ETV Bharat / bharat

मोदी के सहारे बीजेपी बिहार में करेगी 'चुनावी गंगा' पार - demand for rallies of pm

भारतीय जनता पार्टी बिहार के चुनावी समर में प्रधानमंत्री की साफ छवि को लेकर ही और केंद्र सरकार की उपलब्धियों को लेकर ही मैदान में वोट मांग रही है. इस बार नीतीश का जादू भी चलता नहीं दिख रहा है. भाजपा इस बार के बिहार चुनाव को लेकर अलग-अलग दांव खेल रही है. पढ़ें ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की यह विशेष रिपोर्ट.

मोदी के सहारे बीजेपी बिहार में
मोदी के सहारे बीजेपी बिहार में
author img

By

Published : Oct 15, 2020, 11:11 PM IST

नई दिल्ली : बिहार चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां जी जान से जुटी हुई हैं.बात करें भारतीय जनता पार्टी की तो वह इस बार के बिहार चुनाव में आत्मनिर्भर अभियान पैकेज और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर ही दांव लगा रही है. इसके कई कारण हो सकते हैं.

इस बार न तो 'सुशासन बाबू' यानी नीतीश कुमार के नाम पर कुछ करिश्माई जादू चलता दिख नहीं रहा है और न ही भाजपा का फ़ेवरिट विषय पाकिस्तान और 370 का मसला अब पार्टी भुना सकती है.

सुशांत सिंह राजपूत का मसला भी पार्टी के लिए कुछ खास नहीं दिख रहा है. ऐसे में बिहार में बीजेपी उम्मीदवार सिर्फ प्रधानमंत्री के नाम और उनकी उपलब्धियों के नाम वोट मांग रहे हैं. ऐसे में बीजेपी के प्रत्येक उम्मीदवार अपने-अपने क्षेत्रों में पीएम मदोी की रैली की मांग कर रहे हैं.

लॉकडाउन के दौरान केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं को किस तरह से बिहार में लागू किया गया और किस तरह से केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर पैकेज की घोषणा की स्थानीय मुद्दों को छोड़ यह मुद्दे ही बिहार के चुनाव में हावी हो रहे हैं.

यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैलियों की डिमांड बिहार के उम्मीदवारों की तरफ से बहुत ज्यादा बढ़ गई है.

हालांकि पार्टी मुख्यालय की तरफ से, प्रधानमंत्री की रैलियों के अलावा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की रैली ,उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की रैली और केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी की रैलियों का शेड्यूल पार्टी की तरफ से तैयार कर लिया गया है,बावजूद इसके प्रधानमंत्री मोदी की रैलियों को लेकर उम्मीदवारों के बीच रस्साकशी जारी है.

हालांकि ज्यादातर प्रधानमंत्री की रैलियां वर्चुअल माध्यम के सहारे ही भारतीय जनता पार्टी आयोजित करेगी जिसके लिए भारतीय जनता पार्टी में स्मार्टफोन कमांडोज के तौर पर बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं को कन्वर्ट किया है, जिन्हें ज्यादा से ज्यादा लोगों को पीएम की रैली में जोड़ने की जिम्मेदारी दी गई है.

बीजेपी को यह बात अच्छी तरह से पता है कि मतदाताओं के बीच प्रधानमंत्री की लोकप्रियता को को ही भुनाया जाना एकमात्र विकल्प है. इसी वजह से बीजेपी ने राज्य में एनडीए गठबंधन के लिए फिलहाल पीएम की 22 अक्टूबर की रैली को ही हरी झंडी दिखाई है.

मगर उसमें भी पीएमओ से फिलहाल हरी झंडी मिलना बाकी है. प्रधानमंत्री कार्यालय से हरी झंडी के बाद ही बीजेपी अपने स्मार्टफोन कमांडो और सोशल मीडिया कार्यकर्ताओं को भीड़ जुटाने के लिए प्रबंधन सौंपेगी.

फिलहाल पार्टी सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री के प्रस्तावित रैलियों को बक्सर, जहानाबाद ,रोहतास और भागलपुर में आयोजित किया जाना है मगर अंदर खाने से मिली खबर के मुताबिक प्रधानमंत्री की आठ रैली बिहार में आयोजित की जा सकती है.

वहीं सूत्रों की माने तो पीएम मोदी की रैलियों की डिमांड एक दर्जन से भी अधिक की है जिसे वर्चुअल माध्यम से किस तरह समायोजित किया जाए इस बात को लेकर पार्टी पशोपेश में है.

वही लोजपा जो अलग होकर चुनाव लड़ रही है मगर एनडीए गठबंधन से अलग नहीं हुई है वह लगातार प्रधानमंत्री के नाम का इस्तेमाल कर रही है जिससे पार्टी में खासा रोष है प्रधानमंत्री की लोकप्रियता को भारतीय जनता पार्टी किसी भी तरह बीजेपी के अलावा दूसरी पार्टी के साथ बांटने नहीं देना चाहती क्योंकि इस बार के बिहार चुनाव में इससे बड़ा फैक्टर पार्टी के हाथ और कुछ भी नहीं

243 विधानसभा सीटों वाली बिहार विधानसभा में 3 चरणों में मतदान होना है जिनमें पहला चरण 28 अक्टूबर दूसरा 3 नवंबर और तीसरा 7 नवंबर को है और पार्टी प्रधानमंत्री की रैलियों को मतदान के ठीक पहले आयोजित करना चाहते हैं और उम्मीद है कि जल्द ही प्रधानमंत्री की कुछ और रैलियों की भी घोषणा पार्टी बिहार में कर सकती है.

नई दिल्ली : बिहार चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां जी जान से जुटी हुई हैं.बात करें भारतीय जनता पार्टी की तो वह इस बार के बिहार चुनाव में आत्मनिर्भर अभियान पैकेज और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर ही दांव लगा रही है. इसके कई कारण हो सकते हैं.

इस बार न तो 'सुशासन बाबू' यानी नीतीश कुमार के नाम पर कुछ करिश्माई जादू चलता दिख नहीं रहा है और न ही भाजपा का फ़ेवरिट विषय पाकिस्तान और 370 का मसला अब पार्टी भुना सकती है.

सुशांत सिंह राजपूत का मसला भी पार्टी के लिए कुछ खास नहीं दिख रहा है. ऐसे में बिहार में बीजेपी उम्मीदवार सिर्फ प्रधानमंत्री के नाम और उनकी उपलब्धियों के नाम वोट मांग रहे हैं. ऐसे में बीजेपी के प्रत्येक उम्मीदवार अपने-अपने क्षेत्रों में पीएम मदोी की रैली की मांग कर रहे हैं.

लॉकडाउन के दौरान केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं को किस तरह से बिहार में लागू किया गया और किस तरह से केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर पैकेज की घोषणा की स्थानीय मुद्दों को छोड़ यह मुद्दे ही बिहार के चुनाव में हावी हो रहे हैं.

यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैलियों की डिमांड बिहार के उम्मीदवारों की तरफ से बहुत ज्यादा बढ़ गई है.

हालांकि पार्टी मुख्यालय की तरफ से, प्रधानमंत्री की रैलियों के अलावा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की रैली ,उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की रैली और केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी की रैलियों का शेड्यूल पार्टी की तरफ से तैयार कर लिया गया है,बावजूद इसके प्रधानमंत्री मोदी की रैलियों को लेकर उम्मीदवारों के बीच रस्साकशी जारी है.

हालांकि ज्यादातर प्रधानमंत्री की रैलियां वर्चुअल माध्यम के सहारे ही भारतीय जनता पार्टी आयोजित करेगी जिसके लिए भारतीय जनता पार्टी में स्मार्टफोन कमांडोज के तौर पर बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं को कन्वर्ट किया है, जिन्हें ज्यादा से ज्यादा लोगों को पीएम की रैली में जोड़ने की जिम्मेदारी दी गई है.

बीजेपी को यह बात अच्छी तरह से पता है कि मतदाताओं के बीच प्रधानमंत्री की लोकप्रियता को को ही भुनाया जाना एकमात्र विकल्प है. इसी वजह से बीजेपी ने राज्य में एनडीए गठबंधन के लिए फिलहाल पीएम की 22 अक्टूबर की रैली को ही हरी झंडी दिखाई है.

मगर उसमें भी पीएमओ से फिलहाल हरी झंडी मिलना बाकी है. प्रधानमंत्री कार्यालय से हरी झंडी के बाद ही बीजेपी अपने स्मार्टफोन कमांडो और सोशल मीडिया कार्यकर्ताओं को भीड़ जुटाने के लिए प्रबंधन सौंपेगी.

फिलहाल पार्टी सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री के प्रस्तावित रैलियों को बक्सर, जहानाबाद ,रोहतास और भागलपुर में आयोजित किया जाना है मगर अंदर खाने से मिली खबर के मुताबिक प्रधानमंत्री की आठ रैली बिहार में आयोजित की जा सकती है.

वहीं सूत्रों की माने तो पीएम मोदी की रैलियों की डिमांड एक दर्जन से भी अधिक की है जिसे वर्चुअल माध्यम से किस तरह समायोजित किया जाए इस बात को लेकर पार्टी पशोपेश में है.

वही लोजपा जो अलग होकर चुनाव लड़ रही है मगर एनडीए गठबंधन से अलग नहीं हुई है वह लगातार प्रधानमंत्री के नाम का इस्तेमाल कर रही है जिससे पार्टी में खासा रोष है प्रधानमंत्री की लोकप्रियता को भारतीय जनता पार्टी किसी भी तरह बीजेपी के अलावा दूसरी पार्टी के साथ बांटने नहीं देना चाहती क्योंकि इस बार के बिहार चुनाव में इससे बड़ा फैक्टर पार्टी के हाथ और कुछ भी नहीं

243 विधानसभा सीटों वाली बिहार विधानसभा में 3 चरणों में मतदान होना है जिनमें पहला चरण 28 अक्टूबर दूसरा 3 नवंबर और तीसरा 7 नवंबर को है और पार्टी प्रधानमंत्री की रैलियों को मतदान के ठीक पहले आयोजित करना चाहते हैं और उम्मीद है कि जल्द ही प्रधानमंत्री की कुछ और रैलियों की भी घोषणा पार्टी बिहार में कर सकती है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.