नई दिल्ली : बिहार विधानसभा चुनाव के लिए 28 अक्टूबर को पहले चरण के लिए वोट डाले जाएंगे. तमाम राजनीतिक दल अपने प्रतिद्वंद्वियों पर हमला करती दिख रही हैं. कांग्रेस पार्टी ने नोटबंदी के चार साल पूरा होने से कुछ ही दिनों पहले केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की है.
कांग्रेस से नोटबंदी से जुड़े तमाम सवालों का जवाब देने के लिए 'श्वेत पत्र' लाने की मांग की है. कांग्रेस पार्टी प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने यह आरोप लगाया कि सरकार नोटबंदी तथा उसके अन्य कदमों के बारे में सवाल करने वालों के खिलाफ जांच एजेंसियों का इस्तेमाल करती है.
शुक्रवार को वल्लभ ने संवाददाताओं से कहा, 'नोटबंदी के कारण वित्त्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी वृद्धि दर 8.3 से 4.2 प्रतिशत पर चली गयी. लगभग 3 करोड़ 72 लाख लोगों ने एमएसएमई सेक्टर में अपना रोजगार गंवाया. यह स्थिति कोरोना महामारी आने के पहले की है.'
कांग्रेस नेता ने दावा किया कि नोटबंदी की घोषणा के कुछ घंटों के भीतर सूरत में एक ज्वेलर के यहां करोड़ों रुपये के आभूषणों की कथित बिक्री पर सवाल करने वाले एक स्थानीय भाजपा नेता के यहां आयकर विभाग ने छापेमारी की है.
वल्लभ ने आरोप लगाया कि सरकार से जो भी सवाल कर दे, उसके यहां जांच एजेंसियों की छापेमारी करवा दी जाती है.
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उन्होंने सवाल किया, 'नोटबंदी के बाद 4 सालों में कितनी अघोषित आय मिली? आप जिसका जिक्र 2017 में किया करते थे कि हमें ट्रांजेक्शन ट्रेल (लेनदेन के तार) मिल गए हैं, उन ट्रांजेक्शन ट्रेल में से कितनी अघोषित आय आज तक आपको मिली है? कर अदायगी नहीं करने वालों से अब तक सरकार ने कितना कर वसूला है?'
उन्होंने यह भी पूछा, 'सरकार नोटबंदी से जुड़े सवाल पूछने वालों पर छापे क्यों मरवा रही हैं? वह किसको बचा रही है?'
वल्लभ ने कहा कि नोटबंदी से जुड़े तमाम सवाल के जवाब के तौर पर केंद्र सरकार को श्वेत पत्र लाना चाहिए.
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने आठ नवंबर, 2016 को नोटबंदी की थी जिसके तहत 500 और 1000 रुपये नोट चलन से बाहर कर दिए गए थे.