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यूएपीए के तहत गिरफ्तार लोगों को रिहा करे सरकार : दीपांकर भट्टाचार्य

सीपीआई (एमएल) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि यूएपीए भेदभावपूर्ण है. एनपीआर का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि यह देशव्यापी एनआरसी से भी एक कदम आगे है.

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दीपांकर भट्टाचार्या
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Published : Jan 20, 2020, 11:22 PM IST

Updated : Feb 17, 2020, 7:35 PM IST

नई दिल्ली : भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) (सीपीआई -एमएल) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने संशोधित गैरकानूनी गतिविधि निवारण अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किए गए लोगों को रिहा करने की मांग की है.

तेलंगाना पुलिस द्वारा उस्मानिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर चौ. खासिम की गिरफ्तारी के बाद ईटीवी भारत से भट्टाचार्य ने यह बात कही.

गौरतलब है कि प्रोफेसर खासिम को नक्सलियों के साथ संबंध रखने के आरोप में यूएपीए के तहत हैदराबाद में गिरफ्तार किया गया है.

भट्टाचार्य ने कहा, 'यूएपीए भेदभावपूर्ण है. इस अधिनियम को खत्म किया जाना चाहिए. हमारे पास गलत करने वाले लोगों के लिए कानून है, अब दिल्ली पुलिस आयुक्त को भी आपातकालीन शक्ति दी गई है.यह आम नागरिकों के खिलाफ है.'

दीपांकर भट्टाचार्य से ईटीवी भारत ने की बात.

दीपांकर ने कहा, 'हम नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ हैं. यह भारतीय संविधान की मूलभूत प्रस्तावना के खिलाफ है. आप धर्म के आधार पर नागरिकता नहीं दें सकते. यह पूरी तरह से धर्म के साथ भेदभावपूर्ण है.'

पढ़ें : पीएम का विपक्ष पर हमला : हम टेंपररी नहीं, सदियों तक सेवा करने आए हैं

उन्होंने कहा कि आज सरकार धर्म के साथ भेदभाव कर रही है. कल यही सरकार जाति और पंथ के भेदभाव करेगी.

इसके साथ उन्होंने राष्ट्रीय जनसंख्या पंजीयन (एनपीआर) की भी आलोचना करते हुए कहा कि एनपीआर देशव्यापी राष्ट्रीय नागरिक पंजीयन (एनआरसी) से भी एक कदम आगे हैं. नौकरशाह, राज्य सरकार के अधिकारी उनके (सरकार) अनुसार काम करेंगे और नागरिकता देने या वापस लेने के लिए अपनी मशीनरी का उपयोग करेंगे.

नई दिल्ली : भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) (सीपीआई -एमएल) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने संशोधित गैरकानूनी गतिविधि निवारण अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किए गए लोगों को रिहा करने की मांग की है.

तेलंगाना पुलिस द्वारा उस्मानिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर चौ. खासिम की गिरफ्तारी के बाद ईटीवी भारत से भट्टाचार्य ने यह बात कही.

गौरतलब है कि प्रोफेसर खासिम को नक्सलियों के साथ संबंध रखने के आरोप में यूएपीए के तहत हैदराबाद में गिरफ्तार किया गया है.

भट्टाचार्य ने कहा, 'यूएपीए भेदभावपूर्ण है. इस अधिनियम को खत्म किया जाना चाहिए. हमारे पास गलत करने वाले लोगों के लिए कानून है, अब दिल्ली पुलिस आयुक्त को भी आपातकालीन शक्ति दी गई है.यह आम नागरिकों के खिलाफ है.'

दीपांकर भट्टाचार्य से ईटीवी भारत ने की बात.

दीपांकर ने कहा, 'हम नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ हैं. यह भारतीय संविधान की मूलभूत प्रस्तावना के खिलाफ है. आप धर्म के आधार पर नागरिकता नहीं दें सकते. यह पूरी तरह से धर्म के साथ भेदभावपूर्ण है.'

पढ़ें : पीएम का विपक्ष पर हमला : हम टेंपररी नहीं, सदियों तक सेवा करने आए हैं

उन्होंने कहा कि आज सरकार धर्म के साथ भेदभाव कर रही है. कल यही सरकार जाति और पंथ के भेदभाव करेगी.

इसके साथ उन्होंने राष्ट्रीय जनसंख्या पंजीयन (एनपीआर) की भी आलोचना करते हुए कहा कि एनपीआर देशव्यापी राष्ट्रीय नागरिक पंजीयन (एनआरसी) से भी एक कदम आगे हैं. नौकरशाह, राज्य सरकार के अधिकारी उनके (सरकार) अनुसार काम करेंगे और नागरिकता देने या वापस लेने के लिए अपनी मशीनरी का उपयोग करेंगे.

Intro:New Delhi: CPI (ML) general secretary Dipankar Bhattacharya on Monday demanded release of all those persons arrested under the amended Unlawful Activities Prevention Act (UAPA).

Bhattacharya also termed the Act as discriminatory.


Body:Bhattacharya was talking to ETV Bharat while referring to the arrest of Osmania University Professor Ch Khasim by Telangana police.

Professor Khasim was arrested for his alleged nexus with Maoists from Hyderabad on Saturday under UAPA.

Bhattacharya said that UAPA is discriminatory.

"This Act should be scrapped. We have existing laws to take action against people found involved in wrong doing...now the Delhi police commissioner was also given emergency power...this will go against the common citizen," said Bhattacharya.


Conclusion:The CPI-ML leader Bhattacharya was vocal against government policies.

"We oppose the Citizenship Amendment Act (CAA). This is against the basic preamble of the Indian Constitution...citizenship can't be bestowed on the basis of religion," said Bhattacharya adding "this is total discrimination against religion."

"Today this government has discriminated with religion, tomorrow they will do discrimination with caste and creed," he said.

He also criticised National Population Register (NPR).


"NPR is a step ahead of nationwide National Register of Citizen (NRC)...the bureaucrats, state government officials will work on their whims and utilise their machineries to grant or withdraw citizenship," said Bhattacharya.

end.
Last Updated : Feb 17, 2020, 7:35 PM IST
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