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उच्च न्यायालय ने शरजील की याचिका पर दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा

दिल्ली उच्च न्यायालय ने जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम की ओर से दायर याचिका पर बुधवार को दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा. इमाम ने अपनी याचिका में निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें पुलिस को जांच पूरी करने के लिए और समय दिया गया है.

शरजील इमाम
शरजील इमाम
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Published : May 13, 2020, 11:12 PM IST

Updated : May 13, 2020, 11:36 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम की ओर से दायर याचिका पर बुधवार को दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा. इमाम ने अपनी याचिका में निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें पुलिस को जांच पूरी करने के लिए और समय दिया गया है.

इमाम को सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान भड़काऊ भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

न्यायमूर्ति वी कामेश्वर राव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मामले की सुनवाई की और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया. अदालत ने मामले की सुनवाई की अगली तारीख 10 जून मुकर्रर की है.

पुलिस से दो हफ्तों में जवाब देने को कहा गया है.

अपनी अर्जी में आरोपी ने निचली अदालत के 25 अप्रैल के आदेश को चुनौती दी है जिसके तहत दिल्ली पुलिस को गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत दर्ज मामले में जांच पूरी करने के लिए निर्धारित 90 दिनों से ज्यादा का समय दिया गया है.

इमाम को पिछले साल दिसंबर में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के पास संशोधित नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन से संबंधित मामले में 28 जनवरी को बिहार के जहानाबाद जिले से गिरफ्तार किया गया था.

गिरफ्तारी के बाद जांच पूरी करने के लिए 90 दिनों का वक्त होता है जो 27 अप्रैल को खत्म हो गया.

उसने मामले में इस आधार पर वैधानिक जमानत मांगी है कि निर्धारित 90 दिनों में जांच पूरी नहीं हुई है और जब पुलिस ने छानबीन पूरी करने के वास्ते और समय मांगने के लिए आवेदन दायर किया तो उसे नोटिस नहीं दिया गया, जो कानून के तहत जरूरी है.

निचली अदालत ने हाल में उसकी जमानत की अर्जी को खारिज कर दिया था.

निचली अदालत ने कहा था कि निर्धारित 90 दिन की समय सीमा समाप्त होने से पहले ही जांच के लिए समय बढ़ाने का आदेश दिया गया है.

निचली अदालत के न्यायाधीश ने कहा था, 'यूएपीए की धारा 43 डी (2) के तहत जांच पूरी करने के समय को पहले ही बढ़ा दिया गया है. इसलिए मेरी राय है कि वैधानिक जमानत पर आरोपी को छोड़ने के आवेदन में दम नहीं है, इसलिए इसे खारिज किया जाता है. '

उच्च न्यायालय में दायर याचिका में इमाम ने शिकायत की है कि उसे दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत जरूरी, हर 15 दिन में हिरासत के लिए अदालत के समक्ष पेश नहीं किया गया.

याचिका में कहा गया है कि जांच एजेंसी ने 25 अप्रैल के अपने आवेदन में सिर्फ जांच का वक्त बढ़ाने का अनुरोध किया था. पुलिस ने उसकी न्यायिक हिरासत बढ़ाने का अनुरोध नहीं किया था. लिहाजा वह वैधानिक जमानत का हकदार है.

याचिका में कहा गया है कि पुलिस के आवेदन में वह वास्तविक कारण नहीं थे, जिन्हें 90 दिनों से अधिक का समय लेने के लिए बताना जरूरी है. आवेदन में कहा गया है कि आरोपी के भाषण का ध्यान से विश्लेषण करने के बाद यूएपीए की धारा 13 लगाई गई है, लेकिन यह अस्पष्ट है कि 'ध्यान' से विश्लेषण करने में 88 दिन क्यों लगे

याचिका में कहा गया है कि दो अलग-अलग मौकों पर जब जांच एजेंसी ने आरोपी की हिरासत मांगी थी –29 जनवरी और तीन फरवरी को- तब जांच एजेंसी को नहीं लगा कि यूएपीए कानून के प्रावधान को लगाना चाहिए.

इमाम असम पुलिस द्वारा यूएपीए के तहत दर्ज मामले के संबंध में फिलहाल गुवाहाटी जेल में बंद है.

पुलिस ने दावा किया कि शुरुआत में इमाम के खिलाफ राजद्रोह और अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया था.

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम की ओर से दायर याचिका पर बुधवार को दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा. इमाम ने अपनी याचिका में निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें पुलिस को जांच पूरी करने के लिए और समय दिया गया है.

इमाम को सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान भड़काऊ भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

न्यायमूर्ति वी कामेश्वर राव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मामले की सुनवाई की और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया. अदालत ने मामले की सुनवाई की अगली तारीख 10 जून मुकर्रर की है.

पुलिस से दो हफ्तों में जवाब देने को कहा गया है.

अपनी अर्जी में आरोपी ने निचली अदालत के 25 अप्रैल के आदेश को चुनौती दी है जिसके तहत दिल्ली पुलिस को गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत दर्ज मामले में जांच पूरी करने के लिए निर्धारित 90 दिनों से ज्यादा का समय दिया गया है.

इमाम को पिछले साल दिसंबर में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के पास संशोधित नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन से संबंधित मामले में 28 जनवरी को बिहार के जहानाबाद जिले से गिरफ्तार किया गया था.

गिरफ्तारी के बाद जांच पूरी करने के लिए 90 दिनों का वक्त होता है जो 27 अप्रैल को खत्म हो गया.

उसने मामले में इस आधार पर वैधानिक जमानत मांगी है कि निर्धारित 90 दिनों में जांच पूरी नहीं हुई है और जब पुलिस ने छानबीन पूरी करने के वास्ते और समय मांगने के लिए आवेदन दायर किया तो उसे नोटिस नहीं दिया गया, जो कानून के तहत जरूरी है.

निचली अदालत ने हाल में उसकी जमानत की अर्जी को खारिज कर दिया था.

निचली अदालत ने कहा था कि निर्धारित 90 दिन की समय सीमा समाप्त होने से पहले ही जांच के लिए समय बढ़ाने का आदेश दिया गया है.

निचली अदालत के न्यायाधीश ने कहा था, 'यूएपीए की धारा 43 डी (2) के तहत जांच पूरी करने के समय को पहले ही बढ़ा दिया गया है. इसलिए मेरी राय है कि वैधानिक जमानत पर आरोपी को छोड़ने के आवेदन में दम नहीं है, इसलिए इसे खारिज किया जाता है. '

उच्च न्यायालय में दायर याचिका में इमाम ने शिकायत की है कि उसे दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत जरूरी, हर 15 दिन में हिरासत के लिए अदालत के समक्ष पेश नहीं किया गया.

याचिका में कहा गया है कि जांच एजेंसी ने 25 अप्रैल के अपने आवेदन में सिर्फ जांच का वक्त बढ़ाने का अनुरोध किया था. पुलिस ने उसकी न्यायिक हिरासत बढ़ाने का अनुरोध नहीं किया था. लिहाजा वह वैधानिक जमानत का हकदार है.

याचिका में कहा गया है कि पुलिस के आवेदन में वह वास्तविक कारण नहीं थे, जिन्हें 90 दिनों से अधिक का समय लेने के लिए बताना जरूरी है. आवेदन में कहा गया है कि आरोपी के भाषण का ध्यान से विश्लेषण करने के बाद यूएपीए की धारा 13 लगाई गई है, लेकिन यह अस्पष्ट है कि 'ध्यान' से विश्लेषण करने में 88 दिन क्यों लगे

याचिका में कहा गया है कि दो अलग-अलग मौकों पर जब जांच एजेंसी ने आरोपी की हिरासत मांगी थी –29 जनवरी और तीन फरवरी को- तब जांच एजेंसी को नहीं लगा कि यूएपीए कानून के प्रावधान को लगाना चाहिए.

इमाम असम पुलिस द्वारा यूएपीए के तहत दर्ज मामले के संबंध में फिलहाल गुवाहाटी जेल में बंद है.

पुलिस ने दावा किया कि शुरुआत में इमाम के खिलाफ राजद्रोह और अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया था.

Last Updated : May 13, 2020, 11:36 PM IST
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