नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मंगलवार सुबह प्रदूषण का स्तर थोड़ा कम हो गया लेकिन हवा की गुणवत्ता अभी भी 'बहुत खराब' श्रेणी में बनी हुई है. भारत मौसम विज्ञान विभाग के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा कि हवा की गति बढ़ने से वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में सुधार होने की संभावना है.
हवा की गति कम होने और तापमान कम होने से प्रदूषक पदार्थ सतह के करीब हवा में जम जाते हैं, जबकि हवा की गति तेज होने से प्रदूषकों के बिखराव में मदद मिलती है. महानगर में सुबह 10 बजे एक्यूआई 335 दर्ज किया गया. 24 घंटे का औसत एक्यूआई सोमवार को 353 था. यह रविवार को 349, शनिवार को 345 और शुक्रवार को 366 था.
उल्लेखनीय है कि 0 और 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा', 51 और 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 और 200 के बीच 'मध्यम', 201 और 300 के बीच 'खराब', 301 और 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 और 500 के बीच 'गंभीर' माना जाता है. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता निगरानी एजेंसी 'सफर' के अनुसार, हवा की दिशा और गति पंजाब तथा हरियाणा के पड़ोसी क्षेत्रों में पराली जलाए जाने से निकले प्रदूषकों के यहां तक पहुंचने के लिए अनुकूल है. हालांकि, उसने कहा कि स्थानीय हवा की गति में सुधार होने से इसका प्रभाव कम होगा.पराली जलने से होने वाले प्रदूषण का दिल्ली की पीएम 2.5 सघनता में हिस्सा सोमवार को 16 प्रतिशत था.
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यह रविवार को 19 प्रतिशत और शनिवार को 9 प्रतिशत था. नासा के कृत्रिम उपग्रह द्वारा ली गई तस्वीरों में पंजाब, हरियाणा और आस-पास के क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर पराली जलती हुई दिख रही है. पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, राज्य में इस साल 21 सितंबर से 25 अक्टूबर के बीच पराली जलाए जाने की 14,461 घटनाएं दर्ज की गई हैं, जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान इसकी 9,796 घटनाएं सामने आई थीं.
हरियाणा में इस सीजन में अब तक पराली जलाए जाने की लगभग 4,284 घटनाएं दर्ज की गई हैं. केंद्र सरकार की वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली ने कहा कि दिल्ली की वायु गुणवत्ता 31 अक्टूबर तक 'बहुत खराब' श्रेणी में रहने की आशंका है. केंद्र सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि वह दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए एक कानून लाएगी.