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लोक सभा : कोरोना प्रोटोकॉल के बीच बढ़ा कामकाज, बढ़ी 167% उत्पादकता

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Published : Sep 24, 2020, 1:39 PM IST

Updated : Sep 24, 2020, 2:19 PM IST

पूरा देश कोविड -19 वैश्विक महामारी के प्रतिकूल प्रभाव से जूझ रहा है. ऐसे में लोक सभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि वैश्विक महामारी के दौरान भी इस सत्र में सदन की उत्पादकता 167 प्रतिशत रही. जो पिछले कई सत्रों की तुलना में अधिक है. जानिये मानसून सत्र में लोक सभा द्वारा कौन से महत्वपूर्ण बिल पारित किए गए. पढ़ें लोक सभा पर आधारित हमारे वरिष्ठ संवाददाता कृष्णानंद त्रिपाठी की यह खास रिपोर्ट...

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कोविड -19 प्रोटोकॉल के बावजूद लोक सभा का बढ़ा कामकाज

नई दिल्ली : 17 वीं लोक सभा का चौथा सत्र बुधवार शाम को 10-दिवसीय बिना अंतराल के बाद समाप्त हुआ, जिसमें सांसदों ने देर रात तक बैठक कर कई महत्वपूर्ण विधेयकों को मंजूरी दी. 37 घंटे के लिए चलने वाली लोक सभा ने इस सत्र में 60 घंटे कामकाज किया, क्योंकि निचले सदन ने शनिवार और रविवार को भी बैठक चलाई.

लोक सभा अध्यक्ष ओम बिडला ने कहा कि वैश्विक महामारी के दौरान भी, इस सत्र में सदन की उत्पादकता 167% थी, जो पिछले कई सत्रों की तुलना में अधिक है.

बिड़ला ने कहा कि यह देश के संसदीय इतिहास में पहली बार है, जब संसद के दोनों सदनों के सदस्यों ने छह अलग-अलग स्थानों से कार्यवाही में भाग लिया, जिसमें लोक सभा और राज्यसभा के दोनों सदन और चार दीर्घाएं भी शामिल थीं. 14 सितंबर को शुरू हुए मानसून सत्र ने आवंटित समय 37 घंटे के बदले 60 घंटे की अवधि के साथ लगातार 10 बैठकें देखी.

बिड़ला ने कहा कि विधायी कामकाज में दो-तिहाई से अधिक समय (68%) का उपयोग किया गया, जबकि शेष 32% का उपयोग गैर-विधायी काम में किया गया.

लोक सभा सांसदों ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए अनुदानों की अनुपूरक मांगों के पहले बैच और वित्त वर्ष 2016-17 के लिए अनुदानों की अतिरिक्त मांगों पर साढ़े चार घंटे से अधिक समय तक बहस की और उन्होंने विनियोग बिलों को भी मंजूरी दे दी.

सत्र के दौरान, 16 सरकारी बिलों को फिर से प्रस्तुत किया गया और कुल 25 बिलों को सदन की 10 बैठकों में मंजूरी दे दी गई, जिससे इन बिलों पर चर्चा भी हुई.

मानसून सत्र में लोक सभा द्वारा पारित महत्वपूर्ण बिल

लोक सभा ने मानसून सत्र में कई महत्वपूर्ण बिलों को मंजूरी दी, जिसमें दो कृषि बिल और तीन श्रम कोड शामिल थे. लोक सभा सदस्यों ने आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 को मंजूरी दी. किसानों का उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2020; मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा विधेयक, 2020 का किसान'अधिकारिता और संरक्षण' समझौता बिल पारित किए.

लोक सभा ने देश में श्रम कानूनों में सुधार के लिए तीन विधेयकों को मंजूरी दी. औद्योगिक संबंध कोड, 2020, व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम की स्थिति संहिता 2020, और सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 को निचले सदन में ध्वनि मत से पारित किया गया.

सदन ने विदेशी अंशदान नियमन (संशोधन) विधेयक 2020, बैंकिंग विनियमन (संशोधन) विधेयक 2020 और दिवाला और दिवालियापन संहिता (दूसरा संशोधन विधेयक) 2020 को भी मंजूरी दे दी.

इस सत्र में, सदस्यों को सदन के पटल पर अतारांकित प्रश्न रखने की अनुमति दी गई और सरकार ने इस सत्र में 2,300 अतारांकित प्रश्नों के उत्तर लोक सभा में प्रदान किए.

इस सत्र में, लोक सभा सदस्यों ने सार्वजनिक महत्व के 370 मुद्दों को भी उठाया, जिसमें 20 सितंबर की आधी रात को चली लंबी चर्चा भी शामिल थी, जिसमें 88 सदस्यों ने भाग लिया.

लोक सभा सदस्यों ने सदन के नियम 377 के तहत सार्वजनिक महत्व के 181 मुद्दों को भी उठाया.

10 दिनों तक चलने वाला मानसून सत्र ऐसे समय में हुआ है, जब पूरा देश कोविड -19 वैश्विक महामारी के प्रतिकूल प्रभाव से जूझ रहा है, जिसने देश में 90,000 से अधिक लोगों की जान ले ली है, जबकि वैश्विक स्तर पर मरने वालों की संख्या दस लाख के करीब पहुंच गई है.

यह सत्र ऐसे समय में हुआ है जब भारतीय और चीनी सेनाएं पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में तनावपूर्ण स्थिति में हैं, जिसके कारण रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को संसद के दोनों सदनों में सीमा की स्थिति पर बयान देने की आवश्यकता पड़ी.

लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदस्यों से कहा कि मंत्रियों ने महत्वपूर्ण मुद्दों पर सदन में 40 बयान दिए, जिसमें कोविड -19 महामारी के मुद्दे पर, कृषि उपज के लिए एमएसपी और लद्दाख सीमा पर हुए घटनाक्रम पर बयान शामिल हैं.

नई दिल्ली : 17 वीं लोक सभा का चौथा सत्र बुधवार शाम को 10-दिवसीय बिना अंतराल के बाद समाप्त हुआ, जिसमें सांसदों ने देर रात तक बैठक कर कई महत्वपूर्ण विधेयकों को मंजूरी दी. 37 घंटे के लिए चलने वाली लोक सभा ने इस सत्र में 60 घंटे कामकाज किया, क्योंकि निचले सदन ने शनिवार और रविवार को भी बैठक चलाई.

लोक सभा अध्यक्ष ओम बिडला ने कहा कि वैश्विक महामारी के दौरान भी, इस सत्र में सदन की उत्पादकता 167% थी, जो पिछले कई सत्रों की तुलना में अधिक है.

बिड़ला ने कहा कि यह देश के संसदीय इतिहास में पहली बार है, जब संसद के दोनों सदनों के सदस्यों ने छह अलग-अलग स्थानों से कार्यवाही में भाग लिया, जिसमें लोक सभा और राज्यसभा के दोनों सदन और चार दीर्घाएं भी शामिल थीं. 14 सितंबर को शुरू हुए मानसून सत्र ने आवंटित समय 37 घंटे के बदले 60 घंटे की अवधि के साथ लगातार 10 बैठकें देखी.

बिड़ला ने कहा कि विधायी कामकाज में दो-तिहाई से अधिक समय (68%) का उपयोग किया गया, जबकि शेष 32% का उपयोग गैर-विधायी काम में किया गया.

लोक सभा सांसदों ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए अनुदानों की अनुपूरक मांगों के पहले बैच और वित्त वर्ष 2016-17 के लिए अनुदानों की अतिरिक्त मांगों पर साढ़े चार घंटे से अधिक समय तक बहस की और उन्होंने विनियोग बिलों को भी मंजूरी दे दी.

सत्र के दौरान, 16 सरकारी बिलों को फिर से प्रस्तुत किया गया और कुल 25 बिलों को सदन की 10 बैठकों में मंजूरी दे दी गई, जिससे इन बिलों पर चर्चा भी हुई.

मानसून सत्र में लोक सभा द्वारा पारित महत्वपूर्ण बिल

लोक सभा ने मानसून सत्र में कई महत्वपूर्ण बिलों को मंजूरी दी, जिसमें दो कृषि बिल और तीन श्रम कोड शामिल थे. लोक सभा सदस्यों ने आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 को मंजूरी दी. किसानों का उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2020; मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा विधेयक, 2020 का किसान'अधिकारिता और संरक्षण' समझौता बिल पारित किए.

लोक सभा ने देश में श्रम कानूनों में सुधार के लिए तीन विधेयकों को मंजूरी दी. औद्योगिक संबंध कोड, 2020, व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम की स्थिति संहिता 2020, और सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 को निचले सदन में ध्वनि मत से पारित किया गया.

सदन ने विदेशी अंशदान नियमन (संशोधन) विधेयक 2020, बैंकिंग विनियमन (संशोधन) विधेयक 2020 और दिवाला और दिवालियापन संहिता (दूसरा संशोधन विधेयक) 2020 को भी मंजूरी दे दी.

इस सत्र में, सदस्यों को सदन के पटल पर अतारांकित प्रश्न रखने की अनुमति दी गई और सरकार ने इस सत्र में 2,300 अतारांकित प्रश्नों के उत्तर लोक सभा में प्रदान किए.

इस सत्र में, लोक सभा सदस्यों ने सार्वजनिक महत्व के 370 मुद्दों को भी उठाया, जिसमें 20 सितंबर की आधी रात को चली लंबी चर्चा भी शामिल थी, जिसमें 88 सदस्यों ने भाग लिया.

लोक सभा सदस्यों ने सदन के नियम 377 के तहत सार्वजनिक महत्व के 181 मुद्दों को भी उठाया.

10 दिनों तक चलने वाला मानसून सत्र ऐसे समय में हुआ है, जब पूरा देश कोविड -19 वैश्विक महामारी के प्रतिकूल प्रभाव से जूझ रहा है, जिसने देश में 90,000 से अधिक लोगों की जान ले ली है, जबकि वैश्विक स्तर पर मरने वालों की संख्या दस लाख के करीब पहुंच गई है.

यह सत्र ऐसे समय में हुआ है जब भारतीय और चीनी सेनाएं पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में तनावपूर्ण स्थिति में हैं, जिसके कारण रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को संसद के दोनों सदनों में सीमा की स्थिति पर बयान देने की आवश्यकता पड़ी.

लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदस्यों से कहा कि मंत्रियों ने महत्वपूर्ण मुद्दों पर सदन में 40 बयान दिए, जिसमें कोविड -19 महामारी के मुद्दे पर, कृषि उपज के लिए एमएसपी और लद्दाख सीमा पर हुए घटनाक्रम पर बयान शामिल हैं.

Last Updated : Sep 24, 2020, 2:19 PM IST
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