पटना : कीचड़ में कमल खिलता है और कांटों में गुलाब. सफलता के कीर्तिमान गढ़ने वाली प्रतिभाएं भी प्रायः अभावों से ही निकलती हैं. ऐसी ही एक प्रतिभा हैं बिहार के पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय. गुरुवार को पांडेय एक कार्यक्रम में छात्रों से रू-ब-रू थे. उन्होंने अपने संघर्षों की गाथा छात्रों को बताई और सवाल किया कि यदि वह सफल हो सकते हैं, तो आपसब क्यों नहीं? डीजीपी के संबोधन पर खूब तालियां बजीं. लोग भूल गए कि कोई शीर्ष अधिकारी उनके बीच है. छात्रों को बस यही लगा कि कोई बहुत अपना उन्हें सफलता के सूत्र बता रहा हो.
डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय की बातों को सुनकर पूरा हॉल बार-बार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजता रहा. डीजीपी ने संवाद कार्यक्रम में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि वह 11वीं में तो फेल हो गए थे, लेकिन इसके बाद दृढ़ इच्छाशक्ति से पढ़ाई की और सिविल सेवा परीक्षा पास की और डीजीपी बन गए.
11वीं में फेल हो गए थे गुप्तेश्वर पांडेय
डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने छात्रों को अपनी कहानी सुनाई. उन्होंने कहा कि मेरा जन्म बक्सर के एक छोटे से गांव में हुआ. न सड़क थी न स्कूल. खुले आसमान के नीचे गुरुजी खटिया पर बैठते थे और हमलोग बोरा पर. पढ़ाई के तरीके भी अलग थे. हमने पहली क्लास पास की, फिर दूसरी, तीसरी पास किया, कैसे पता नहीं, लेकिन पास करते गया. हालांकि 11वीं फेल कर गया. मैं बड़ी ईमानदारी से कहता हूं, कुछ छिपा नहीं रहा. पहली बार में मैं 11वीं में फेल हो गया. स्ट्रीम बिल्कुल अलग था. पहले आठवीं से स्ट्रीम अलग हो जाता था.
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बोले- कुछ भी क्रैक कर सकते हैं आप
डीजीपी ने कहा, इसके बाद फिर से मैंने परीक्षा दी. 11वीं और बीए पास किया. मैंने बहुत मेहनत की. अंग्रेजी बोलना बिल्कुल नहीं जानता था, लेकिन धीरे-धीरे सीख लिया. मैंने एक साल तक खूब मेहनत की. इसके बात सफलता मेरे कदम चूमने लगी और सिविल सेवा परीक्षा पास कर अफसर बन गया. उन्होंने छात्रों से कहा कि जब उनके जैसा औसत से भी निम्न छात्र डीजीपी बन सकता है, तो आज के होनहार छात्र मेहनत के बल पर क्या नहीं हासिल कर सकते.