प्रयास बखूबी कर रहे हैं. भगवानदीन उन लोगों के लिए मिसाल हैं, जो बाकी बाधाओं को पीछे छोड़ हौसले और जुनून के सहारे आगे बढ़ना चाहते हैं.

भोपाल: इंसान के अंदर कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तो उसे बुलंदियों को छूने में शारीरिक कमजोरी नहीं रोक सकती. इंसान हर बाधा को पार कर कामयाबी की इबारत लिख ही देता है. ऐसा ही कुछ मध्य प्रदेश के डिंडोरी जिले में सामने आया है, जहां सहजपुरी में पदस्थ अतिथि शिक्षक भगवानदीन ने कुछ ऐसा कर दिखाया है, जो एक मिसाल है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

बता दें, भगवानदीन के न तो दोनों हाथ सलामत हैं और न ही पैर यानी वो दोनों हाथ और एक पैर से दिव्यांग हैं. इसके बावजूद लगन और हौसले के दम पर भगवानदीन न सिर्फ अपने घर के काम कर रहे हैं बल्कि नौनिहालों को बेहतर तालीम भी दे रहे हैं. पिछले चार सालों से वो डिंडोरी जिले में शिक्षा की अलख जगा रहे हैं.

भगवानदीन अपनी लगन और ईमानदारी से काम करते हुए बच्चों का भविष्य सवार रहे हैं. कलाई ना होने के बावजूद भगवानदीन बच्चों को ब्लैकबोर्ड में लिख कर तालीम देते हैं. भगवानदीन को इस तरह से पढ़ाते देखकर हर कोई उनका मुरीद हो जाता है.

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बच्चों की अटेंडेंस रजिस्टर में उपस्थिति लेने की बात हो या फिर ब्लैकबोर्ड में लिखकर पढ़ाने की... दोनों ही काम भगवानदीन अपने हाथों से बड़ी आसानी से करते हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत में भगवानदीन ने बताया कि दोनों हाथ और एक पैर से दिव्यांग होने के बावजूद उन्हें कभी बच्चों को पढ़ाने में दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ा. भगवानदीन ने सरकार से मांग की है कि उन्हें स्थायी टीचर बना दिया जाए, जिससे वो अपने परिवार का गुजारा कर सकें.

भगवानदीन केवल बच्चों को अच्छी तालीम देने का काम ही नहीं कर रहे हैं बल्कि समाज में जागृति फैलाने का भी प्रयास बखूबी कर रहे हैं. भगवानदीन उन लोगों के लिए मिसाल हैं, जो बाकी बाधाओं को पीछे छोड़ हौसले और जुनून के सहारे आगे बढ़ना चाहते हैं.

Intro:एंकर _ यूं तो आपने अब तक कई शिक्षकों को देखा होगा जिन्हें प्रदेश सरकार सहित भारत सरकार ने उनके अच्छे कामों के लिए पुरस्कृत किया है । लेकिन हम आपको एक ऐसे शिक्षक से मिलवाने जा रहे हैं जिसने दिव्यांगता को मात देते हुए अपने गांव में शिक्षा की अलख जगाने का काम बीते 4 सालों से करते आ रहे है । इनसे मिलिए यह है डिंडौरी जिले के सहजपुरी गांव के भगवानदीन जो पेशे से एक अतिथि शिक्षक हैं।जिनका मूल काम बच्चों को बेहतर शिक्षा और ज्ञान देना है।गाँव के बच्चें भी बेसबरी से शिक्षक भगवानदीन के स्कूल आने का इंतजार करते है।


Body:वि ओ 01 _ भगवानदीन दोनों हाथ एवं एक पैर से 80% दिव्यांग हैं । कलाई ना होने के बावजूद भगवानदीन बच्चों को तालीम देने ऐसे लिखते हैं मानो टाइपिंग कर रहे हो। उनकी सधी हुई लेखनी से क्लास के बच्चों को समझने में आसानी होती है। बात अगर बच्चों की उपस्तिथित रजिस्टर में उपस्थिति लेने की हो या फिर ब्लैक बोर्ड में लिखवा कर पढ़ाने की दोनों ही काम भगवानदीन बड़े आसानी से अपने हाथों से करते हैं । यही नहीं किताबी ज्ञान के साथ-साथ भगवानदीन स्कूल के बच्चों को जनरल नॉलेज की जानकारी भी देते हैं ।भगवानदीन की सरकार से मांग है कि उन्हें सरकारी नौकरी बतौर शिक्षक दें ताकि उन्हें अपने परिवार को पालने और गाँव के बच्चों को शिक्षा देने में आसानी हो । भगवानदीन जिस प्रायमरी स्कूल में अतिथि शिक्षक हैं उसमें तीन कमरे हैं । एक को छोड़ कर दो कमरों में पानी भरा रहता है जिसके चलते भगवानदीन एक ही कमरे में पाचो क्लास के बच्चों को पढ़ा रहे है । भगवान ने जिला प्रशासन से मांग की है जल्द कमरों की मरम्मत करवाये ताकि बच्चो को व्यवस्थित बैठालकर पढ़ाया जा सके।

ईटीवी भारत से खास बातचीत _ ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान अतिथि शिक्षक भगवानदीन ने कहा कि वे बीते 4 वर्षों से गांव के प्राइमरी स्कूल मैं बच्चों को पढ़ा रहे हैं दोनों हाथों एवं एक पैर से दिव्यांग होने के बावजूद उन्हें कभी बच्चों को पढ़ाने में दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ा वे बचपन से ही दिव्यांग हैं भगवानदीन का कहना है कि सरकार उन्हें सरकारी नौकरी दे जिससे वे अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें एवं गांव के बच्चों को अच्छी पढ़ाई करवा सकें वहीं भगवानदीन का यह भी कहना है कि वे अपने दोनों कलाइयों के ना होने के बावजूद घर के काम सहित अपने व्यक्तिगत काम और रोजगार संबंधित काम भी कर लेते हैं भगवानदीन ने स्कूल के कमरों की स्थिति को बयां करते हुए कहा है कि उनके स्कूल में कुछ कमरे से हैं जिनकी सीलिंग से बारिश के समय मेरे सा होता है और कमरा जलमग्न हो जाता है जिस में सुधार की आवश्यकता है

वही इस पूरे मामले में प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी राघवेंद्र मिश्रा का कहना है कि मीडिया द्वारा मामला संज्ञान में लाया गया है जिस पर विभाग से अमले को भेज कर प्रायमरी स्कूल के कमरों का सुधार कार्य करवाया जाएगा। वही जिला शिक्षा अधिकारी ने भगवानदीन की प्रशंसा करते हुए कहा कि भगवान शिक्षा विभाग के लिए एक मिशाल है जो पूरी ईमानदारी से बच्चो को पढ़ा रहे है भगवान से अन्य शिक्षकों को सीख लेनी चाहिए।


Conclusion:121 _ भगवानदीन अतिथि शिक्षक,प्राथमिक शाला सहजपुरी
बाइट _ राघवेंद्र मिश्रा, प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी डिंडौरी
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